होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। शहर में इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति पर आधारित फिल्म महारानी- 2 की शूटिंग चल रही है। शहर के विभिन्न आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थलों पर चल रही फिल्म की शूटिंग में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ रही है। प्रदेश में इन दोनों कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ चुका है और हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का आना बता चुके हैं। एक तरफ एक मंत्री ने कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं तो दूसरी तरफ जिला मुख्यालय पर जारी फिल्म की शूटिंग के दौरान ना सिर्फ कोरोना वायरस से बचाव के प्रोटोकाल बल्कि मुख्यमंत्री के निर्देशों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शहर में कोरोना प्रोटोकाल की गाइडलाइन कलेक्टर द्वारा जारी की गई है। सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क की अनिवार्यता तय है लेकिन वेब सीरीज की इस फिल्म की शूटिंग के दौरान तमाम नियम कायदे और कानूनों के साथ ही संक्रमण के प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
बड़ा सवाल अनुमति किससे ली और किसने दी :
प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग के लिए एक से एक शानदार लोकेशन मौजूद हैं। मध्य प्रदेश कुदरत के प्राकृतिक सुंदर से लबरेज है। यहां ऐतिहासिक धार्मिक और पुण्य स्थल हैं तो पर्यटकों को लुभाने और फिल्मी कथानक हूं पर दृश्य फिल्माने के लिए भी बड़ी संख्या में लोकेशन मौजूद हैं। प्रदेश सरकार खुद आगे चलकर फिल्मकारों को मध्य प्रदेश की लोकेशंस पर शूटिंग करने के लिए आमंत्रित करती रही है। उद्देश्य ही है कि मध्य प्रदेश की प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक पुरातात्विक तथा ऐतिहासिक विरासत राष्ट्रीय दृष्टि पटल पर उभर सके। लेकिन इसके लिए कुछ नियम कायदे कानून भी तय किए गए हैं। प्रकाश झा की फिल्म आश्रम से उपजे विवाद के बाद सरकार ने एक गाइडलाइन जारी कर दी है कि फिल्मकार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर शूटिंग तो कर सकेंगे लेकिन इसके लिए कलेक्टर से अनुमति लेना आवश्यक होगी। अब सवाल यह है कि होशंगाबाद में फिल्म आई जा रही इस फिल्म की शूटिंग की अनुमति किसने ली है और किसने दी है इसके बारे में अभी कुछ भी जानकारी किसी को नहीं मिल पा रही है।
400 रुपए रोज में हायर की भीड़ :
सूत्रों के अनुसार इस फिल्म की शूटिंग में स्थानीय लोगों को भी रोजगार और प्रतिभा प्रदर्शन का अवसर देने के नाम पर ठगा जा रहा है। बताया जाता है कि भीड़भाड़ वाले दृश्यों के फिल्मांकन के लिए फिल्म निर्माताओं द्वारा जिले के स्थानीय बेरोजगारों को ₹400 प्रतिदिन की मजदूरी पर हायर किया जा रहा है। यह लोग फिल्म के दृश्यों में भीड़ का हिस्सा होते हैं और सुबह से लेकर शाम तक तनावपूर्ण साथ देने की कशमकश के बीच इन्हें महज ₹400 रोजाना की मजदूरी दी जा रही है। दरअसल ये जिले के बेरोजगार नौजवान हैं इनमें फिल्म के प्रति आकर्षण भी है। और फिल्म में देखने की चाह भी यही कारण है कि निर्माता कंपनी उनकी इसी कमजोरी का लाभ उठाकर न्यूनतम मजदूरी की शर्त पर इन्हें थीम और भीड़ का सवाली दृश्यों का भागीदार बना रही है।
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