श्योपुर, मध्यप्रदेश। जिले भर में सैकड़ों की संख्या में चिकित्सीय कार्य कर रहे अपात्र चिकित्सकों के कारण लगातार होती मौतों के बाद भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं खुल रही है। जिसका खामियाजा गरीब लोगों को अपने बच्चों की जान गंवाकर उठाना पड़ रहा है। शनिवार को बड़ौदा तहसील के ग्राम पाण्डोला में एक पिता ने अपने 18 माह के पुत्र को खो दिया।
क्या है मामला ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार को पवन पुत्र लालाराम जाटव उम्र 18 माह की तबियत खराब होने में पर पाण्डोला गांव में ही शिक्षक के साथ-साथ चिकित्सक का कार्य कर रहे मुनव्वर अली के पास बच्चे का पिता उपचार के लिये लेकर गया। बच्चे के पिता के अनुसार मुनव्वर अली ने बच्चे को एक इंजेक्शन लगाया था, जिसके कुछ समय बाद ही बच्चे की मौत हो गई।
बच्चे की मौत से अनभिज्ञ लालाराम उसे जिला चिकित्साल श्योपुर लेकर आने की बात भी कह रहा है। जहां, चिकित्सकों ने बालक को देखते ही मृत घोषित कर दिया। तब रोता बिलखता पिता अपने बच्चे के शव को लेकर थाना बड़ौदा पहुंचा और कार्रवाई की मांग करने लगा। जिसपर पुलिस द्वारा पहले बच्चे का पीएम कराया गया इसके बाद मर्ग कायम कर मामले की विवेचना प्रारंभ कर दी गई।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना
बड़ौदा नगर निरीक्षक रविन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि, पिता लालाराम की शिकायत पर उक्त प्रकरण में मर्ग कायम कर विवेचना प्रारंभ कर दी है, विवेचना उपरांत दोषी पाए जाने पर दोषी के खिलाफ कानून सममत कार्रवाई की जाएगी। वहीं सीएमएचओ डॉ. बीएल यादव का कहना है कि, बिना डिग्री ही नहीं बिना रजिस्ट्रेशन चिकित्सीय कार्य करने वाले लोगों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। उक्त मामले में भी जांच करवाई जाएगी और जांच उपरांत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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