राजधानी से शुरू होगा देश का ई-वेस्ट से जुड़ा पहला पायलट प्रोजेक्ट

मध्यप्रदेश में स्वच्छता की रेस में इंदौर के अग्रणी रहने के बाद अब राजधानी भी स्वच्छता की तर्ज पर आगे बढ़ चुकी हैं, इसके चलते होगा अब कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान।
ई-वेस्ट से जुड़ा पहला पायलट प्रोजेक्ट होगा शुरू
ई-वेस्ट से जुड़ा पहला पायलट प्रोजेक्ट होगा शुरूDeepika Pal - RE
Published on
Updated on
2 min read

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में स्वच्छता की रेस में इंदौर शहर के अव्वल रहने के बाद अब राजधानी भी स्वच्छता की तर्ज पर आगे बढ़ चुकी है, जिसके चलते राजङानी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई-वेस्ट क्लीनिक खोली जा रही है, जिसे देश की पहली इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट क्लीनिक के तौर पर माना जा रहा है। इसका शुभारंभ आगामी 23 जनवरी को भोपाल के एमपी नगर जोन-1 में किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने राजधानी को चुना, जिसे लेकर बीते दिनों एक एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर किए गए थे।

पूरे भारत में लागू करने की तैयारी :

बता दें कि, भोपाल नगर निगम और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आपसी सहमति से यह पायलट प्रोजेक्ट 3 महीनों के लिए शुरू किया जाएगा साथ ही इसे पूरे भारत में लागू करने का ढाँचा भी तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि, इस प्रोजेक्ट का निर्धारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी 2016 के तहत किया गया है। आपको बता दें कि, यह क्लीनिक कंडम लो फ्लोर की बसों में तैयार की जा रही है। इस क्लीनिक को राजधानी के एमपी नगर के जोन-1 क्षेत्र के अलावा अरेरा कॉलोनी, न्यू मार्केट, बैरागढ़ और होशंगाबाद रोड पर स्थापित किया जाएगा।

क्या है ई-वेस्ट क्लीनिक :

बता दें कि ई-वेस्ट क्लीनिक एक तरह का वाहन चलित कचरा निपटान तकनीक है जिसे कंडम लो फ्लोर बसों में संचालित किया जाएगा। जिसके भीतर बस में दो भाग तैयार किए गए हैं, जिसमें एक जगह ई-वेस्ट को तौला जाएगा वहीं दूसरी जगह अलग-अलग ई-कचरा रखा जाएगा। साथ ही एक टीवी भी लगाई जा रही है जिसमें पर्यावरण को होने वाले नुकसान के विषय पर आधारित छोटी-छोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई जाएंगी। इस क्लीनिक में वैज्ञानिक तरीके से ई-वेस्ट का कलेक्शन, निस्तारण होगा।

सिर्फ 2 प्रतिशत ही कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान :

बता दें कि, राजधानी में हर साल 435 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। जिसमें केवल 2 प्रतिशत कचरे का ही वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाता है। इस संबंध में ई-कचरे का डिस्पोज करने वाली संस्था के निदेशक इम्तियाज अली ने बताया कि सबसे पहले जिला प्रशासन ने ई-अपशिष्ट प्रबंधन रैग पीकर्स उत्थान परियोजना कचरा उठाने की शुरुआत की थी। इसके लिए एक मोबाइल नंबर भी जारी किया था। लेकिन इसके बाद भी 10 प्रतिशत लोगों ने ही कॉल करके ई-कचरा बेचा।

नियम और जुर्माना तय :

इस संबंध में जानकारी देते हुए विशेषज्ञ ने बताया कि, ई-वेस्ट को यदि खुले में फेंका जाता है और कबाड़ी को बेचा जाता है तो 3 लाख रूपए तक का जुर्माना और एक साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही इस प्रोजेक्ट को लेकर किए गए सर्वे में सामने आया है कि, अब तक शहर की 86% आबादी को ई-वेस्ट के नियमों की जानकारी नहीं है।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com