नगरपालिका में करोड़ों का घोटाला, अफसर हुए मालामाल
नगरपालिका में करोड़ों का घोटाला, अफसर हुए मालामालसांकेतिक चित्र

Hoshangabad : नगरपालिका में करोड़ों का घोटाला, अफसर हुए मालामाल

होशंगाबाद, मध्यप्रदेश : नगरपालिका परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत नल जल योजना में हुए लगभग 5 करोड़ से ज्यादा के घोटाले।
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होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। नगरपालिका परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत नल जल योजना में हुए लगभग 5 करोड़ से ज्यादा के घोटाले और अनियमितताओं की शिकायत विधायक, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, नगरीय निकाय आयुक्त, प्रमुख सचिव से लेकर लोकायुक्त तक करने के बाद भी इन घोटाले बाजों पर कार्यवाही करने की बजाय उपकृत किया जा रहा है। जहां एक ओर इस पूरे मामले में शामिल पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। वहीं इस पूरे भ्रष्टाचार का मास्टर माइंड कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला आज भी कुर्सी पर जमा हुआ है। जबकि इसके कार्यकाल के दौरान तीन सीएमओ को तबादला हो चुका है।

हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए व्यापाक घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष बी.डी. शर्मा सहित नगरीय प्रशासन मंत्री के साथ-साथ लोकायुक्त तक की गई। इसके बाद भी इन घोटालों पर कार्यवाही तो दूर, जांच के नाम पर खुलेतौर पर गुमराह किया मामले में लीलापोती के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा गठित की गई कमेटी कई महीनों से जांच में जुटी है। इस मामले की जानकारी मांगने पर जबाव दिया जा रहा है कि जांच बारीकी से की जा रही है और वार्ड-वार्ड जाकर निरीक्षण किया जा रहा है। जबकि यह पूरा मामला बड़े घोटाले का है। शिकायतें भी दस्तावेजों के आधार पर की गई। सभी दस्तावेज आरटीआई से निकाले गये हैं। पूर्व पार्षद मुन्ना ग्वाला खुलकर विरोध कर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। लेकिन शासन और आमजनता को गुमराह करने के नाम पर जांच का बहाना बनाया जा रहा है। यदि जांच चल भी रही है, तो अब तक जांच कहां पहुंची, इसकी जानकारी किसी को नहीं हैं। क्योंकि जांच की कमान भ्रष्टाचार के मास्टर माइंड कार्यवालन यंत्री रमेश चंद्र शुक्ला के हाथों में सौंपी गई है, जबकि भ्रष्टाचार इन्हीं के द्वारा किया गया है, शिकायतें भी इन्हीं की हुई हैं और जांच की जिम्मेदारी भी इन्हीं को सौंपी दी। इससे जांच में कितनी पारदर्शिता होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

विधायक सीतासरन शर्मा चुप क्यों ?

पीएम आवास योजना में 100 फर्जी लोगों के नाम पर करीब 5 करोड़ से ज्यादा का पैसे अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने हड़प लिया। करीब तीन दर्जन से ज्यादा हितग्राहियों के खाते में ज्यादा राशि डाल दी गई है। शहर के सैकड़ों पात्र हितग्राही अपनी किश्तों के लिये भटक रहे हैं, अधूरे मकानों में रहने को मजबूर हैं। कई तो पॉलीथिन तान कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। लेकिन स्थानीय विधायक डा. सीतासरन शर्मा द्वारा उक्त अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जबकि पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल का मामले में सीधे तौर पर नाम आ रहा है। अखिलेश खंडेलवाल के कार्यकाल में कुछ मामले सिद्ध होने के बाद परिषद से बर्खास्त भी किया गया, उस समय भी क्षेत्र के विधायक ने क्यों चुप्पी साधी? यह भी समझ से परे है। प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला होशंगाबाद नगरपालिका में हुआ है, इस मामले में पूर्व पार्षद मुन्ना ग्वाला ने लिखित और मौखिक भी शिकायतें विधायक से की, परंतु विधायक के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। बताया जाता है कि इस पूरे मामले को दबाने के लिये विधायक के ऊपर भी बड़ा दबाव है, इसलिये विधायक भी भ्रष्टाचार की शिकायत के मामले में मौन धारण किये हुए हैं।

एक तरफ भ्रष्टाचार, दूसरी तरफ उपकृत :

पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल को भ्रष्टाचारों के मामले में अपनी अध्यक्ष की कुर्सी तक खोनी पड़ी। जबकि समय-समय पर इनके द्वारा पार्टी संगठन का भी विरोध किया, सोशल मीडिया पर इस्तीफे जारी किये, पार्टीं संगठन की गतिविधियों के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट डाली, बावजूद इसके इनको झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के पद से नवाजा गया है। आखिर अनुशासन और सुशासन का पाठ पढ़ाने वाले भारतीय जनता पार्टी किस दबाव में ऐसे नेता को संरक्षण दे रही है, यह भी समझ से परे है। वहीं नगरपालिका में वर्षों पहले सहायक यंत्री के पद पर पदस्थ हुए रमेशंचद्र शुक्ला को पीएम आवास का नोडल अधिकारी बनाया गया, जिनके कार्यकाल में भर्ती घोटाला, पीएम आवास योजना, अमृत योजना सहित अन्य योजनाओं में करोड़ों के घोटाले उजागर हुए, जिसकी शिकायतें हुईं, जांच लंबित पड़ी है, लेकिन इन पर भी कार्यवाही करने की बजाय इन्हें सहायक यंत्री से कार्यपालन यंत्री के पद पर पदोन्नत कर दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है खेल जमीन से लेकर राजधानी तक चल रहा है।

कमिश्नर को है हटाने का अधिकार :

नगरपालिका परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई योजनाओं में घपले घोटाले की पांच सौ पेज की जानकारी पूर्व पार्षद मुन्ना ग्वाला ने सूचना के अधिकार के तहत हासिल की है। इस पूरे मामले में कलेक्टर सहित अन्य लोगों को भी शिकायतें की जा चुकीं हैं। इस शिकायत में कई घपले-घोटलों के साक्ष्य भी सामने आये हैं और संबंधित अधिकारी रमेशचंद्र शुक्ला सीधे तौर पर लिप्त भी हैं, लेकिन इन्हें हटाये तो कौन? किसी विधायक की, विभाग के अधिकारी की तो हिम्मत नहीं। परंतु प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि इस मामले में नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर को अधिकार हैं। यदि वह चाहें तो इस पूरे मामले की जांच कर संबंधित अफसर पर कार्यवाही कर सकते हैं।

इनका कहना है :

प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की शिकायत विधायक, मंत्री, लोकायुक्त सहित सभी जिम्मेदारों की जा चुकी है। इसके बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस घोटाले में सीधे तौर पर पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल और कार्यपालन यंत्री रमेशचंद्र शुक्ला दोषी हैं। इन पर कार्यवाही होनी चाहिए।

मुन्ना ग्वाला, पूर्व पार्षद, ग्वालटोली

नगरपालिका में दैनिक वेतन भोगियों और पीएम आवास को लेकर लगातार शिकायतें की हैं। लेकिन अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।

प्रशांत श्रीवास, जागरूक नागरिक

पीएम आवास योजना में हुए भ्रष्टाचार को लेकर मैंने तत्कालीन कलेक्टर को पत्र लिखकर न्यायिक जांच की मांग की थी। मुझ पर लगाये जा रहे आरोप पूरी तरह से गलत हैं।

अखिलेश खंडेलवाल, पूर्व नपाध्यक्ष

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