दमोह, मध्यप्रदेश। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों और मानवीय पहलुओं को दरकिनार करने वाले मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहां सोमवार को तेंदूखेड़ा में एक युवक सड़क पर घायल अवस्था में पड़े रहने के बाद भी उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन नसीब नहीं हुआ था और इस दौरान उसकी मौत हो गई थी, वहीं सोम-मंगल की दरमियानी रात एक मासूम की जिला अस्पताल में मौत हो जाने के चलते अस्पताल प्रबंधन ने किसी वाहन का इंतजाम करने की जगह बाईक से ही शव को ले जाने के लिए कह दिया।
लाचार और दुखित परिजन बाइक से शव को लेकर निकले भी तो देर रात बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया, जिसके बाद काफी परेशान होने के बाद हालातों को देखकर आमजन व समाजसेवियों ने आधी रात को ना सिर्फ बाईक में पैट्रोल का इंतजाम कराया बल्कि उनकी आर्थिक मदद भी की। परिजन भले ही शव को लेकर अपने घर पहुंच गए हों, लेकिन इस घटना ने फिर सामने ला दिया कि अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाएं हर एक को मुश्किल से उपलब्ध होती है।
अचानक बीमार होने से हुई मौत
प्राप्त जानकारी अनुसार मड़ियादो निवासी अंजली पुत्री हरप्रसाद 6 वर्ष कुछ दिनों पूर्व अपनी माँ के साथ अपने नानिहाल बालाकोट में रह रही थी। उसकी माँ मजदूरी करती थी और सोमवार को जब वह मजदूरी करने करके लौटी तो उसकी बेटी अंजली की तबियत ज्यादा खराब होने के चलते वह परिजनों की मदद से उसे बाइक से इलाज हेतु जिला अस्पताल लेकर आए जहाँ पर इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई।
अस्पताल प्रबंधन ने कहा बाइक से जाओ :
आरोप है कि मासूम की मौत के बाद जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से शव को ले जाने के लिए किसी वाहन की मदद मांगी तो उन्हें वाहन ना होने की बात कहते हुए जिस बाइक से बीमार बच्ची को लाए थे, उसी से वापस ले जाने के लिए कह दिया गया। परिजन देर रात बाइक से शव को लेकर निकले लेकिन इस दौरान उनकी बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया और कोई पंप ना खुला होने के चलते वह परेशान होते रहे।
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