Gwalior : जेनरिक की जगह प्राईवेट ब्रांड की दवा लिखी तो विभागाध्यक्ष पर होगी कार्रवाई
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। मरीजों के पर्चे पर अब जेनरिक की जगह प्राईवेट ब्रांड की दवा लिखने पर चिकित्सक ही नहीं विभागाध्यक्ष पर भी कार्रवाई होगी। ऐसा पत्र जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने जेएएच के सभी विभाग के विभागाध्यक्षों के लिए लिखा है।
जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ को कुछ दिनों से शिकायतें प्राप्त हो रही थीं कि अस्पताल की ओपीडी और आईपीडी के मरीजों को जेनरिक की जगह प्राईवेट ब्रांडो की दवा चिकित्सकों द्वारा लिखी जा रही हैं। इस पर अस्पताल अधीक्षक ने पहले मौखिक रूप से विभागाध्यक्षों को अवगत कराया कि वह अपने-अपने विभागों के चिकित्सकों को मरीजों के पर्चे पर सिर्फ जेनरिक और जो दवायें अस्पताल में उपलब्ध हैं वही लिखने के लिए कहें। लेकिन उसके बाद भी कुछ चिकित्सक कमीशन के चक्कर में मरीजों को बाहर की दवा लिख रहे हैं। इससे तंग आकर अस्पताल अधीक्षक ने विभागाध्यक्षों को सख्त हिदायत देते हुए कार्रवाई के लिए उत्तरदायित्व ठहराते हुए पत्र लिखा है।
यह लिखा पत्र में :
आपके अधीनस्थ चिकित्सकों एवं कंसल्टेंटों द्वारा ओ.पी.डी. एवं आई पी.डी. के मरीजों को दवा पर्ची पर प्राईवेट ब्रांडों की दवाएं लिखी जाती है, स्टोर में अनुपलब्ध दवाएं लिखी जाती हैं, साथ ही अपने नाम की सील एवं हस्ताक्षर भी अंकित नहीं किया जाता है। जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में आपको पूर्व में भी कई बार समय-समय पर पत्राचार कर अवगत कराया जाता रहा है, परंतु इसके पश्चात भी व्यवस्थाओं में आशानुरूप सुधार प्राप्त नहीं हुआ है, जिसके कारण जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान नाराजगी व्यक्त की जाती है । उक्त संबंध में आपको पुन: निर्देशित किया जाता है कि आप अपने अधीनस्थ चिकित्सकों एवं कंसल्टेंटों को निर्देशित करें कि वे ब्रांडेड दवाओ के स्थान पर, जो दवाए स्टोर में उपलब्ध हैं अथवा जेनरिक दवाएं लिखें। साथ ही वह मरीजों से सबधित पर्चों जैसे दवा पर्ची, जांच पर्ची एवं अन्य पर अपने नाम की सील एवं हस्ताक्षर अंकित करें। अन्यथा किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति के लिए समस्त उत्तरदायित्व स्वयं आपका होगा।
अब पर्ची पर सील के साथ लिखना होगा नाम भी :
मरीजों को लिखे जाने वाली दवा पर्ची और जांच पर्ची पर चिकित्सक या कंसल्टेंटो को अपने हस्ताक्षर करने के साथ-साथ अपना नाम भी लिखना होगा। इस व्यवस्था के लागू होने से फायदा यह होगा कि कौन सी पर्ची किस चिकित्सक ने लिखी है। इसका पता चल जायेगा। साथ ही यह भी पता चल सकेगा कि कौन सा चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवा लिख रहा है। बस शर्त इतनी है कि अस्पताल अधीक्षक के आदेश का पालन हो।
कमीशन है पर्ची की जड़ :
अस्पताल के कुछ चिकित्सक कमीशन के चक्कर में मरीजों को पर्ची पर दवा लिखकर थमा देते हैं। उन्हें यह भी डर नहीं रहता कि यदि किसी ने पर्ची को देख लिया तो क्या होगा? डर ना होने के पीछे कारण यह है कि पर्ची पर चिकित्सक ना विभाग का नाम होता है और ना चिकित्सक का स्वयं का। वहीं कुछ चिकित्सक कमीशन के चक्कर में मरीजों को बाहर की दवा लिखते हैं। इससे उनका अच्छा खासा कमीशन बनकर तैयार हो सके। हालांकि सभी चिकित्सक ऐसा नहीं करते।
इनका कहना है :
हां, मैंने अस्पताल के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों के लिए पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से उन्हें अवगत कराया है कि मरीजों को सिर्फ जेनरिक और जो दवायें अस्पताल में उपलब्ध हैं वहीं लिखें। यदि उसके बाद भी कोई भी चिकित्सक या कंसलटेंट मरीज को बाहर की दवा लिखता है तो किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति के लिए स्मस्त उत्तरदायित्व विभागाध्यक्ष का होगा।
डॉ. आरकेएस धाकड़, अधीक्षक, जयारोग्य अस्पताल
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