Gwalior : आशा-उषा गईं हड़ताल पर प्रभावित होगा मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जिले में 14 नवम्बर से मीजल्स-रूबेला निर्मूलन टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है। अभियान शुरू होने से पहले ही जिले की आशा-उषा कार्यकर्ता हड़ताल पर चली गई हैं। इसलिए पहले दिन ही टीकाकरण प्रभावित होता दिखा। हालांकि इस बात को अधिकारी भी मान रहे हैं कि आशा-उषा कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर जाने से टीकारण प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि फिर भी हम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की मदद लेकर लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करेंगे। वहीं कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने भी टीकाकरण को लेकर बैठक ली और लक्ष्य पूरा करने के निर्देश दिए।
खसरा मुक्त प्रदेश बनाने के लिए बाल दिवस के अवसर पर मीजल रूबेला अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में उन बच्चों को टीका लगाया जा रहा है जिन्हे यह टीका नहीं लग सका है। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं ने सर्वे कर ऐसे बच्चों को चिन्हित भी कर लिया है। ग्वालियर जिले में ऐसे 4 हजार बच्चे है, लेकिन अब इन चिन्हित बच्चों को एएनएम की मदद से टीका लगाए जाने का काम आशा-उषा कार्यकर्ताओं की हड़ताल पर जाने से प्रभावित होगा। आशा-उषा संघ की जिलाध्यक्ष लीला रायपुरिया का कहना है कि जिले की 1400 आशा कार्यकर्ता सहित प्रदेश भर की आशा कार्यकर्ता सोमवार से हड़ताल पर चली गई हैं। सरकार ने हमसे विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं में काम कराया, लेकिन उसका पैसा सरकार ने नहीं दिया। इसके अलावा नियमितिकरण की मांग भी पूरी नहीं की गई। हड़ताल के दौरान फूलबाग मैदान पर इकठ्ठा हुई आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की।
दो चरणों में होगा टीकाकरण अभियान, कलेक्टर ने ली बैठक :
सोमवार कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई बैठक में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि मीजल्स एवं रूबेला एक घातक बीमारी है। इससे बचाव के लिए पहला टीका 9 से 12 माह की आयु में तथा दूसरा टीका 16 से 24 माह की आयु में लगाया जाता है। टीकाकरण का 95प्रतिशत से अधिक कवरेज होने पर मीजल्स रूबेला का निर्मूलन किया जा सकता है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. आर के गुप्ता ने बैठक में जानकारी दी कि मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान का प्रथम चरण 14 नवंबर से 19 नवंबर 2022 तक एवं द्वितीय चरण 19 दिसंबर से 24 दिसंबर 2022 के तक चलेगा। अभियान के तहत 9 माह से 5 वर्ष तक की आयु के छूटे हुये बच्चों का मीजल्स-रूबेला टीकाकरण किया जाएगा। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष तिवारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा तथा टास्क फोर्स के अन्य सदस्य मौजूद थे।
मीजल्स के यह हैं लक्षण :
मीजल्स एक गंभीर बीमारी है खांसने- छींकने से एक बीमार बच्चे से दूसरे बच्चे में फैलती है।
बच्चे को निमोनिया, दस्त, दिमागी, संक्रमण जैसी घातक जटिलताओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है।
बच्चे में बुखार, शरीर पर लाल दाने, नाक बहना, आंख आना जैसे लक्षण से इसकी पहचान होती है।
बीमारी संक्रमित बच्चे की खांसी की ड्रॉपलेट के माध्यम से फैलती है एवं इसके लक्षण 7 से 14 दिन में दिखाई देते हैं।
रूबेला के लक्षण :
गर्भवती स्त्री के गर्भ में पल रहा बच्चा अंधा, बहरा, मंदबुद्धि, दिल में छेद जैसी विकृति के साथ पैदा होता है।
बच्चे की गर्भ में मृत्यु भी हो सकती है, अगर महिला को गर्भ के आरंभ में रूबेला संक्रमण होता है तो सीआरएस (जन्मजात रूबेला सिंड्रोम) विकसित हो सकता है ।
रूबेला संक्रमण को जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 दिन बाद चकत्ते से आते हैं और यह 3 दिन तक रह सकते हैं।
इनका कहना है :
हां, जानकारी मिली है कि आशा-उषा हड़ताल पर चली हैं। टीकाकरण प्रभावित होगा यह बात सही है, लेकिन हम लक्ष्य को पूरा करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की मदद लेंगे।
डॉ. आरके गुप्ता, जिला टीकाकरण अधिकारी
हमने 14 नवम्बर से हड़ताल शुरू कर दी है। यह 19 नवम्बर तक चलेगी। इसकी जानकारी हमने एक महीने पहले कलेक्टर और सीएमएचओ को दे दी थी। हमारी मुख्य मांग नियमितिकरण, आशा-उषा के वेतन में वृद्धि की मांग है।
लीला रायपुरिया, जिलाध्यक्ष आशा-उषा कार्यकर्ता संघ
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।