इंदौर, मध्यप्रदेश। बिजली चौबीसों घंटे वितरित होती है, मौसमी कारणों, प्राकृतिक कारणों एवं मनुष्य की लापरवाही से भी बिजली कई बार चली जाती है। चौबीस घंटे में कुल 1440 मिनट होते है, यदि पांच मिनट भी बिजली चली जाती है, तो विभिन्न माध्यमों से दस शिकायतें की जाती हैं। उपभोक्ताओं को थोड़ा धैर्य रखने की भी जरूरत है। बिजली का वितरण सैकड़ों किमी के नेटवर्क से जुड़ा होता है। स्थानीय बिजली केंद्रों से आपके घर तक बिजली लगभग दो से चार किमी दूर से आती है। ऐसे में कही कोई पक्षी, सांप, गिलहरी, कबूतर, चमगादड़, तोते से भी कई बार तार जुड़ जाते हैं। कई बार तो इन जीवों के मल मूत्र के कारण दो तार आपस में संपर्क में आ जाते हैं, जिससे ट्रांजिंट ट्रिपिंग हो जाती है।
बिजली कंपनी के अनुसार घर का पंखा पूरी तरह घूमना बंद नहीं होता है, उससे पहले वाट्सएप, ट्वीटर, या अन्य माध्यमों से बिजली जाने की सूचना दे दी जाती है, जबकि ऐसे ट्रिपिंग में अधिकतम दो, तीन मिनट मे बिजली प्रदाय सामान्य हो जाता है। पतंग की डोर, पेड़ों की टहनियां, होर्डिंग्स, त्रिपाल, चद्दर इत्यादि बारिश के दिनों में तार के पास आने पर भी फाल्ट हो जाते हैं।
सावधानी के लिए भी बंद करते है सप्लाई :
बताया गया कि इसके अलावा बहुत तेज हवा या बारिश में कुछ समय के लिए जान माल की रक्षा के लिए भी बिजली केंद्र से प्रवाह बंद किया जाता है, ताकि लाइनों को नुकसान न पहुंचे यादि कही कोई तार टकरा जाए या दुर्भाग्यवश टूट जाए तो किसी को जान पर खतरा न आए। मौसम में असामान्य बदलाव पर तीन सौ करोड़ का विमान भी तय कार्य नहीं कर पाता है, तय स्थान पर नहीं उतर पाता है, ऐसे में तेज हवा यानि आंधी तूफान में कुछ मिनट के लिए बिजली जाने पर हंगामा कुछ समझ से परे जान पड़ता है।
सांप, मोर से भी होता है फाल्ट :
मालवा और निमाड़ में वर्ष में लगभग 100 से ज्यादा बार मात्र सांप के कारण फाल्ट होते हैं। कई बार पांच से सात फीट के सांप ग्रिड, ट्रांसफार्मर पर चढ़ जाते है, जिनके दो सिरे अलग अलग जगह होने से फाल्ट हो जाते हैं। पिछले एक सप्ताह में ही दो बड़े फाल्ट सांप के कारण हुए है। इंदौर, धार, देवास, खरगोन, उज्जैन, जिले में भी ऐसे फाल्ट सामने आते है, कई बार मोर भी तारों के संपर्क में आ जाता है।
बिजली कंपनी का उपभोक्ताओं से अनुरोध :
बिजली कंपनी ने उपभोक्ताओं से अनुरोध किया है कि, यदि नेटवर्क बंद है, या फिर किसी मजबूरी, आपतकालीन इंतजाम के लिए बंद किया है तो कुछ समय इंतजार करे। कई बार पांच सात किमी दूर मौसम बिगड़ जाता है, ऐसे में 33 केवी, 11 केवी के फीडर कुछ मिनट के लिए मजबूरीवश बंद करना होते हैं। लोग अतिक्रमण कर पानी का बहाव अवरूद्ध कर देते हैं, कई बार बारिश के दौरान ग्रिड के पास बहुत पानी भराने से भी सुरक्षा कारणों से बिजली बंद की जाती है। बिजली बंद करने में कंपनी का ही नुकसान है, लेकिन संसाधन एवं जानमाल की सुरक्षा के लिए मजबूरी वश बिजली बंद करना ही होती है। सिर्फ एक उपभोक्ता के घर की ही बिजली बंद होने पर काल सेंटर 1912, ऊर्जस एप के अलावा लोकल जोन, वितरण केंद्र के नंबर पर शिकाय़त दर्ज की जाए।
इनका कहना है :
तेज बारिश, आंधी के कारण कई बार बिजली प्रदाय अवरूद्ध हो जाता है। कुछ मिनट बाद स्थिति सामान्य कर दी जाती है। जीव जंतुओं के कारण भी कई बार फाल्ट देखे गए है। बिजली कंपनी के कर्मचारी अधिकारी जहां भी आपूर्ति प्रभावित होती है, वहां कम समय में स्थिति सामान्य करने का प्रयास करते हैं।
अमित तोमर, एमडी मप्रपक्षेविविकं, इंदौर
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