सागर, मध्यप्रदेश। शहर सहित जिले में अवैध मादक पदार्थों की कई बड़ी खेपे पकड़ी गई हैं, लेकिन यह मादक पदार्थ कहां से आए और कहां जा रहे थे इसकी जानकारी पुलिस नहीं निकाल पाती है। बहेरिया थाना क्षेत्रान्तर्गत पकड़ी गई शराब भी पुलिस के लिए अब पहेली बनती नजर आ रही है। जिसके कारण पुलिस की कार्यशैली चर्चाओं में बनी हुई है।
जिस तरह से पुलिस ने बताया कि, 'लावारिश स्थिति में ट्रक मिला था जिसकी मुखबिर द्वारा पुलिस को सूचना दी गई थी कि इस ट्रक में शराब है। पुलिस ने यह शराब पकड़ भी ली लेकिन न तो पुलिस के पास ड्राइवर की जानकारी न ही पुलिस यह पता कर पाई की शराब की इतनी बड़ी खेप कहां जा रही थी। वहीं दूसरी ओर राजनैतिक गलियारों में भी जोरशोर से इस मामले को उठाया जा रहा है।'
आखिर क्यों नहीं पकड़े जाते बड़े आरोपी:
पुलिस द्वारा अवैध शराब, गांजा, हथियार के कई जखीरे पकड़े गए, लेकिन इन बड़ी कार्यवाहियों में पुलिस यह पता नहीं कर पाई कि आखिर यह अवैध कारोबार किसके इशारे पर हो रहा था या यह सभी बड़ी खेपे कहां से आई थी और कहां जा रहीं थी। फिर चाहे वह अवैध शराब का मामला हो या गांजे का पुलिस अब भी कई मामलों में जांच ही कर रही है। आरोपी पकड़े जाने के बाद भी पुलिस को यह पता नहीं चल पाता कि यह माल कहां जा रहा था जिसे देख लगता है कहीं न कहीं पुलिस मामलों में वाह-वाही लूटने के बाद कागजी घोड़े दौड़ाती रहती है।
सुरा प्रेमियों को मालूम है ठिकाना:
जिले के हर- गली मुहल्लों ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है। आलम यह है कि सुरा प्रेमियों को हर गली मुहल्ले में मिलने वाली अवैध शराब का पता ठिकाना मालूम रहता है लेकिन वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार विभागों को इन अवैध ठेकों की जानकारी तक नहीं मिल पाती जो अपने आप में अनोखी बात है। जबकि शहर के चौराहों से लेकर संक्रीर्ण गलियों तक खूब अवैध शराब बेंची जा रही है। उपनगरीय क्षेत्र मकरोनियां, रजाखेड़ी, शंकरगढ़, बटालियन, कोरेगांव सहित शहरी क्षेत्र मोतीनगर, बड़ा करीला, छोटा करीला, भैंसा, गोपालगंज, तिली गांव, सदर, मछरयाई, पंडापुरा, कनेरादेव में कई स्थानों पर अवैध शराब के कई छोटे-बड़े व्यापारी व्यापार कर रहे हैं।
सुस्त पड़ा आबकारी विभाग:
पुलिस द्वारा तो कई बार अवैध शराब पकड़ऩे की कार्यवाहियां की जा चुकी हैं, लेकिन आबकारी विभाग तो जैसे जिले में सुस्त अवस्था में नजर आता है। जबकि आबकारी विभाग की मुख्य रूप से अवैध शराब बिक्री रोकने की जिम्मेदारी रहती है। लेकिन जिले में देखा जाए तो सर्वाधिक पुलिस द्वारा ही अवैध शराब बिक्री को रोकने के लिए कार्यवाहियां की गई हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो आबकारी विभाग में अवैध शराब व्यापारियों की सांठगांठ के चलते विभाग के अधिकारी इन पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। जबकि विभाग के अधिकारियों को अवैध शराब बिक्री की जानकारी बखूबी रहती है।
जिले में चल रहे अवैध मादक पदार्थो की अवैध बिक्री का आलम यह है कि, कई नाबालिग और युवा भी इसके चंगुल में फंसकर बर्बाद हो रहे हैं। रात के समय तो कई इलाकों में आलम यह रहता है कि सुरा प्रेमी रास्तों के किनारे अपने वाहनों को खड़ा करके मदिरा पान करते नजर आते हैं लेकिन जिले में अवैध शराब पर लगाम नहीं लग पा रही है और पुलिस और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है।
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