Gwalior : तीसरी लहर में स्कूल का पहला दिन, कम पहुंचे बच्चे
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के कमजोर होने के बाद मंगलवार से स्कूल खुले तो लेकिन सिर्फ 15 से 20 फीसदी बच्चे ही स्कूल पहुंचे। इनमें से भी 10वीं से 12वीं तक के बच्चे ज्यादा थे और उनसे भी ऐसे छात्रों की संख्या अधिक थी जिनको वैक्सीन लगवानी थी। दरअसल, कोरोना के चलते बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर अभिभावक में असमंजस है, जिससे परिजन ही बच्चों को अभी स्कूल भेजने की रिस्क नहीं ले रहे हैं।
सरकारी स्कूलों में तो हालात ये रहे कि कई जगह स्कूलों में शिक्षक दो-चार-छह बच्चों को घेरकर बैठे हुए थे। स्कूल का पहला दिन क्लास में कोरोना और तीसरी लहर की चर्चा में ही गुजरा। शिंदे की छावनी स्थित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गेट पर ही बच्चों को मास्क, सैनिटाइजर के लिए रोका-टोका जा रहा था। जिन छात्राओं के पास मास्क नहीं थे उनको स्कूल प्रबंधन ने ही मास्क वितरित किए। स्कू ल प्रबंधन ने बताया कि 5 लोगों का स्टॉफ की ड्यूटी मास्क, सैनिटाइजर व टीनएजर्स वैक्सीनेशन में लगा दी है। दो दिन पहले ही 50 प्रतिशत क्षमता के साथ स्कूल खुलने के मैसेज छात्राओं के संबंधित मोबाइल नंबर पर भेजे गए थे। जिसके बाद उपस्थिति काफी कम रही है। 15 से 20 फीसदी छात्राएं ही स्कूल में आई हैं। पहली से पांचवी तक के बच्चे तो 5 प्रतिशत ही आए हैं। बड़ी क्लास के जो बच्चे स्कूल आए वह भी वैक्सीनेशन के लिए आए हैं। ग्वालियर के कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में छात्राएं पहुंची तो थी, लेकिन ऑफ लाइन पढ़ाई को लेकर गफलत का माहौल रहा। स्कूल टाइम सिर्फ कोरोना संक्रमण और तीसरी लहर पर चर्चा में ही गुजर गया। क्लास में टीचर से लेकर स्टूडेंट्स तक कोरोना पर ही बात करते हुए नजर आए। टीचर्स भी क्लास में छात्राओं को कोरोना से बचाव के तरीके और मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने व सोशल डिस्टेसिंग की बात कहते नजर आए।
स्कूल तो खुल गए हैं, लेकिन छात्रों की संख्या बता रही है कि कोरोना की तीसरी लहर के बीच बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभी भी अभिभावक सहमत नहीं है, इसलिए इसका असर स्कूल के पहले दिन छात्रों की संख्या पर भी नजर आया है। शासकीय कन्या विद्यालय शिंदे की छावनी प्रभारी प्राचार्य शिंदु श्रीवास्तव ने बताया कि 50 प्रतिशत बच्चों को सूचना दी थी, लेकिन काफी कम संख्या में बच्चे आए हैं। अभी भी अभिभावकों को स्कूल भेजने को लेकर डर है। पहला दिन है अगले दिन से संख्या बढ़ सकती है।
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