जबलपुर, मध्यप्रदेश। उच्च न्यायालय ने हनीट्रैप मामले की मुख्य आरोपी श्वेता विमल जैन की जमानत याचिका को सुनवायी के बाद खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अंजली पालो ने सुनवाई के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रकरण गंभीर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का है और महिलाओं की छवि धूमिल करने वाला है।
इंदौर जेल में निरूद्ध श्वेता विजय जैन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि प्रकरण में सह-आरोपी मोनिका यादव के पिता की शिकायत पर सीआईडी भोपाल ने उसके सहित अन्य लोगों के खिलाफ धारा 370, 370 ए तथा 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया था। उक्त अपराधिक प्रकरण में उसे 4 नवम्बर 2019 को गिरफ्तार किया गया था, तभी से वह न्यायिक अभिरक्षा में है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उसकी उम्र 42 साल है और इंदौर के पलासिया थाने में दर्ज अपराधिक प्रकरण में उसके तथा सहआरोपियों को जमानत का लाभ मिल गया है। याचिका में कहा गया था कि जिला न्यायालय में शिकायतकर्ता अपने बयान से मुकर गया था और उसे पहचाना तक नहीं था। पुलिस ने बेटी को छोड़ने का प्रलोभन देकर उसके हस्ताक्षर लिये थे। एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि प्रकरण की मुख्य गवाह मोनिका यादव ने न्यायालय में दिये गये बयान में आरोपियों पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के गंभीर आरोप लगाये हैं। आरोपी नवयुवतियों को अनैतिक कार्य में ढकेलती थी और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते थी।
याचिकाकर्ता के पास से लगभग साढे 62 लाख रूपये नगद तथा 27 लाख रूपये के जेवरात बरामद किये गये थे। एकलपीठ ने उक्त तल्ख टिप्पणी के साथ याचिका को खारिज कर दिया।
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