Gwalior : अंचल के टूटे हुए पुलों का दो माह में होगा निर्माण शुरू
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। ग्वालियर चंबल संभाग में वर्ष 2021 में बाढ़ से टूटे 8 पुलों का पुनर्निर्माण अगले दो माह के भीतर शुरू हो जाएगा। पुलो के पुनर्निर्माण कार्य पर 192.3 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। यह सभी पुल दो साल के अंदर बनकर तैयार हो जाएंगे। पुल निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग विभाग की ओर से टेंडर जारी कर दिए गए हैं। अब मार्च के अंतिम सप्ताह में इन पुलों के निर्माण का कार्य शुरू हो सकता है। पुलों के ढह जाने से लोग आवागमन के लिए परेशान हो रहे है और लम्बा चक्कर लगाकर अपना सफर पूरा करना पड़ रहा है। इन पुलो के निर्माण को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह भी मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके थे।
लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर चंबल सभाग में वर्ष 2021 में आई बाढ़ में रतनगढ़ मार्ग पुल दतिया जिले के सनकुआं घाट श्योपुर मुरैना व भिण्ड जिले के पुल टूट गए थे तो कुछ बह गए गए थे। अब इन सभी पुल को बनाए जाने के टेंडर जारी हो गए हैं और अगले दो महीने के अंदर इन पुलों पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा तथा दो साल के भीतर उक्त पुलो का निर्माण हो जाएगा। जो समय सीमा दी गई है उसको देखते हुए लोगो को अभी दो साल और सफर के लिए चक्कर लगाने पड़ेंगे। जब पुल बाढ़ में बह गए थे तो दो साल तक उनको बनाने के लिए इंतजार क्यों किया गया इसको लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठा रही है।
सवाई माधोपुर से सबलगढ़-मुरैना मार्ग बंद :
मानपुर-ढोढर मार्ग सीप नदी पर बने पुल भी साल 2021 में आई बाढ़ में बह जाने से श्योपुर और सवाई माधोपुर से सबलगढ़ मुरैना की ओर जाने वाला मार्ग भी बंद हो गया है। इसके साथ ही शिवपुरी में कुनों नदी दतिया में रतनगढ़ बसई मार्ग इंदरगढ़ पिछोर में सिंध नदी पर व भिण्ड जिले के गोरई अडोखर मार्ग पर इंदुर्खीघाट व जमखोली से लारोल मार्ग में सिंधु नदी पर बने पुराने पुल टूटने से लोगों को हर दिन 70 किमी का चक्कर लगाकर अपने गंतव्य की ओर जाना पड़ रहा है।
लगाना पड़ रहा है 70 किमी का चक्कर :
दतिया जिले के सेवढ़ा तहसील के सनकुआं घाट पर 40 साल पुराना पुल बाढ़ के चलते बह गया था। इस पुल से दतिया के मोह सेवढ़ा तहसील के लोग ग्वालियर तक आवागमन करते हैं। पुल टूटने से ग्वालियर और सेवढ़ा कस्बे की दूरी करीब 70 किलोमीटर बढ़ गई है। अब तक सेंवढ़ा से ग्वालियर 80 किमी दूर था, लेकिन पुल के टूटने के बाद से अब यह दूरी बढ़कर 150 किमी हो गई है। इससे लोगों को हर बार 70 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
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