ठेकेदार को बदलनी है एलईडी लाईट, निगम अमले से करा रहे संधारण
ठेकेदार को बदलनी है एलईडी लाईट, निगम अमले से करा रहे संधारणRaj Express

Gwalior : ठेकेदार को बदलनी है एलईडी लाईट, निगम अमले से करा रहे संधारण

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : मामला स्मार्ट सिटी द्वारा बदली जा रही 52 हजार स्ट्रीट लाईट का। भारत सरकार के उपक्रम ईईएसएल कंपनी को मिला है ठेका। 27 करोड़ रुपये का हुआ है टेण्डर, नियमानुसार नहीं हो रहा काम।
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ग्वालियर, मध्यप्रदेश। स्मार्ट सिटी द्वारा शहर की 52 हजार स्ट्रीट लाईट को बदलने का काम किया जा रहा है। लगभग 27 करोड़ रुपये की लागत से यह काम किया जा रहा है और भारत सरकार के उपक्रम ईईएसएल कंपनी को यह ठेका मिला है। कंपनी ने किसी अन्य ठेकेदार को काम दिया है। अनुबंध के अनुसार लाईटों का संधारण भी ठेकेदार को करना है लेकिन नियम विरूद्ध तरीके से निगम अमला लाईटों के संधारण में जुटा है। यह मामला सामने आने के बाद निगम प्रशासक ने गंभीर नाराजगी जताते हुए कंपनी को निगम अमले से काम कराने के एवज में भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। निगम के विद्युत विभाग द्वारा अब बिल तैयार किए जाएंगे जिसका भुगतान कंपनी को करना होगा।

शहर में लगी पुरानी स्ट्रीट लाईटों को हटाकर स्मार्ट एलईडी लाईटें लगाई जा रही हैं। इसके लिए स्मार्ट सिटी द्वारा टेण्डर किया गया। यह टेण्डर भारत सरकार के उपक्रम ईईएसएल कंपनी को मिला था। कंपनी ने लाईट बदलने के लिए स्थानीय स्तर पर ठेकेदार को काम दे दिया। ठेकेदार द्वारा स्वंय लाईट न बदलते हुए नगर निगम के अमले का काम पर लगा दिया। इतना ही नहीं अनुबंध के अनुसार लाईट खराब होने पर उसे सही कराने की जिम्मेदारी भी कंपनी की है, लेकिन ठेकेदार ने नगर निगम अमले को लाईटों के संधारण में लगा दिया। यह बहुत बड़े स्तर का भ्रष्टाचार है। अनुबंध के विपरीत काम कराने की शिकायत निगम प्रशासक एवं संभागायुक्त आशीष सक्सैना को मिली। उन्होंने मंगलवार को निगम मुख्यालय में आयोजित हुई बैठक में इस मामले की समीक्षा करते हुए निगम अधिकारी, स्मार्ट सिटी अधिकारी एवं ठेकेदार को जमकर फटकार लगाई। निगम प्रशासक ने अनुबंध के अनुरूप ठेकेदार को लाईटों का संधारण कराने के निर्देश दिए। साथ ही जो काम नगर निगम अमले द्वारा किया गया है उसका बिल बनाकर कंपनी से भुगतान लेने की जिम्मेदारी भी निगम के विद्युत अधिकारियों को सौंपी। बैठक के दौरान निगमायुक्त किशोर कन्याल, स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मौके पर ही फाईल मंगाकर अनुबंध दिखाया :

स्मार्ट एलईडी की जब चर्चा चल रही थी तो अधिकारियों ने कहा कि अनुबंध के अनुरूप ही काम किया जा रहा है। लेकिन निगम प्रशासक ने इस पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने तत्काल अनुबंध एवं टेण्डर संबंधी फाईल मंगाई। फाईल लाने में लगभग 20 मिनिट का समय लगा। इसके बाद निगम प्रशासक ने अनुबंध के पढ़कर सुनाते हुए कहा कि इसमें साफ लिखा है कि लाईट लगाने एवं संधारण का काम भी ठेकेदार को करना है। फिर क्यों निगम अमले को काम पर लगा रखा है। इसका ठेकेदार कोई जबाव नहीं दे पाया।

जब लाईट बदलने का ठेका है तो खंबे पर ही बदलोगे न :

बैठक में ठेकेदार ने कहा कि हम लाईटें देंगे लेकिन खंबे पर उन्हें लगाने का काम नगर निगम को करना है। इसके जबाव में निगम प्रशासक ने कहा कि अनुबंध में कहां लिखा है कि नगर निगम अमला लाईट बदलेगा। जब आपने लाईट बदलने का ठेका लिया है तो लाईटें खंबे पर ही बदली जाएंगी। पानी में तो लाईट नहीं बदलेंगी। आपने अब तक निगम अमले से जो काम कराया है उसका भुगतान हर हाल में करना होगा।

इस तरह समझें मामला :

  • शहर में 52 हजार पुरानी स्ट्रीट लाईट बदलकर नई एलईडी लाईट लगानी है।

  • स्मार्ट सिटी द्वारा टेण्डर किया गया जिसमें ईईएसएल कंपनी को ठेका मिला।

  • कंपनी द्वारा शहर में 52 हजार लाईटों को बदल दिया है। कुछ जगह पर अभी पुरानी लाईटें लगी हैं, उन्हें भी बदला जाएगा।

  • स्मार्ट सिटी ने लगभग 27 करोड़ रुपय में काम करने का अनुबंध किया था, लकिन कंपनी द्वारा डाली गई रेट में 18 से 19 करोड़ रुपय में 52 हजार लाईटें बदल जाएगी।

  • अनुबंध के अनुसार जो स्मार्ट एलईडी फुकेंगी या खराब होंगी, उन्हें कंपनी सही करके देगी।

  • कंपनी ने अपना स्टाफ भी विद्युत विभाग में लगा रखा है, लेकिन संधारण का काम निगम अमले द्वारा कराया गया।

  • जोन स्तर पर जो बिजली कर्मी लगे हैं उनसे ही लाईटें ठीक कराई गई।

  • कंपनी को खंबे से लाईटें उताकर नई एलईडी लगानी है, लेकिन इस कार्य में भी निगम अमले का उपयोग किया गया।

इनका कहना है :

स्मार्ट एलईडी लगाने वाली कंपनी को अनुबंध के अनुरूप खराब होने वाली लाईटों को स्वंय ठीक करना था। लेकिन इस काम में नगर निगम अमले का उपयोग किया गया। मैंने निगम अधिकारियों को बिल बनाकर देने के निर्देश दिए हैं। जो काम नगर निगम अमले से कराया गया है उसके एवज में कंपनी से भुगतान लिया जाएगा।

आशीष सक्सेना, निगम प्रशासक एवं संभागायुक्त

जिस कंपनी ने ठेका लिया है वह लाईटों के संधारण में समय लगा रहीं थी। इससे कॉलोनियों में अंधेरा हो रहा था और लोग शिकायतें कर रहे थे। इसी वजह से कंपनी के साथ निगम अमले को लगाया गया, ताकि समय पर लाईटें ठीक हो सकें। अब निगम अमले से जो काम कराया गया है उसका बिल बनाकर कंपनी को देंगे।

देवी सिंह राठौर, विद्युत प्रभारी, नगर निगम

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