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तिलक सिंदूर में आदिवासी समाज के तिरस्कार से आक्रोशित हुआ संगठन, तहसीलदार एवं अधिकारियों को हटाने ज्ञापन सौंपा

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : सोमवार को स्थानीय पीपल चौक पत्रकार भवन के सामने आदिवासी जनसमुदाय के लोगों ने धरना दिया। इसके पश्चात राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।
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नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। आदिवासी जनसमुदाय की आस्था का केंद्र तिलक सिंदूर में आदिवासी समाज के लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार से आदिवासी संगठन में आक्रोश बन गया है। संगठन ने संबंधित अधिकारियों को हटाने को लेकर मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को स्थानीय पीपल चौक पत्रकार भवन के सामने आदिवासी जनसमुदाय के लोगों ने धरना दिया। इसके पश्चात राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।

आदिवासी समाज के सुमित फागराम व आदिवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष अरूण प्रधान ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने पेसा एक्ट कानून का उल्लंघन किया है, साथ ही आदिवासी समाज के लोगों से बदसलूकी कर एफआईआर की धमकी दी है। जिससे 89 विकासखंडो के आदिवासी समाज को आहत पहुंचा है। उन्होने बताया कि 15 नवंबर 2022 को प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर आदिवासी अनिसूचित विकासखंडों की ग्राम पंचायतों को विशेष अधिकार प्रदान किए गए है। जिसका प्रदेशस्तरीय पहला जनजागृति सम्मेलन आदिवासी विकास खंड केसला में मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। परंतु दुर्भाग्य की बात है कि इटारसी एसडीएम मदनसिंह रघुवंशी, तहसीलदार राजीव कहार, केसला जनपद सीईओ वंदना कैथल व थाना प्रभारी श्रीवास्तव द्वारा पैसा एक्ट का खुला उल्लंघन किया गया है।

उन्होंने कहा कि पैसा एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों द्वारा तिलकसिंदूर मेला आयोजित कराने को लेकर समस्त दस्तावेजों के साथ हमारे द्वारा कलेक्टर को अवगत कराया था, उसके बाद भी ब्लॉक के अधिकारियों द्वारा आदिवासी स्वयंसेवकों, ग्रामसभा के अध्यक्ष एवं सदस्यों को मेला संचालन नही करने दिया गया। समाज को यह कहकर हटाया गया कि यह स्थल और मेला प्रशासन का है। एक-एक नारियल पर प्रशासन का अधिकार है। किसी भी स्वयंसेवकों और आदिवासी की यहां कोई आवश्यकता नहीं है, यहां से चले जाओ नहीं तो एफआईआर करवाकर बंद कर डंडे पड़वायेगे, यहां कोई पैसा एक्ट नहीं लागू होगा। जिससे हम आहत होकर शांतिपूवक मेले में से वापस निराश लौट आए। ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो। परंतु अधिकारियों के तानाशाही रवैये को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है। यदि 15 दिवस के अंदर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई नही की गई तो आदिवासी समाज द्वारा सडक़ो पर उतरकर प्रदर्शन किया जावेगा।

इनका कहना है :

केसला ब्लॉक के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पैसा एक्ट कानून का उल्लंघन कर आदिवासी समाज का तिरस्कार किया है। जिससे आक्रोशित होकर संगठन ने संबंधित अधिकारियों को हटाने के लिए मांग की है।

सुमित फागराम, सदस्य, समाजवादी जन परिषद केसला

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