आयकर अधिकारी की जमानत खारिज
आयकर अधिकारी की जमानत खारिजसांकेतिक चित्र

Indore : सीबीआई ने पांच लाख रुपये की रिश्वत मामले में आयकर अधिकारी को जमानत देने से इंकार किया

इंदौर, मध्यप्रदेश : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई अदालत ने पांच लाख रूपये की रिश्वत लेने के मामले में रंगेहाथों धराए आयकर अधिकारी को जमानत देने से इंकार कर दिया।
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इंदौर, मध्यप्रदेश। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई अदालत ने पांच लाख रूपये की रिश्वत लेने के मामले में रंगेहाथों धराए आयकर अधिकारी को जमानत देने से इंकार कर दिया। अधिकारी ने मंदसौर के एक कारोबारी को जुर्माने की चेतावनी देकर पांच लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। स्पेशल सीबीआई जज सुधीर मिश्रा की अदालत में गुरूवार को आयकर अधिकारी रामगोपाल प्रजापति की ओर से जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई। अधिकारी की जमानत याचिका पर सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक गुफरान अहमद ने जमानत याचिका पर आपत्ति लेते हुए कहा कि अभियुक्त गर्जेटेट ऑफिसर होते हुए भी अपने दायित्व को नजर अंदाज करते हुए भी उसने पांच लाख की रिश्वत लेते रंगेहाथो पकड़ा गया।

सीबीआई ने कहा रिश्वत आज देश में केंसर व प्लेग की तरह फैल रहा :

आयकर अधिकारी रामगोपाल प्रजापति की ओर से जमानत याचिका पर बहस के दौरान सीबीआई के वकील गुफरान अहमद ने कोर्ट के समक्ष ये दलील पेश की कि रिश्वत आज देश में केंसर व प्लेग की तरह फैल रहा है इसे रोकने के लिए ऐसे व्यक्ति को अभिरक्षा में रखा जाना न्याय उचित होगा इससे जांच भी प्रभावित नही होगी। कोर्ट ने सीबीआई की दलील सुनने के बाद आयकर अधिकरी रामगोपाल प्रजापति को जमानत देने से इंकार कर दिया।

यह था आरोप :

आयकर अधिकारी रामगोपाल प्रजापति पर आरोप है कि पांच लाख रुपये की रिश्वत की मांग की और चेताया कि अगर भुगतान नही किया गया तो वह यह सुनिश्चित करेंगे कि विभाग द्वारा उनकी कंपनी पर छापे के साथ भारी जुर्माना लगाया जाए।

शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने जांच की :

शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने जांच की जिसमें प्रथम दृष्टया पुष्टि हुई कि आरोपी अधिकारी रिश्वत की मांग कर रहा था।

सीबीआई ने रंगेहाथों किया गिरफ्तार:

सीबीआई टीम ने प्रजापति को रिश्वत लेते 22 नवंबर को रंगे हाथों गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया था, जहां से सीबीआई कोर्ट ने रिमांड पर सौंप दिया था। सीबीआई ने महाराष्ट की एक कंपनी की शिकायत पर मामला दर्ज किया था, जिसका कर निर्धारण मंदसौर स्थित आयकर कार्यालय द्वारा किया जा रहा था।

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