हाइलाइट्स :
प्रदेश में ग्वालियर चंबल में ही भोपाल से किए गए कचरा प्रबंधन के टेण्डर
इकजाई टेण्डर का भोपाल एवं इंदौर ने किया था विरोध, इसलिए बेहतर है व्यवस्था
तत्कालीन महापौर से मांगी गई स्वीकृति तो उन्होंने जताई थी नाराजगी
ग्वालियर, मध्य प्रदेश। स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग पाने के लिए ठेके पर दी गई कचरा व्यवस्था नगर निगम अधिकारी एवं शहर वासियों के लिए मुसीबत बन गई है। ठेका देने के लिए जो टेण्डर की जो शर्तें बनाई गई थी वह बेहतर अटपटी थी। साथ ही पूरा कार्य एक ही कंपनी को देना पूरी तरह गलत निर्णय था। वर्ष 2016 में जब भोपाल, इंदौर एवं ग्वालियर में एक जैसे टेण्डर किए जा रहे थे तो इसका विरोध हुआ। भोपाल एवं इंदौर के नेताओं ने एक साथ पूरा टेण्डर देने पर आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन ग्वालियर में किसी ने रूचि नहीं ली। यही वजह रही कि भोपाल में बैठे अधिकारियों ने मनमानी करते हुए ईकोग्रीन को टेण्डर दे दिया। अब यही शहर वासियों के लिए मुसीबत बन गया है।
शहर में कचरा प्रबंधन का कार्य संभालने वाली ईकोग्रीन कंपनी ने काम बंद कर दिया है। पिछले 10 दिनों से कंपनी कोई काम नहीं कर रही। इसे देखते हुए अब नगर निगम अधिकारियों ने कंपनी के वाहनों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया है। कंपनी को 372 करोड़ रुपय में ग्वालियर सहित 16 नगरीय निकाय एवं नगर पंचायतों का कार्य दिया गया था। कंपनी ने कचरा उठाना भी शुरू किया। लेकिन ग्वालियर को छोड़कर अन्य किसी भी नगर पालिका एवं नगर पंचायत ने कचरे का भुगतान नहीं किया। वर्ष 2016 में जब भोपाल में बैठे अधिकारी कचरा प्रबंधन का ठेका कर रहे थे तब भोपाल एवं इंदौर के स्थानिय नेताओं ने इसका विरोध किया। नेताओं का मानना था कि इतना बड़ा टेण्डर किसी एक कंपनी को देना सही नहीं होगा। हर कार्य अलग-अलग करना बेहतर होगा और इसके लिए टेण्डर भी अलग से निकाले जाएं। विरोध के बाद इंदौर एवं भोपाल में इकजाई टेण्डर नहीं हुए। लेकिन ग्वालियर में किसी ने विरोध नहीं किया। भोपाल में बैठे अधिकारियों ने कचरा प्रबंधन का मनमाना टेण्डर बनाया और उसे ग्वालियर पर थोप दिया। अब यह निर्णय शहर वासी एवं निगम अधिकारियों के लिए मुसीबत बन गया है। ईकोग्रीन कंपनी ने कचरा प्रबंधन से अपने आप को अलग कर लिया है इसी वजह से नगर निगम अधिकारियों ने कंपनी के कचरा वाहनों का अधिग्रहण कर स्वयं काम शुरू कर दिया है।
इसलिए इंदौर बना देश में नंबर वन :
स्वच्छता सर्वेक्षण में तीन साल से इंदौर देश में नंबर वन का स्थान हासिल किए हुए है। इसका सबसे बड़ा कारण वहां अलग-अलग कंपनी को सौंपे गए कार्य हैं। कचरा साफ करने से लेकर कचरा उठाना, कचरे से बिजली बनाना, गीला सूखा अलग करने सहित अन्य कार्य भी विभिन्न कंपनियों को सौंपे गए हैं। यही वजह है कि सभी कंपनियों की भरपूर मैन पावर मोजूद है और पैसा खर्च करने पर सही परिणाम भी सामने आ रहे हैं। ग्वालियर में एक ही कंपनी को पूरा काम सौंपना सबसे बड़ी गलती रही है।
दस्तावेजों का संधारण बना बड़ी मुसीबत :
ईकोग्रीन कंपनी नगर निगम के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही कर सकती है। इसका जबाव देने के लिए नगर निगम को भी पूरी तैयारी करनी पड़ेगी। यही वजह है कि वाहन अधिग्रहण करने के साथ निगमायुक्त संदीप माकिन ने निगम अधिकारियों को विभिन्न जबावदारी सौंप दी है। अधिग्रहण के समय वाहनों की वास्तु स्थिति दस्तावेजों की दर्ज करने एवं ईकोग्रीन के इंडिया में सहयोगी कंपनी के पदाधिकारियों के सामने सारी कार्यवाही कर हस्ताक्षर कराने की प्रकिया की जा रही है।
इन अधिकारियों को सौंपी रिकॉर्ड संधारण की जिम्मेदारी :
नरोत्तम भार्गव, अपर आयुक्त कचरा प्रबंधन।
राजेश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त।
आरके श्रीवास्तव, अपर आयुक्त।
श्रीकांत कांटे, कार्यशाला प्रभारी एवं नॉडल अधिकारी एसडब्लूएम।
अनूप लिटोरिया, विधि अधिकारी।
एपीएस भदौरिया, उपायक्त एवं नॉडल अधिकारी, वाहन अधिग्रहण।
महेन्द्र अग्रवाल, प्रभारी सहायक यंत्री।
अरविंद चतुर्वेदी, प्रभारी सहायक यंत्री।
इनका कहना है :
वर्ष 2015-16 में कचरा प्रबंधन को लेकर शासन स्तर पर निर्णय लिए गए थे। ईकोग्रीन का टेण्डर भी भोपाल स्तर पर ही फाईनल किया गया। जब हमारे पास एमआईसी की स्वीकृति के लिए पत्र आया तो मैंने लिख दिया था कि जब शासन ने निर्णय ले ही लिया है तो फिर एमआईसी की स्वीकृति की आवश्यकता ही क्या है। जहां तक कचरा प्रबंधन की बात है नगर निगम अधिकारियों को संबंधित कंपनी के खिलाफ अनुबंध के मुताबिक कार्यवाही करनी चाहिए। त्यौहार का समय है इसलिए कचरा प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मामले को लेकर मैं स्वयं मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा।
विवेक नारायण शेजवलकर, सांसद, ग्वालियर
शहर के कचरा प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ईकोग्रीन कंपनी के वाहनों का अधिग्रहण किया गया है और उनका व्यवस्थित रूप से संचालन करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उम्मीद है जल्द ही बेहतर परिणाम सामने आयंगे।
नरोत्तम भार्गव, अपर आयुक्त, नगर निगम
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