Indore Foundation Day
Indore Foundation DaySyed Dabeer Hussain - RE

आज ही के दिन हुई थी इंदौर की स्थापना, जानिए कैसे मिला इंदौर को यह नाम?

मल्हारराव होलकर के द्वारा मालवा के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में होलकर वंश की नीव रखते हुए इंदौर को अपनी राजधानी बनाया गया था।
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी और मिनी मुंबई के नाम से पहचाने जाने वाले इंदौर का आज स्थापना दिवस है। आज शहर अपना 307वां स्थापना दिवस मना रहा है। बताया जाता है कि राव राजा नन्दलाल मंडलोई के द्वारा इंदौर की स्थापना 3 मार्च 1716 में की गई थी। मल्हारराव होलकर के द्वारा मालवा के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में होलकर वंश की नींव रखते हुए इंदौर को अपनी राजधानी बनाया गया था। हालांकि देवी अहिल्या बाई ने महेश्वर को राजधानी बनाया, लेकिन कुछ कारणों के चलते इंदौर को फिर से राजधानी बना दिया गया। आज इस खास दिन के मौके पर चलिए आपको बताते हैं इंदौर से जुड़ी खास बातें।

इंदौर हुआ कर मुक्त :

राव राजा नन्दलाल मंडलोई ने तत्कालीन दिल्ली के बादशाह को एक अर्जी भेजकर इंदौर को कर मुक्त करने का निवेदन किया था। जिसकी अनुमति उन्हें 3 मार्च 1716 को मिल गई थी, इसके बार यहाँ व्यापारियों को व्यापर कर में छूट मिलने लगी। जिसका परिणाम यह हुआ कि बड़े व्यापारी और अन्य लोग इंदौर में आकर बसना शुरू हो गए। बता दें कि इंदौर के नन्दलालपुरा का नाम नन्दलाल मंडलोई के नाम पर ही पड़ा है।

कैसे मिला इंदौर को नाम?

जानकारी के अनुसार 8वीं शताब्दी के दौरान राजकोट के राजा इंद्र तृतीय ने त्रिकोणीय युद्ध में जीत स्थापित की थी। इसके बाद उन्होंने यहां एक शिवालय की स्थापना करवाई और इसका नाम इन्द्रेश्वर महादेव रख दिया। इसके बाद से इस शहर को इन्द्रपुरी के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन 18वीं सदी के दौरान मराठाओं ने द्वारा इन्द्रपुरी को इंदूर कर दिया गया। क्योंकि मराठी में इन्द्रपुरी का उच्चारण इंदूर हुआ था। यह नाम चलन में आने लगा लेकिन इसी सदी के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने इंदूर को बदलकर इंदोर (Indor) कर दिया और कुछ समय के बाद ही इसे इंदौर (Indore) किया गया। जोकि आज तक बना हुआ है।

होलकर वंशज आज भी हैं इंदौर में :

जानकारी के अनुसार साल 1860 के दौरान दामोदर राव इंदौर आए थे। यहाँ उनकी चाची ने उनकी शादी करवा दी, लेकिन उनकी पहली पत्नी का जल्दी ही निधन हो गया। जिसके बाद उनकी दूसरी शादी हुई और एक बेटे लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। इस बीच 28 मई 1906 को दामोदर राव का निधन हो गया।

इसके बाद लक्ष्मण राव ने इस पीढ़ी को आगे बढ़ाया और उनके यहाँ बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव का जन्म हुआ। इस कड़ी में कृष्ण राव के दो बेटे मनोहर राव, अरूण राव और चंद्रकांत राव के तीन बेटे अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव का जन्म हुआ। सूत्रों के मुताबिक लक्ष्मण राव और कृष्ण राव इंदौर कोर्ट में बतौर टाईपिस्ट काम करते थे। इसके अलावा अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल में काम करते थे। जबकि उनके बेटे योगेश राव एक सॅाफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

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