हाईकोर्ट ने कहा- हड़तालियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की, नोटिस तामीली के निर्देश- मंगलवार फिर होगी सुनवाई
हाइलाइट्स
वर्ष 2021 में नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच ने लगाईं थी याचिका।
हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध घोषित किया और वेतन कटौती के जारी किया आदेश।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नर्सिंग एसोसिएशन ने 10 जुलाई से फिर हड़ताल शुरू कर दी।
जबलपुर। नर्सों द्वारा की गई हड़ताल को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई दौरान सरकार की ओर से 14 जुलाई को जारी आदेश की प्रति पेश की गई, जिसमें लिखा था कि सरकार ने आपकी हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है, लिहाजा तुरंत कार्य पा लौटें, पत्र में यह भी लिखा था कि अगर आप काम पा नहीं लौटते हैं तो विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी। चूंकि आदेश के बाद भी हड़ताल खत्म नहीं हुई थी। न्यायालय ने मामले में नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट को पक्षकार बनाने के निर्देश देते हुए आज नोटिस तामीली कराने के आदेश दिये। इसके साथ ही सरकार से पूछा है कि उन्होने हड़तालियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। युगलपीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार 18 जुलाई को भी किये जाने के निर्देश दिये हैं।
उल्लेखनीय है कि नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने वर्ष 2021 में नर्सिंग एसोसिएशन द्वारा की जाने वाली हड़ताल को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए निर्देशित किया था कि यदि नर्सेस हड़ताल अवधि के वेतन की अधिकारी नहीं रहेगी। उक्त आदेश के बाद भी नर्सिंग एसोसिएशन ने 10 जुलाई से फिर हड़ताल शुरू कर दी। जिसके खिलाफ आवेदकों की ओर से एक अंतरिम आवेदन न्यायालय के समक्ष पेश किया। जिसमें कहा गया कि न्यायालय के आदेश के बाद पुन: हड़ताल गैरकानूनी है।
मामले की पिछली सुनवाई पर सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया था कि सरकार ने हड़ताल अवैध घोषित कर दी है। जिस पर न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्देश दिए की जब हड़ताल अवैध है तो हड़ताल करने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई, इसकी जानकारी लिखित में प्रस्तुत करें। मामले में सरकार की ओर से 14 जुलाई को जारी पत्र पेश किया गया। वहीं याचिककर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखते हुए बताया कि आवश्यक सेवा मेंटेनेंस एक्ट के तहत हड़ताली कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने व छ: माह की सजा का प्रावधान है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। जिस पर न्यायालय ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई आज के लिये निर्धारित की है।
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