Indore : अर्जुन ठाकुर गोली कांड की इनवेस्टीगेशन कहीं बंद तो नहीं हो गई ?

इंदौर, मध्यप्रदेश : अर्जुन ठाकुर गोली कांड में कई और राज सामने आ सकते हैं लेकिन शायद पुलिस को ये मामला गंभीर नहीं लगता या फिर इसकी इनवेस्टीगेशन बंद कर दी गई है।
अर्जुन ठाकुर गोली कांड की इनवेस्टीगेशन कहीं बंद तो नहीं हो गई ?
अर्जुन ठाकुर गोली कांड की इनवेस्टीगेशन कहीं बंद तो नहीं हो गई ?Raj Express
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हाइलाइट्स :

  • कई कुख्यात बदमाशों के तार जुडऩे के बाद भी लापरवाही

  • क्या किसी दवाब में आ गई है पुलिस

  • प्रेमिका,पत्नी से भी पता नहीं लगवा पाई पुलिस

इंदौर, मध्यप्रदेश। शराब कारोबारी अर्जुन ठाकुर पर फायरिंग के बाद पुलिस ने जब इनवेस्टीगेशन शुरु की तो कई रहस्य सामने आए। कई बड़े गुंडे बदमाशों का गठजोड़ शराब के कारोबार और अहातों के संचालन में मिला। अर्जुन ठाकुर फायरिंग में कई कुख्यात गुंडों के तार भी जुड़े मिले। गोली कांड में चिंटू ठाकुर, सतीश भाऊ, गोविंद गहलोत, पप्पू और प्रमोद आदि गिरफ्तार हो चुके हैं। इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई लेकिन एक प्रमुख आरोपी हेमू ठाकुर का अभी तक पता नहीं चला। उसके नेपाल में होने के शक में उसकी पत्नी और प्रेमिका को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की गई लेकिन नतीजा नहीं निकला। गोली कांड में कई और राज सामने आ सकते हैं लेकिन शायद पुलिस को ये मामला गंभीर नहीं लगता या फिर इसकी इनवेस्टीगेशन बंद कर दी गई है। तब सवाल उठते हैं कि :

  • क्या किसी दवाब के कारण इस मामले में पड़ताल बंद हुई है?

  • आधे से ज्यादा आरोपी पुलिस डायरी में फरार है फिर इनवेस्टीगेशन क्यों बंद की गई?

  • क्राइम ब्रांच ने तो ड्रग्स रैकेट का भंडाफोड़ कर तीन दर्जन बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया फिर ऐसा क्या हुआ कि एसआईटी हेमू ठाकुर तक का पता नहीं लगा पा रही है?

  • ये भी समझ नहीं आ रहा है कि गृहमंत्री के तीखे तेवर के बाद भी इस मामले की फाईल क्यों ठंडे बस्ते में डाल दी गई?

  • गोलीकांड के बाद पुलिस ने गैंगवार की आशंका व्यक्त की थी उसके बाद भी इतने गंभीर मामले में इनवेस्टीगेशन क्यों बंद कर दिया?

अर्जुन ठाकुर के साथ हुए गोलीकांड के पीछे भी सिंडीकेट में प्रमुख स्थान रखने वाले रमेशचंद राय की भूमिका बताई जा रही है। 19 जुलाई को स्कीम-74 स्थित शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट दफ्तर में हुए गोलीकांड को लेकर भोपाल में भी हलचल हुई। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के निर्देश पर इंदौर पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई तेज कर दी। गोली कांड में चिंटू ठाकुर, सतीश भाऊ, गोविंद गहलोत, पप्पू और प्रमोद गिरफ्तार हो चुके हैं।

करोड़ों का कारोबार हुआ प्रभावित :

पिछले साल शराब ठेकेदारों को करोड़ों का नुकसान हुआ था। पिंटू भाटिया ने इस घाटे की पूर्ति के लिए ही रमेशचंद्र राय और मनोज नामदेव को सिंडिकेट में शामिल किया। सिंडिकेट में 32 अलग-अलग पार्टनर हैं। जिन्होंने 980 करोड़ रुपए में इंदौर जिले का ठेका लिया है। इनमें पिंटू भाटिया 25, रमेश चंद्र राय 25, मनोज नामदेव 11 और अर्जुन ठाकुर 7 प्रतिशत का पार्टनर है। बाकी अन्य छोटे शराब ठेकेदार हैं। जो दो से तीन प्रतिशत की पार्टनरशिप में इस सिंडिकेट से जुड़े हुए हैं।

हेमू ठाकुर और चिंटू ठाकुर भी जुड़े :

सूत्र बताते हैं पिछले साल शराब दुकानों में घाटा होने के बाद रिंकू भाटिया और मोनू भाटिया ने अपना शेयर हटा लिया था। इसके बाद इंदौर की व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। उसके बाद पिंटू भाटिया ने शराब के सप्लायर एके सिंह, झाबुआ के अल्पेश और धार के नन्हे सिंह को इस शराब सिंडिकेट से जोड़ा था। वर्तमान सिंडिकेट में बड़े नामों का हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत है। पिछले हफ्ते सिंडिकेट ने इस साल के 910 करोड़ रुपए के ठेके की 40 करोड़ की बैंक गारंटी शासन को दी है। छोटे ठेकेदार पैसे नहीं दे पा रहे थे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर बैंक गारंटी के पैसे जमा करने के लिए रमेश राय ने नए लोगों को जोड़ा। राय के जरिए हेमू और चिंटू ठाकुर की सिंडिकेट में एंट्री हुई।

तोड़फोड़ में पांच गिरफ्तार :

सूत्रों के मुताबिक गांधी नगर नावदापंथ की दुकान को शराब ठेकेदार अर्जुन ठाकुर और मोहन ठाकुर चला रहे हैं, वे आसानी से नहीं मानने वाले इसके बाद भी दुकान चिंटू हेमू को दे दी गई। इन दोनों ने वादे के अनुसार इस दुकान का अहाता चलाने के लिए सतीश भाऊ की एंट्री कराई। बस यहीं से गोलीकांड का श्रीगणेश हो गया। माना तो ये ये भी जा रहा है कि अब शराब माफियाओं के बीच गैंगवार शुरु हो चुका है। पुलिस इस गैंगवार से निपटने की रणनीति बना रही है, ये कितनी कारगर होगी ये तो समय ही बताएगा। वैसे तोड़फोड़ के मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है लेकिन उनसे भी पुलिस ज्यादा कुछ उगलवा नहीं पाई है।

क्राइम ब्रांच ने पकड़ा,पुलिस ने दी क्लीन चिट :

अर्जुन ठाकुर गोलीकांड में आरोपी सतीश भाऊ उर्फ सतीश मराठा के साथी सत्यनारायण लूनिया को क्राइम ब्रांच की टीम ने विजय नगर पुलिस को सौंपा है। उससे पुलिस कड़ी पूछताछ की जा रही है, जिसमें कई चौंकाने वाले राज सामने आए हैं। लूनिया पर कईं आपराधिक मामले दर्ज है और भाऊ का सारा कामकाज संभालता है। देर रात हुई पूछताछ में लूनिया ने बताया कि घटना के बाद उसके पास कॉल आया और कहा था कि वह फरार हो रहा है। लूनिया सांवेर रोड पर मिला और उसको रुपये देकर आया। इसके बाद वह चिंटू, हेमू के साथ फरार हो गया। यहां से सीधे उज्जैन पहुंचे। उसके बाद जावरा होते हुए राजस्थान पहुंचे और दिल्ली फिर ग्वालियर आ गए। पुलिस ने उनकी लोकेशन निकाल ली और एक भाजपा नेता की मदद से पेश होने का दबाव बनाया। नेता ने मध्यस्थता की और दोनों की भोपाल बायपास स्थित एक ढाबे से गिरफ्तारी दर्शा दी। वैसे लूनिया को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया है।

कैसे बेचें अवैध शराब :

बताते हैं कि सिंडिकेट का कामकाज पिंटू भाटिया के हाथों में आने से राय का पावर कम होने लगा था। देवास-धार से आ रही अवैध शराब जो ब्लैकर बेचते हैं। उसे बेचने में परेशानी हो रही थी। बाणगंगा में पकड़ाई छह लाख की अवैध शराब भी इसी से जुड़ी है। ब्लैक कर चाह रहे हैं कि राय सिंडीकेट का मुखिया बन जाए इससे वे भी सिंडिकेट से जुड़ जाएंगे और अवैध शराब आसानी से बेची जा सकेगी।

गुंडे-बदमाश चला रहे हैं अहाते :

शराब ठेकेदार अर्जुन ठाकुर पर गोली चलने के मामले के बाद पुलिस ने शहर के कुख्यात गुंडों की आर्थिक कमर तोड़ना शुरू कर दिया है। इसके चलते उन अहातों को बंद कराया गया है, जिन्हें गुंडे संचालित करते थे। बताया जाता है कि अधिकांश अहातों में बाहर से बदमाशों को बुलाकर उनसे काम कराया जा रहा है और इसके लिए उनके रूकने व खाने-पीने की व्यवस्था के साथ उन्हें वेतन भी दिया जाता है। सूत्र बताते हैं कि वहीं जिन गुंडों के संरक्षण में ये अहाता संभालने का काम करते हैं उनका वेतन इतना रहता है कि किसी शासकीय अधिकारी का भी नहीं रहता है। गोलीकांड के बाद पुलिस जागी और शराब के अहातों की जांच का अभियान चलाया तो खुलासा हुआ कि शहर के अधिकांश अहाते गुंडों द्वारा ही चलाए जा रहे हैं। शहर के बाहरी क्षेत्रों जैसे, देपालपुर, सांवेर, बडगोंदा, पीथमपुर, महू, मानपुर आदि में चलने वाली देशी व विदेशी शराब दुकानों पर अधिकांश बाहर के गुंडे बदमाश ही दुकान पर सेल्समेन हैं या फिर अहातों के कर्मचारी हैं। पुलिस इन शराब दुकानों व अहातों पर काम करने वालों का कभी भी वेरिफिकेशन नहीं करती है। वहीं आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी कभी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। यदि इनका कर्मचारियों का वेरिफिकेशन किया जाए तो खुलासा होगा कि अधिकांश दुकानों पर व अहातों में गुंडे ही काम कर रहे हैं जो हर माह वेतन भी लेते हैं और गुंडागर्दी भी करते हैं।

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