Gwalior : हर बार संभागायुक्त के पास रोते हैं दुखड़ा, फिर भी पीडब्ल्यूडी से खरीद रहे एसी
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीआर मेडिकल कॉलेज और जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन हर सप्ताह संभागयुक्त कार्यालय में होने वाली बैठक में पीडब्ल्यूडी द्वारा कार्य न करने का दुखड़ा रोते हैं। उसके बाद भी करीब दो करोड़ रूपए की लागत से एसी खरीदने का जिम्मा उसे ही सौंप दिया। जबकि कॉरर्पोरेशन और जेम में एसी उपलब्ध हैं। यदि टन का अंतर है तो निश्चित ही रुपयों और टन में भी अंतर आएगा।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में एसी लगाने के लिए जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को करीब दो करोड़ रूपए का बजट दे दिया है। कॉलेज प्रबंधन ने इस बजट से पीडब्ल्यूडी को 2 टन के 85 एसी खरीदने के आदेश दिए हैं। प्रबंधन द्वारा पीडब्ल्यूडी को एसी लगाने का कार्य सौंपते ही कई सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी वैसे ही अस्पताल में समय पर कार्य नहीं करती। डीन और अधीक्षक द्वारा संभागायुक्त कार्यालय में होने वाली बैठक में संभायुक्त से पीडब्ल्यूडी द्वारा कार्य न करने की शिकायत की जाती है। उसके बाद भी प्रबंधन ने एसी खरीदी का 'जिम्मा पीडब्ल्यूडी को ही सौंप दिया। जबकि कॉरर्पोरेशन और जेम में एसी उपलब्ध हैं।
कॉलेज प्रबंधन का तर्क :
एसी खरीदी मामले में कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि कार्पोरेशन में दो टन का एसी उपलब्ध नहीं है। इसलिए पीडब्ल्यूडी के माध्यम से टेण्डर बुलाकर दो टन के एसी लगवाए जाएंगे।
ऐसे समझे प्रबंधन की लापरवही :
पीडब्ल्यूडी द्वारा दो टन का एसी करीब 70 हजार रुपए की लागत से लगाया जा रहा है । जिसकी वारंटी करीब दो वर्ष की है। कॉरर्पेरेशन में 1.5 टन का एसी 31 हजार 600 रूपए में उपलब्ध है। उसकी वारंटी 10 वर्ष है। यदि कॉलेज प्रबंधन पीडब्ल्यूडी की जगह कॉरर्पोशन से एसी खरीदता है तो 1.5+1.5 टन यानि 3 टन एसी की लागत 70 हजार रुपए से भी कम आती और एक टन एक्सट्रा मिलता।
भवन करना है खाली, उसमें लगेंगे एसी :
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि खरीदे जा रहे 85 एसी में से कुछ एसी जयारोग्य की पत्थर वाली बिल्डिंग़ में लगना है। जबकि प्रबंधन इस बात से भली-भांति परिचित है कि यह भवन खाली कराकर नए भवन में यानि एक हजार बिस्तर वाले अस्पताल में शिफ्ट होना है। उसके बाद भी यहां नए एसी लगाने का प्रस्ताव तैयार कर दिया। कॉलेज प्रबंधन के इस लापरवाही वाले रवैया को देखते हुए लगता है कि प्रबंधन बजट को ठिकाने लगाने में जुट गया है।
यह सवाल मांग रहे जवाब :
क्या कॉलेज प्रबंधन की इस गलती को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री नजर अंदाज करेंगे या लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करेंगे ?
आखिर सब कुछ जानकर भी पीडब्ल्यूडी को क्यों ठेका दिया गया ?
जेएएच का मुख्य भवन शिफ्ट होना है तो आखिर वहां क्यों लगाए जा रहे हैं एसी?
क्या चहेतों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से दिया है एसी कार्य का ठेका ?
इनका कहना है :
पैसों का सदउपयोग होना चाहिए, दुरूपयोग नहीं। यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही हो रही है तो उसे मैं दिखवाता हूं।
विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
करीब 1 करोड़ की लगत से 80 एसी लगाए जाने हैं। कॉरर्पोरेशन और जेम की जगह पीडब्ल्यूडी से खरीदी क्यों की है। इसका जवाब तो डीन साहब ही दे पायेंगे। पीडब्ल्यूडी ने प्रस्ताव तैयार किया था और फिर कभी खराब होगा तो पीडब्ल्यूडी ही सही करेगा न इसलिए उसे ही दिया है। यह प्रस्ताव पहले का है मैं तो अभी ऑटोनॉमस का प्रभारी बना हूं।
डॉ.संजय चंदेल, ऑटोनॉमस प्रभारी, जीआर मेडिकल कॉलेज
शासन ने करीब 2 करोड़ रुपए एसी खरीदने के लिए दिये है। पीडब्लयूडी के माध्यम से टेण्डर जारी हो गया है। इस राशि से दो टन के 85 एसी खरीदे जाने हैं। जो जयारोग्य अस्पताल सहित विभिन्न विभागों में लगाए जाएंगे।
डॉ. अमित निरजंन, जनसंपर्क अधिकारी, जीआरएमसी
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