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Gwalior : 2 मई से पहले घोषित होगी अभियाचित बैठक तारीख, भाजपा पार्षदों ने बैठक बुलाने सभापति को सौंपा प्रस्ताव

नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभा रहे भाजपा पार्षदों ने अभियाचित बैठक बुलाने के लिए सभापति मनोज तोमर को 18 अप्रैल को प्रस्ताव दिया है। 19 अप्रैल को यह प्रस्ताव आवक-जावक में चढ़ाया गया है।
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ग्वालियर। भाजपा पार्षदों द्वारा अभियाचित बैठक बुलाने के लिए सभापति मनोज तोमर को प्रस्ताव दिया गया है। नगर निगम एक्ट के अनुसार अभियाचित बैठक बुलाने का प्रस्ताव आने की तारीख के 14 दिनों के भीतर बैठक की तारीख घोषित करनी है। तय समयावधि में महापौर द्वारा  बैठक की तारीख घोषित नहीं की जाती तो सभापति को बैठक की घोषणा करनी पड़ेगी। भाजपा पार्षदों द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार 2 मई से पहले बैठक की घोषणा करना अनिवार्य होगा। देखना यह है कि महापौर बैठक की घोषणा करती है या सभापति अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। 

नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभा रहे भाजपा पार्षदों ने अभियाचित बैठक बुलाने के लिए सभापति मनोज तोमर को 18 अप्रैल को प्रस्ताव दिया है। 19 अप्रैल को यह प्रस्ताव आवक-जावक में चढ़ाया गया है। नगर निगम एक्ट के अनुसार अभियाचित बैठक बुलाने के लिए 33 प्रतिशत पार्षदों की सहमति आवश्यक है। चूंकि भाजपा के 26 पार्षदों ने अभियाचित बैठक के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं इसलिए सभापति को बैठक बुलाने के लिए प्रस्ताव को आगे बढ़ाना पड़ा है। एक्ट के अनुसार प्रस्ताव देने के 14 दिन के भीतर अभियाचित बैठक बुलाने की तारीख घोषित करना अनिवार्य है। अगर महापौर तय समयावधि में बैठक बुलाने संबंधी प्रस्ताव परिषद सचिव को नहीं देती हैं तो सभापति के पास अधिकार है कि वह 3 से सात दिन का समय देते हुए अभियाचित बैठक की घोषणा कर सकते हैं। भाजपा पार्षदों के प्रस्ताव को 2 मई को 14 दिन पूरे हो जायंगे। इसी समयावधि में महापौर एवं सभापति को बैठक की तारीख घोषित करनी होगी।

नए पार्षदों को समझ नहीं आ रहे नियम

परिषद में इस बार 85 प्रतिशत से अधिक नए पार्षद हैं। इसमें अधिकतर पार्षदों ने नगर निगम एक्ट को पढ़ना तो दूर अब तक उठाकर भी नहीं देखा है। वह हर मामले में पुराने पार्षद, निगम अधिकारी या परिषद सचिव से चर्चा करके अपने ज्ञान की वृद्धि करते हैं। इसमें कांग्रेस एवं भाजपा दोनों दलों के पार्षद शामिल हैं। नए पार्षद कह रहे हैं कि पुराने पार्षद किसी तरह की जानकारी ही नहीं दे रहे। ऐसे में हम किस तरह कार्य करें। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि नगर निगम में पार्षद की भूमिका क्या होती है यह जानने के लिए किसी दूसरे के भरोसे रहने की जगह निगम एक्ट को पढ़ लें तो उनके बहुत से सवालों का जबाव मिल जायगा।

इन बिंदूओं पर चर्चा करना चाहते हैं पार्षद

  • शहर में बंद पड़ी स्ट्रीट लाईटें

  • आउट सोर्स, स्थाई एवं विनिमित कर्मचारी अधिकारियों की जानकारी

  • अधिकारियों का रोटेशन प्रणाली के तहत विधानसभा वार तबादला

  • अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ पार्षदों की नियमित बैठक

  • मास्टर फाईलों से कराए गए कार्यों की जानकारी

  • 15 से 20 प्रतिशत ब्लो राशि पर डाले गए टेण्डर की जांच के लिए समिति का गठन।

  • नलकूप ऑपरेटर, सफाई कर्मचारी, कचरा गाड़ी ऑपरेटर, कर्मचारी एवं ड्रायवरों की नियुक्ति पार्षदों की सहमति से करना।

  • कार्यशाला एवं डीजल पेट्रोल डिपो पर पार्षदों की कमेटी बनाकर औचक निरीक्षण कराना।

  • सीवर एवं जलकार्य संबंधित नलकूप मेंटीनेंस पर चर्चा।

  • गैस कंपनी व टेलीकॉम कंपनी द्वारा शहर में खोदी जाने वाली सड़कों पर चर्चा।

  • खुले पड़े नालें का पटाव, बारिश से पहले नालों की सफाई।

  • ट्रेफिक सेल द्वारा की जा रही धांधली पर चर्चा।

  • नगर निगम सीमा के अंतर्गत स्वच्छता सर्वेक्षण में हो रही पैसे की बर्बादी पर चर्चा।

इनका कहना है

नगर निगम एक्ट के अनुसार अभियाचित बैठक का प्रस्ताव देने के 14 दिन के भीतर बैठक बुलाने की तारीख घोषित करनी होती है। पार्षदों ने जो प्रस्ताव दिया था वह सचिव के माध्यम से महापौर एवं निगमायुक्त की ओर प्रेषित कर दिया गया है।

मनोज तोमर, सभापति, नगर निगम

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