सरकार का नाम बदल अभियान ध्यान बटाने की कुचेष्टा: भूपेन्द्र गुप्ता
सरकार का नाम बदल अभियान ध्यान बटाने की कुचेष्टा: भूपेन्द्र गुप्ताSocial Media

सरकार का नाम बदल अभियान ध्यान बटाने की कुचेष्टा : भूपेन्द्र गुप्ता

भूपेन्द्र गुप्ता ने शहडोल को नर्मदा संभाग बनाने की मांग करते हुए प्रदेश सरकार पर रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा देने में असमर्थ बताते हुए नाम बदलकर जनता का ध्यान बाटने की कोशिश बताया है।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। होशंगाबाद संभाग का नाम बदलने की सरकार की घोषणा पर मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने शहडोल को नर्मदा संभाग बनाने की मांग करते हुए प्रदेश सरकार पर रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा देने में असमर्थ बताते हुए नाम बदलकर जनता का ध्यान बाटने की कोशिश बताया है।

गुप्ता ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने स्थानों के नाम बदलने को ही अपने विकास का नया रोड मैप बना लिया है। स्थानों के नाम वही सरकार बदलती है जो न तो अपने बच्चों को शिक्षा दे पाती है, न अपने बीमारों को उपचार दे पाती है, न अपने बेरोजगारों को रोजगार दे पाती है, न अपने किसानों को खाद, बीज दे पाती है और न अपने उद्यमियों को अवसर दे पाती है। ऐसी ही सरकारें नाम बदलकर अपनी असफलता का कलंक छुपाने की कोशिश करती हैं।

गुप्ता ने कहा कि सरकार अगर मां नर्मदा को महिमामंडित करना चाहती है तो उसे शहडोल संभाग का नाम नर्मदा संभाग रखना चाहिए, जहां से मां नर्मदा जन्म लेती हैं और 23 करोड़ भारतीयों को प्राणजल देती है। अरबों-खरबों की वन संपदा देती है, दुनिया के लिए चमत्कारी मेगा डायवर्सिटी देती है, लेकिन भाजपा की सरकार इस आदिवासी संभाग को विश्व पटल पर लाने में क्यों झिझकती है क्योंकि वहां आदिवासी रहते हैं। नर्मदा जी का तादात्म्य केवल अमरकंटक से हो सकता है। सरकार को चाहिए कि नाम बदल योजना में विकास कार्यों को जोड़ा जाए जिन शहरों के नाम बदले जा रहे हैं उन शहरों में जन कल्याण की बड़ी योजना उन नामों से शुरू की जाए, ताकि जनता का पेट भरे, रोजगार पैदा हो और जो पर्ची चिपकाना चाहते हैं उससे जनकल्याण का रास्ता भी निकले।

गुप्ता ने कहा इस सरकार को अध्ययन करवाना चाहिए कि होशंगशाह तो मालवा का राजा था। रानी रूपमती उसकी पत्नी थी। मांडू उसकी राजधानी थी, जबकि होशंगाबाद गोंडवाना का हिस्सा था। नाम बदल अभियान के साथ इतिहास का भी अध्ययन करवाया जाए तो ज्यादा सामयिक होगा । भूख, प्यास, रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा देने में असमर्थ सरकार नाम बदलकर भी जनता का ध्यान बांटने में सफल नहीं होगी।

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