मुरार नदी को पुनर्जीवित करने में निजी जमीन बन रही बाधा
मुरार नदी को पुनर्जीवित करने में निजी जमीन बन रही बाधाRaj Express

Gwalior : मुरार नदी को पुनर्जीवित करने में निजी जमीन बन रही बाधा

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : केन्द्रीय दल ने जिला प्रशासन से की सीमांकन की मांग। तहसीलदार एवं आरआई ने कहा आप काम करों, जब परेशानी आएगी तब देखेंगे।
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ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत मुरार नदी को पुनर्जीवित किया जा रहा है। 39.24 करोड़ रुपए केन्द्र शासन द्वारा स्वीकृत किए गए हैं, जबकि नदी के विकास कार्यों पर लगभग 34 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी। वर्तमान में रमौआ बांध के आसपास सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नदी के पुनर्जीवित करने के लिए बहाव स्थल का सीमांकन किया गया था, जिसमें काफी जगह निजी जमीन सामने आई थी। न तो जमीन का अधिग्रहण किया गया न इस पर कोई निर्णय हुआ। निर्माण कार्य करने वाली कंपनी कई बार तय स्थल की जमीन को खाली कराने के लिए कह चुका है, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। इसे देखते हुए निर्माण करने वाली कंपनी ने रमौआ बांध के आसपास ही काम सीमित कर दिया है। इस स्थिति में काम समय पर होना संभव नहीं है।

मुरार नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 12 किलोमीटर एरिए में पेचिंग कार्य किया जाना है, जबकि 3.5 किलोमीटर हिस्से में दीवार भी बनाई जाएगी, ताकि नदी में कोई गंदगी न फेंक सके। इसके लिए टेण्डर में प्रावधान किया गया है। कंपनी को 27 महीने में कार्य पूर्ण करके देना है, लेकिन इसके लिए कंपनी को नदी के बहाव स्थल के आसपास की जमीन खाली करके दी जानी है। जिला प्रशासन से कई बार चर्चा हुई, लेकिन किसी अधिकारी ने सीमांकन कराने के साथ निजी जमीन का अधिग्रहण एवं अतिक्रमण हटाने पर ध्यान नहीं दिया। चूंकि कंपनी विवाद में पडऩा नहीं चाहती इसलिए कंपनी ने रमौआ बांध से बायपास ब्रिज तक खाली पड़ी जमीन के सौंदर्यीकरण तक काम सीमित कर दिया है। इससे आगे कंपनी काम नहीं कर रही। चूंकि कंपनी के अनुबंध में लिखा है कि निर्माण कार्य की अवधि जमीन अधिग्रहण के बाद से शुरू मानी जाएगी इसलिए काम लेट होने पर कंपनी से पेनल्टी भी नहीं वसूली जा सकती।

मुन्नालाल गोयल ने मुख्यमंत्री से की शिकायत :

मुरार नदी के जीर्णोद्धार के लिए मप्र बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल लगातार प्रयासरत हैं। उनके द्वारा कलेक्टर एवं निगमायुक्त सहित अन्य अधिकारियों के साथ कई बार बैठक की जा चुकी है। वह निजी जमीन का अधिग्रहण करने के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए बोल चुके हैं, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। इसे देखते हुए मुन्नालाल गोयल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया है। उन्होंने पत्र में नदी के पुनर्जीवित करने के कार्य में देरी होने पर नाराजगी भी जाहिर की है।

इस तरह किया जाना है मुरार नदी का जीर्णोद्धार :

  • मुरार नदी के जीर्णोद्धार के लिए 39.24 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

  • नदी का जीर्णोद्धार नमानी गंगे प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है।

  • नदी का प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 27 महीने का समय रखा गया है।

  • 27 महीने में तीन महीने का समय टेण्डर प्रक्रिया के लिए रहेगा।

  • 18 महीने में प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाना है।

  • 6 महीने का समय ऑपरेशन एण्ड मेंटेनेंस के लिए रखा गया है।

  • रमौआ बांध से बायपास ब्रिज का विकास (750 मीटर)।

  • गांधी रोड ब्रिज से संतर रिवर ब्रिज का विकास (770 मीटर)।

  • संतर रिवर ब्रिज से काल्पी ब्रिज का विकास (1100 मीटर)।

  • काल्पीब्रिज से जड़ेरूआ बांध की डाउन स्ट्रीम का विकास (100 मीटर)।

  • मुरार नदी के बाकी हिस्सों का विकास (9480 मीटर)।

  • शौचालय ब्लॉक्स, गेबियन दीवार, शाइनेज, सोलर लाइट पोल, चलित शौचालय, वाटर स्पॉट्स, गेजेबो, बैठने की बैंच, डस्टबिन व प्रवेश द्वार का निर्माण।

कंपनी द्वारा किए जाने हैं यह कार्य :

  • मुरार नदी के आसपास फुटपाथ, सोलर, छतरी और टॉयलेट बनाए जाएंगे।

  • नदी के आसपास 10-10 फीट की जाली लगेगी।

  • नदी के बीच में साफ पानी हमेशा रहेगा, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।

  • नदी में मिल रहे सीवर के नालों को बंद कराया जाएगा।

  • नदी पर 12 किलोमीटर का पेचिंग कार्य किया जाएगा।

  • जडेरूआ से रमौआ तक 3.5 किमी में दीवार बनाई जाएगी।

  • रैलिंग व सीटिंग बैंच लगाई जाएगी।

  • रमैआ पर टैंक बनाया जाएगा।

  • रमौआ से पानी लाया जाएगा।

इनका कहना :

मुरार नदी को पुनर्जीवित करने के लिए किए जा रहे कार्यों में देरी हो रही है। जिला प्रशासन ने न तो निजी जमीनों का अधिग्रहण किया है न अतिक्रमण हटाए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री के पत्र लिखकर शिकायत की है।

मुन्नालाल गोयल, बीज निगम अध्यक्ष, मप्र

मुरार नदी के विकास कार्याे में किसी तरह की देरी नहीं होगी। मैं कलेक्टर से जानकारी लेता हूं आखिर काम में देरी क्यों हो रही है।

तुलसीराम सिलावट, प्रभारी मंत्री ग्वालियर एवं जल संसाधन मंत्री, मप्र

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