शहर में मिलावटखोरों के खिलाफ नहींं चलाई जा रही मुहिम
शहर में मिलावटखोरों के खिलाफ नहींं चलाई जा रही मुहिमसांकेतिक चित्र

Indore : शहर में मिलावटखोरों के खिलाफ नहींं चलाई जा रही मुहिम

इंदौर, मध्यप्रदेश : शहर में लॉकडाउन के बाद से मिलावटखोर बेधड़क अपना काम कर रहे हैं। शुद्धि के लिए युद्ध अभियान कहां गायब हो गया? त्यौहारों पर भी नहीं हो रही शहर में सेंपलिंंग।
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इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर में लॉकडाउन के बाद से मिलावटखोर बेधड़क अपना काम कर रहे हैं और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इनके खिलाफ 2020 में शुद्धि के लिए युद्ध अभियान तत्काली कांग्रेंस के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट द्वारा बड़े पैमाने पर चालाया गया था। कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई हुई थी और बड़ी संंख्या में मिलावटखोरों की करस्तानी सामने आई थी।

इसके बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई। मंत्री तुलसी सिलावट भाजपा सरकार में भी मंत्री बने, लेकिन मिलावटखोरोंं के खिलाफ अभियान नहीं चलाया। शुद्धि के लिए युद्ध अभियान अचानक ऐसा ठप्प हुआ कि इसके बाद मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई ही बंद हो गई। दो वर्षों तक लाकडाउन रहा, इसके बाद से मिलावटखोरों के खिलाफ कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया गया। क्राइम ब्रांंच द्वारा जरूर बीच-बीच में कार्रवाई की गई है, लेकिन इसको लेकर जिन्हें जिम्मेदारी मिली हुई है, वो चुप बैठे हैं।

हर तरह की मिलवाट होती है इंदौर में :

शहर में हर तरह के मिलावटखोर सक्रिय हैं। दूध, घी, मावा में तो मिलावट आम है। इसके लिए गए सेंपल बड़े पैमाने पर अमानक निकलते रहे हैं। साथ ही इंदौर में नकली घी बनाने की फेक्ट्री भी पकड़ी जा चुकी है। इसके साथ ही नमकीन, बादाम कतरन, चॉकलेट, मिठाई यहां तक कि परवल सब्जी में हरा कलर मिलाने के मामले भी इंदौर में सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी नियमित रूप से बड़ी कार्रवाई नहीं होना कई सवालों को उठाती है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के वेस्टर्न रीजन ऑफिस की साइंटिस्ट वैदेही कळझुणकर एक कार्यक्रम में शामिल होने इंदौर आई थीं। उन्होंने बताया कि दूध में पानी और डिटर्जेंट मिलाना आम बात है। ये बात कम ही लोग जानते होंगे कि कई कारोबारी लाशों को सडऩे से बचाने वाला केमिकल भी दूध में मिलाते हैं। ऐसा नहीं है कि यह खुलासा पहली बार हुआ है, पूर्व में भी यह बात सामने आई थी कि फॉर्मेलिन केमिकल मावे में लंबे समय से मिलाया जा रहा है, ताकि उसे सड़ने से बचाया जा सके। इसी तरह यह केमिकल मछली और अन्य नॉनवेज बेचने वाले भी इसका उपयोग करते आ रहे हैं।

बच्चों के खाद्य सामग्री में केमिकल की मिलावट :

वर्ष 2021 में लॉक डाउन के बाद से अब तक कई प्रमुख त्यौहार निकल गए और एक बार फिर सवान माह के बाद त्यौहारी सीजन शुरू हो रहा है, लेकिन इस दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा शहर में कोई बड़ा अभियान नहीं चला है। सूत्रों का दावा है कि शहर में बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों में मिलावट के साथ ही डेरी प्रोडक्ट में मिलावट हो रही है। इसके साथ ही बच्चों के लिए बनाए जाने वाले पैकिंंग फूड में भी हानिकारक केमिकल मिलाए जा रहे हैं, जिनकी जांच ही नहीं होती है और न ही उनके सेंपल लिए जा रहे हैं। इस कारण चिकित्सकों का कहना है कि बच्चे पीलिया जैसी घातक बीमारी के शिकार हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर शहर में इस बार बच्चे पीलिया के साथ ही पेट से जुड़ी अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। 5-10 रुपए में आकर्षक पैकट में मिलने वाली खाद्य सामग्री बच्चों को आकर्षित करती है। इसमें टेस्ट बढ़ाने के लिए अजीनोमोटो सहित अन्य केमिकल और खराब तेलों का इस्तेमाल हो रहा है।

यह कहना है इनका :

खाद्य एवं औषधि विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा शहर में लगातार सेंपल की कार्रवाई की जा रही है। वर्तमान में चुनाव के कारण कार्रवाई नहीं हो रही थी। आगे हम बड़े पैमाने पर अभियान चलाएंगे।

डॉ. वीएस सैत्या, अभिहित अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, इंदौर

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