इंदौर : फायनल की परीक्षा हुई तो भी दिसंबर तक पहुंच जाएगा सत्र

इंदौर, मध्य प्रदेश : भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने केंद्रीय शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी और शैक्षिक संस्थाओं को परीक्षाएं करवाने की अनुमति दी है।
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इंदौर, मध्य प्रदेश। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने केंद्रीय शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी और शैक्षिक संस्थाओं को परीक्षाएं करवाने की अनुमति दी है। इस घोषणा को देखते तो अगर प्रदेश में फायनल इयर की परीक्षाओं की घोषणा होती है तो देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को बीए, बीकॉम, बीएससी फायनल इयर के बचे हुए पेपर की परीक्षा लेना होगी। इसके अलावा बीबीए, बीसीए, एलएलबी, बीएएलएलबी, बीएड, एमबीए समेत अन्य के फायनल सेमेस्टर की परीक्षा भी लेना होगी। इनमें कुछ विषय ऐसे हैं जिनकी परीक्षाएं तो लॉकडाउन के पहले शुरु भी नहीं हो पाई थी। यदि यूनिवर्सिटी अभी से तैयारी करती भी हैं, तो उसे कम से कम एक से ड़ेढ़ महीने का समय स्टूडेंट्स को देना होगा। यदि एक महीने बाद भी परीक्षाएं शुरु की जाती है तो कम से कम दो महीने तक तो परीक्षएं ही चलेगी, इस तरह सितंबर अंत तक परीक्षाएं चलेंगी। इसके बाद इनका रिजल्ट निकालने में दो महीने का वक्त लग जाएगा इस तरह नवंबर का समय भी खत्म हो जाएगा। इसके बाद यदि कॉपी का रिव्यू और अन्य खामिया निकलती हैं तो इससे पूरा साल ही खत्म हो जाएगा। स्टूडेंट्स का कहना है कि यदि मप्र सरकार फायनल की परीक्षा करवाती भी है तो क्या हमें तैयारी के समय मिलेगा भी या नहीं।

प्रदेश सरकार ने लिया यूटर्न :

यूजीसी ने पहले राज्यों को सितंबर अंत तक ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया था। यूजीसी ने राज्यों से परीक्षाओं के संचालन पर संशोधित दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा भी है। मप्र जहां मुख्यमंत्री ने पहले परीक्षाओं को रद्द करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब यू-टर्न ले लिया गया है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यूजी-पीजी फायनल इयर/सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण वाले स्टूडेंट की परीक्षा अलग कमरे में होगी। सिटिंग प्लान में भी स्टूडेंट्स के बीच दो मीटर की दूरी रखना जरुरी होगा। यूजीसी ने परीक्षा के लिए जारी एसओपी में यह निर्देश दिए हैं। सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण पर संबंधित स्टूडेंट को किसी और दिन परीक्षा देने के अवसर पर प्रावधान भी किया गया है। महामारी से स्टूडेंट्स और स्टॉफ की सुरक्षा के लिए यूजीसी की एसओपी का पालन किया जाएगा।

एक्जाम नहीं देने के लिए चला रहे हैं कैंपेन :

कोविड-19 संक्रमण की स्थिति में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स एक्जाम के लिए तैयार नहीं है। स्टूडेंट्स कैंपेन चलाकर एक्जाम नहीं देने की बात कर रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो राज्यों के अनुभवियों ने यूजीसी को पत्र लिखकर फाइनल इयर की परीक्षाएं करवाने के फैसले पर दोबार विचार विमर्श करने के लिए लिखा है। पत्र में लिखा गया है कि परीक्षाओं पर यूजीसी की लेटेस्ट एडवाइजरी दुर्भाग्यपूर्ण है। ये हमें आगे ले जाने की बजाय पीछे ले जाएंगे। पत्र में यह भी लिखा गया है कि इस आपदा के दौर में परीक्षाओं को रद्द करने के दो फायदे हैं। पहला इससे परीक्षाओं को बार-बार स्थगित करने से पैदा होने वाली अनिश्चितताएं खत्म होंगी। दूसरा इससे परीक्षाओं की प्रामणिकता भी बनी रहती है।

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