भारत की धरती पर फिर शुरु होगें प्राचीन काल के गुरुकुल, मध्यप्रदेश सरकार कर रही पहल
भोपाल, मध्यप्रदेश। भारत की शिक्षा पद्धति में प्राचीन गुरुकुल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। गुरुकुल में न केवल किताबी शिक्षा, बल्कि नागरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता था। जीवन को जीने की कला से लेकर किसी भी बड़ी जिम्मेदारी को कौशलता से निभाने के गुर भी इन प्राचीन गुरुकुलों में सिखाए जाते थे। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान इन गुरुकुलों को समाप्त कर दिया गया, लेकिन अब भारत में इसकी फिर से स्थापना की जा रही है। इसकी पहल मध्यप्रदेश से होगी। राज्य सरकार ने इसकी परिकल्पना जमीन पर उतारने के लिए जोरदार तैयारी की है। दो हजार करोड़ से भी अधिक बजट के एकात्म धाम प्रोजेक्ट में भारत का पहला प्राचीन गुरुकुल बनने जा रहा है। इस गुरुकुल का संचालन आचार्य शंकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अद्वैत वेदांत संस्थान करेगा।
एकात्म धाम में बनने वाला गुरुकुल ठीक वैसा ही होगा जैसा प्राचीन काल में हुआ करता था। इस गुरुकुल में सीमेंट क्रांकीट और लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। इसका निर्माण पूर्णत: लकड़ी, पत्थर, मिट्टी और घास-फूस से किया जाएगा। इसका निर्माण ठीक वैसा ही किया जाएगा, जैसा कि प्राचीन समय में गुरुकुल की संरचना होती थी। इस गुरुकुल में अध्ययन कार्य से लेकर व्यक्तित्व विकास कौशल गुरुओं द्वारा किया जाएगा। गुरुकुल में 300 विद्यार्थियों के ठहरने, भोजन व शिक्षा की व्यवस्था होगी। इन विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार से इस तरह का महसूस नहीं होगा कि वे प्राचीन गुरुकुल में नहीं है। उनको अपने काम स्वयं करने होंगे। इस गुरुकुल में गौशाला भी होगी, जहां पर विद्यार्थी गौसेवा करेंगे।
संस्कार देने का कार्य करेंगे गुरुकुल :
जिस तरह से प्राचीन गुरुकुल में अच्छे राजा, योद्धा, विद्वान, शिक्षक और कई विद्याओं से परिपूर्ण व्यक्तित्वों को तैयार किया जाता था, जिनमें संस्कारों की कोई कमी नहीं होती थी, ठीक उसी तरह इस गुरुकुल में भी उसी तरीके से बच्चों को तैयार किया जाएगा।
गुरुकुल शुरु करने का उद्देश्य :
ओंकारेश्वर में एकात्म धाम के भीतर प्राचीन स्वरूप का गुरुकुल शुरु करने के पीछे मप्र सरकार की मंशा समाज के लिए बेहतर मनुष्य तैयार करना है। इस गुरुकुल में जीवन जीने की कला, व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, इसके अलावा विद्यार्थियों को सनातन धर्म की जानकारी, पद्धति से भी अवगत कराया जाएगा।
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