हाइलाइट्स :
इस बार राजबाड़ा पर दो होली का हुआ दहन
देर रात मिली अनुमति के कारण कई स्थानों पर नहीं हुआ आयोजन
इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना के कहर के चलते होली के पर्व में रंग में भंग पड़ गया और त्योहार बेरंग हो गया। रविवार को होलिका दहन का आयोजन तो हुआ, लेकिन कहीं कोई उत्साह नहीं दिखा। न भंग का रंग दिखा और न ही रंग-गुलाल की मस्ती और न ही ढोलक और डीजे की थाप पर नाचते युवक...। रविवार को लाकडाउन और प्रशासन का निर्णय के होलिका दहन के मौके पर 20 से अधिक लोग एकत्र नहीं होंगे, लोगों में निराशा छा गई थी। ज्यादातर लोगों ने घरों में रहकर ही त्योहार मनाया।
पूर्व में जिला प्रशासन ने सार्वजनिक होलिका दहन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, लेकिन शनिवार रात को जारी आदेश के होलिका दहन के दौरान 20 लोग शामिल हो सकते हैं, इसके बाद ताबड़तोड़ होलिका दहन की तैयारियां विभिन्न क्षेत्रों में की गई और रात को ही कंडे आदि एकत्र कर होली तैयार की गई।
राजबाड़ा के अंदर परिसर में हुआ दहन :
इस बार राजबाड़ा पर दो होलिका दहन हुआ। एक राजबाड़ा के मुख्य द्वार के सामने, जो सार्वजनिक था, जिसमें आम लोग शामिल हुए। वहीं दूसरी होलिका दहन होलकर परिवार द्वारा जलाई गई, जिसमें होलकर परिवार और पंडित शामिल हुए। दो होलिका का दहन इसलिए किए गया, ताकि कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन न हो और ज्यादा लोग जमा न हो। होलिका दहन के दौरान सभी ने मास्क पहना हुआ था और कोशिश की गई कि 20 से अधिक लोग एकत्र न हो, लेकिन फिर भी थोड़े लोग ज्यादा हो गए थे। होलिका दहन निर्धारित समय पर शाम 7 बजे किया गया था। दोनों ही कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी शामिल हुए। होलिका के दहन के पूर्व दिनभर महिलाओं ने पूजा की। इस दौरान भी गाइड लाइन का पालन किया गया।
सांकेतिक होलिका दहन की अनुमति पहले से देना थी :
शहर में बढ़ते कोरोना के चलते प्रशासन द्वारा पहले होली दहन के आयोजन पर रोक और उसके बाद शनिवार रात को लाकडाउन लगने के बाद नियम व शर्तों के साथ सांकेतिक होली जलाने की अनुमति का होलिका दहन समितियों ने विरोध जताया। जानकारों के मुताबिक अनुमति देने के बाद शहर में 50 प्रतिशत तक होली दहन के आयोजन नहीं हो सके। होली दहन के आयोजन पर शुरू से ही असमंजस की स्थिति ने समितियों के कर्ताधर्ताओं की परेशानी बड़ाई। उनका कहना था कि सांकेतिक होली जलाने की अनुमति देने के निर्णय में इतनी देरी नहीं की जानी चाहिए। कई लोगों ने गाय के गोबर से बने कंडे से होली जलाने के लिए कंडों की बुकिंग करवाई थी उन्होंने इस बार कंडे नहीं लिए। इसके साथ रविवार को बाजार बंद रहने से पूजन सामग्री के साथ सजावट के साथ अन्य व्यवस्थाओं को जुटाने भी होली दहन समितियों के लिए आसान नहीं था। प्रशासन ने शहर के प्रमुख चौराहों और स्थानों पर होलिका दहन की अनुमति नहीं दी।
मोहल्लों और कालोनियों में हुआ दहन :
कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन 600 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और रविवार को लॉकडाउन के बाद भी विभिन्न मोहल्लों, कालोनियों, सोसाइटियों में होलिका दहन की तैयारियां कर ली गई थीं। लोगों का कहना था कि भले ही प्रशासन रोक लगाए, लेकिन होलिका दहन होगा, भले ही छोटे पैमाने पर किया जाएगा। हर वर्ष की तरह होलिका दहन के दौरान जो उत्साह और धूम-धाम होती थी, इस बार नहीं हुई। न रंग उड़ा और न ही गुलाल। छावनी स्थित श्रद्धा मार्ग सहित शहरभर जैसे तिलक नगर, खजराना, विजय नगर, महल्हारगंज, पलासिया, मलवा मिल, स्किम नं. 78 परदेसीपुरा आदि सहित शहरभर में होलिका दहन के पूर्व महिलाओं ने पूजा की।
घरों में अपनों के बीच ही मनेगी आज होली:
होलिका दहन के दूसरे दिन सोमवार को भी लाकडाउन घोषित कर दिया है। इस दौरान लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है। यही कारण है कि धुलंडी का कोई भी कार्यक्रम सार्वजनिक नहीं हो सकेगा। लोगों को धुलंडी के मौके पर खेले जाने वाले रंग अपनों के साथ घरों में ही खेलना होंगे। वहीं दूसरी ओर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोहल्लों में जो रंग खेला जाता है, उस पर पुलिस और प्रशासन कैसे रोक लगा पाता है, यदि लोग अपनी मर्जी से ही रंग न खेले तो यह संभव है, नहीं तो रंग खेलने पर रोक लगाना बहुत मुश्किल है।
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