Gwalior : फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई करने की जगह बचाने में जुटे है जेयू अफसर
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। प्राइवेट कॉलेजों की सम्बद्धता को लेकर शासन ने गत दिवस फर्जीवाड़ा पकड़ा था। उच्च शिक्षा आयुक्त ने इस मामले की जांच कराई थी। इसमें चारों कॉलेज नियमों को ताक पर रख संचालित पाए गए थे। शासन ने जेयू अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दिया, लेकिन जेयू अधिकारी महाविद्यालयों की मान्यता तक निरस्त नहीं कर पाए थे। उनका कहना है कि शासन ने आदेश दिए हैं, जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। बिना जांच रिपोर्ट के हम कार्रवाई कैसे करें।
जीवाजी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कराहल एजुकेशन कॉलेज, आइडियल कॉलेज, राधाकृष्ण कॉलेज और श्री रामराजा शिक्षा महाविद्यालय में तमाम खामियां और फर्जीवाड़े का भण्डार था। उसके बाद भी जेयू अधिकारियों ने चारों महाविद्यालयों को सम्बद्धता दे थी। फर्जीवाड़ा उजागर होने पर उच्च शिक्षा आयुक्त ने जांच बिठाई। जांच में चारों महाविद्यालयों में खामियां और फर्जीवाड़ा पकड़ा। जांच के आधार पर शासन ने चारों महाविद्यालयों की मान्यता निरस्त करने के आदेश जेयू अधिकारियों को दिए, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने की जगह मामले को स्टेंडिंग-कार्यपरिषद की बैठक में ले गए। यहां लीगल एडवाइज लेने की सलाह दे डाली। अब लीगल एडवाइज भी आ गई। अब इसे फिर स्टेंडिंग कमेटी में ले जाने की तैयारी चल रही है।
भूमि और भवन संबंधी ब्योरा गलत, खसरे में नाम भी अन्य का :
जांच में पाया- ग्वालियर बरौहा के कराहल एजुकेशन कॉलेज की जांच में पाया कि भूमि, भवन संबंधी ब्योरा गलत है। कॉलेज ने सर्वे क्र.-114/02 व 115/01 पर भवन होना बताया है, जबकि मौके पर कोई निर्माण नहीं मिला। खसरा में जमीन किसी प्रखर प्रताप सिंह परमार के नाम पर दर्ज है। भूमि सर्वे क्र.-120 पर जो भवन पाया वह भी दूसरी शैक्षणिक संस्थाओं के स्वामित्व में है।
विवि के अधिनियम के हिसाब से फैकल्टी नहीं :
जांच में पाया- भिण्ड के मेहगांव स्थित जरपुरा के प्राइवेट आइडियल कॉलेज की जांच में पाया कि शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति विवि अधिनियम की धारा 28/17 के तहत नहीं की गई है। कॉलेज में संबद्धता के लिए जरूरी संसाधनों का अभाव है। अवैधानिक तरीके से जीवाजी विवि से संबद्धता लेकर नियम विरुद्ध कॉलेज संचालन किया जा रहा है।
सब कुछ गड़बड़ है फिर भी जीवाजी विवि ने दे दी संबद्धता :
जांच में पाया- दतिया के चिटुआ स्थित राधाकृष्ण कॉलेज की जांच में पाया कि प्राचार्य और शिक्षकों की नियुक्ति विवि अधिनियम की धारा 28/17 के अंतर्गत नहीं है। साथ ही सुविधाओं का भी अभाव है। इस सब की अनदेखी करते हुए जीवाजी विवि प्रशासन ने संबद्धता दे दी।
एडी और नायब तहसीलदार को नहीं दी जानकारी :
जांच में पाया- दतिया के श्री रामराजा शिक्षा महाविद्यालय की जांच के लिए क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक को भूमि, भवन, प्राचार्य और शिक्षकों आदि की जानकारी नहीं दी। नायब तहसीलदार को भी जांच में सहयोग नहीं किया। कॉलेज की इमारत सर्वे क्र.- 342/36 ग्राम रामनगर में है, लेकिन स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट नहीं। संबद्धता संबंधी निरीक्षण प्रारूप में 01 से 07 तक जानकारी निरंक है।
इनका कहना है :
शासन ने हमें कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। हम बिना जांच रिपोर्ट के कैसे कार्रवाई कर सकते हैं। वैसे एनसीटी के अलावा अन्य नियम भी यही कहते हैं कि आप मान्यता अगले सत्र से समाप्त कर सकते हैं। इसलिए हमने उनकी मान्यता समाप्त नहीं की। लीगल एडवाईज भी आ गई है। उसे हम स्टेंडिंग कमेटी के समक्ष रखेंगे। वह जो निर्णय लेंगे उस पर हम अमल करेंगे।
प्रो.अविनाश तिवारी, कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय
फर्जीवाड़ा करने वाले कॉलेजों के खिलाफ जेयू अधिकारियों को वैसे स्वयं कार्रवाई करना चाहिए। जिस प्रकार वह हमें शासन के नियम दिखाते हैं अब तो शासन ही उन्हें कार्रवाई करने के आदेश दे रहा है फिर भी वह कार्रवाई नहीं कर पा रहे। इससे स्पष्ट होता है कि इसमें किसी न किसी प्रकार से जेयू अधिकारी भी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं।
वंश महेश्वरी, एनएसयूआई छात्र नेता
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