Gwalior : रेत के खेल में सभी रंगे फिर कैसे रुकेगा अवैध उत्खनन?
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। रेत के खेल में इस समय सभी रंगे हुए हैं, यही कारण है कि जिले में अवैध उत्खनन लाख प्रयास के बाद भी नहीं रुक पा रहा है। जिले में एमी सेल्स कॉरपोरेशन कंपनी ने ठेका लिया हुआ था ओर उसने 7.35 करोड़ की किस्त (रॉयल्टी की राशि) तक जमा नहीं की है। इसके चलते उसकी रॉयल्टी बंद कर दी है, लेकिन इसके बाद भी अवैध उत्खनन बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से धडल्ले से संचालित हो रहा है।
मध्यप्रदेश शासन माइनिंग कॉरपोरेशन भोपाल द्वारा गत वर्ष प्रत्येक जिलों के ठेके आमंत्रित कर उच्चतम दरों पर ठेके आवंटित किए गए है। इसके तहत ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के भिण्ड, दतिया, ग्वालियर एवं शिवपुरी जिले के ठेके विभिन्न ठेकेदारों को आवंटित किए गए थे। ग्वालियर में जिस कंपनी को ठेका दिया गया था वह पूरी तरह से डिफॉल्टर हो गई है, क्योकि उसने किस्त के रूप में अगस्त माह में 1.99 करोड़, सितंबर में 1.99 करोड़ एवं अक्टूबर में 3.37 करोड़ कुल 7.35 करोड़ की राशि जमा नहीं की है। इसके चलते शासन ने उक्त कंपनी की रॉयल्टी को बंद कर दिया है साथ ही डंप माल को भी बेचने पर रोक लगा दी है। इस रोक के बाद भी उक्त कंपनी मिलीभगत से धडल्ले से अवैध रूप से रेत का उत्खनन करने में लगी हुई है। कंपनी के पास 7 करोड़ से अधिक राशि बकाया है, लेकिन संबंधित विभाग ने अभी तक उक्त कंपनी को डिफॉल्टर घोषित नहीं किया है। अवैध रेत के उत्खनन के कारण आसपास के जिलो के ठेकेदारों को खासा नुकसान हो रहा है जिसके कारण भिण्ड व शिवपुरी जिले के ठेकेदारो ने अपने ठेके सरेण्डर कर दिए हैं। बताया गया है कि शिवपुरी जिले में कुछ समय पहले चैकिंग के लिए नाके बनाएं गए थे, लेकिन उक्त नाको पर खनिज विभाग से लेकर वन विभाग एवं पुलिस के लोगों को रहना था, परन्तु उक्त विभाग के कर्मचारी नाको पर मौैजूद ही नहीं रहते थे जिसके कारण नाको पर संबंधित ठेकेदारों ने ही अपने लोग तैनात कर रखे थे जिसको लेकर जब शिकायतें हुई तो उक्त नाके बंद कर दिए गए थे।
आखिर रेत के अवैध कारोबार में किसका संरक्षण?
अंचल मेें रेत के अवैध उत्खनन को लेकर लम्बे समय से आवाज उठती रही है ओर कांग्रेस के विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने तो इस मुद्दे को लेकर धरना देकर मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा था। इसके बाद भी रेत का अवैध कारोबार नहीं रुक पा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि रेत के अवैध कारोबार में किसी न किसी का संरक्षण मिल रहा है जिसके कारण अवैध उत्खनन करने वालो को किसी तरह का भय नहीं है। ग्वालियर जिले के ठेकेदार ने तो तीन माह से शासन को मासिक किस्त भी अदा नहीं की है जिसके कारण क्षेत्र मे ठेकेदार को नदियों से रेत का उत्खनन करने पर रोक है, लेकिन यह रोक सिर्फ ओर सिर्फ कागजों पर है।
फर्म के नाम से रॉयल्टी बंद फिर रेत कहा से आ रहा :
ग्वालियर जिले में जिस कंपनी के पास रेत का ठेका है उसके द्वारा शासन को मासिक किस्त जमा न किए जाने से उसकी रॉयल्टी बंद कर दी है इसके बाद भी जिले में रेत कहा से ओर कैसे आ रहा है। जिस तरह से अवैध रूप से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है उससे शासन को करोड़ों का चूना लग रहा है, लेकिन इसके बाद भी सख्ती नहीं दिखाई दे रही है। जिस तरह से अवैध तरीके रेत का उत्खनन चल रहा है उसके चलते वैध ठेकादरों को नुकसान हो रहा है आग ठेकेदार रेत की खदान लेने से पीछे हट सकते हैं।
डंप के नाम पर खेला जा रहा खेल :
रेत नीति के हिसाब से जिस स्थान से रेत का खनन किया जाता है उससे 5 से 7 किमी तक के क्षेत्र में ठेकेदार रेत का डंप कर सकता है जबकि 50 किमी तक के क्षेत्र में अन्य नाम से डंप किया जा सकता है। ग्वालियर जिले को 50 किमी वाले नियम से छूट मिली हुई है। सूत्र का कहना है कि ग्वालियर जिले में सिर्फ कागजों में नाम से रेत का डंप दर्शाया गया है जबकि रेत सीधे नदियों से निकाल कर सप्लाई किया जा रहा है। शासन ने जब रॉयल्टी बंद कर दी है तो फिर जिले में रेत किस स्थान से आ रहा है ओर अगर डंप है तो वह किसके नाम से ओर कहा है इसकी जानकारी खनिज विभाग को होना चाहिए ओर उसकी जांच भी करना चाहिए, लेकिन खनिज विभाग कागजो मेें जांच कर संबंधित को मुनाफा कमाने का खुलकर मौका देने में लगा हुआ है। हालत यह है कि अंचल में रेत के खेल में हर कोई रंगा हुआ है जिसके कारण चाहकर भी रेत का अवैध उत्खनन बंद नहीं हो पा रहा है।
इनका कहना :
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