शेरू खान की मोहब्बत का मुरीद है कबूतरों का कुनबा
शेरू खान की मोहब्बत का मुरीद है कबूतरों का कुनबाराज एक्सप्रेस, संवाददाता

शेरू खान की मोहब्बत का मुरीद है कबूतरों का कुनबा, जिसे बुलाते वह आ बैठता है कंधे पर

शेरू खान ने 400 कबूतरों का पूरा कुनबा पाल रखा है और सभी के अलग-अलग नाम भी रखे हुए हैं। खास बात यह है कि वह जिस भी कबूतर को नाम लेकर पुकारते हैं, वह हुजूम से उठकर इनके कंधे पर आकर बैठ जाता है।
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होशंगाबाद, मध्यप्रदेश। फिल्म मैंने प्यार किया का मशहूर गीत कबूतर जा-जा-जा तो सभी को याद होगा, जिसमें एक कबूतर नायिका की चिठ्ठी लेकर जाता है, लेकिन होशंगाबाद में एक ऐसे पक्षी प्रेमी हैं, जिन पर कबूतर आ-आ-आ की कहावत चरितार्थ है। इन महाशय ने 12 नहीं बल्कि 400 कबूतरों का पूरा कुनबा पाल रखा है और सभी के अलग-अलग नाम भी रखे हुए हैं। खास बात यह है कि यह जिस भी कबूतर को नाम लेकर पुकारते हैं, वह हुजूम से उठकर इनके कंधे पर आकर बैठ जाता है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पक्षी प्रेमी शेरू खान की। नेहरू पार्क के सामने दरगाह पर स्थित चाय की दुकान लगाने वाले शेरू खान को परिंदों से बेहद प्यार है, पक्षी प्रेमी सालिम अली की तरह शेरू खान भी परिंदों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करते हैं। यही कारण है कि कुछ कबूतरों से शुरू हुआ परिंदों का कुनबा अब 400 की संख्या तक जा पहुंचा है।

हर कबूतर को दिया है अलग नाम :

शेरू खान ने अपने कबूतरों के कुनबे में शामिल हर पक्षी का अलग नाम दिया हुआ है, टीना, मीना, सुल्तान, जे, जेटली, बादशाह, भूरी, जंबू, जेट, शहंशाह, शमशेर, जांबाज, सूरमा, बहादुर, आदि अलग-अलग नाम दे रखे हैं। कबूतरों के कुनबें में से शेरू खान जिस भी कबूतर को नाम से पुकारते हैं, वह फल या दाना खाने इनके कंधे और बांह पर आकर बैठ जाता है और हथेली पर रखा दाना चुगने लगता है।

कबूतरों के कुनबे में दादा दादी और नाना नानी तक शामिल :

पक्षी प्रेमी शेरू खान ने जब कबूतर पालना शुरू किया था तब कुनबे में बहुत थोड़े कबूतर थे लेकिन आज बढ़ते बढ़ते है कुनबा 400 की संख्या को पार कर गया है। खास बात है कि इस कुनबे में दादा-दादी और नाना नानी जैसे बुजुर्ग कबूतरों से लेकर उनके नाती-पोते तक शामिल है। रोज सुबह शाम शेरू खान अपने परिश्रम की कमाई से उन्हें नियमित दाना चुगाते हैं, उनके पानी का इंतजाम रखते हैं पिछले दिनों बड़ी तेज सर्दी के दौरान शेरू ने अपने कबूतरों को शीतलहर से बचाने के लिए उनके कान में पन्नी लगाकर उसे अच्छे से कवर कर दिया था, ताकि उनके प्यारे कबूतर मौसम की मार से महफूज रह सके। आज आलम है कि शेरू खान ही नहीं बल्कि शहर के अलग-अलग इलाकों से भी लोग इन कबूतरों को दाना चुगाने के लिए पहुंचते हैं।

चुगते पक्षी देख बहुत खुशी मिलती है :

शहर के पक्षी प्रेमी शेरू खान ने चर्चा के दौरान बताया कि परिंदे उन्हें शुरू से ही बहुत प्यारे लगते हैं, जब यह दाना चुगते हैं और अठखेलियां करते हैं तो इन्हें देखकर मन प्रसन्न हो जाता है और बेहद खुशी मिलती है। शेरू खान का मानना है कि पशु पक्षी भी ईश्वर की बनाई हुई एक अनुपम कृति है और हमें इनकी देखभाल तथा इन पर दया करना चाहिए। शेरू खान के मुताबिक वह अपने कबूतरों की देखभाल बच्चों की तरह करते हैं। यही कारण है कि आज है कुनबा इतना बड़ा हो गया है और यह सभी मेरे परिवार के सदस्य की तरह बन गए हैं।

समाज सेवा में भी अग्रणी है शेरू खान :

पक्षी प्रेमी शेरू खान समाज सेवा में भी पीछे नहीं हैं परोपकार के कामों में में हमेशा आगे रहते हैं। एक छोटी सी दुकान चलाने वाले शेरू खान की आजीविका का साधन एक चाय की दुकान ही हैं। लेकिन कई बार लोगों की मदद करने में वह ना सिर्फ अपनी जमा पूंजी बल्कि जान की बाज़ी तक लगा देते हैं। पिछले दिनों शहर में आए भीषण बाढ़ के दौरान शेरू खान ने कई लोगों की मदद की और उन्हें डूबने से बचाने तथा सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में अपने जीवन तक की परवाह ही नहीं की।

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