कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव
कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव Raj Express

जिस दिन से चला हूं, मंजिल पर नजर है, इन आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।

साधनों के भरोसे लिया गया संकल्प हो सकता है रह जाए अधूरा , लेकिन साधना के दम पर लिये जाने वाले संकल्प अवश्य ही होते हैं पूरे।
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राज एक्सप्रेस। रहली क्षेत्र के निरंतर विकास का पर्याय बन चुके मप्र शासन के कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव के लिए यह पंक्तियां सार्थक साबित हो रही हैं। ऐसे गोपाल भार्गव द्वारा लोगों की समस्याओं का निराकरण के लिए तत्पर रहने एवं संपूर्ण समर्पण की भावना के कारण आज का सुनहरा दिन आया है। पंडित गोपाल भार्गव और रहली विधानसभा के लिए आज 11 मार्च का दिन ऐतिहासिक है ,क्योंकि आज लंबे संघर्ष और संकल्प के प्रति समर्पण के कारण 20 वे कन्यादान समारोह में 21 सौ कन्याओं का विवाह होगा और इसी के साथ गोपाल भार्गव का वह संकल्प भी पूरा होगा जिसमें उन्होंने 21 सौ कन्याओं के विवाह का संकल्प लिया था। समारोह में अब तक 19 हजार विवाह हो चुके हैं। इस कार्यक्रम में शामिल होने आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गढ़ाकोटा पहुंचेगे।

गोपाल भार्गव ने यह सिद्ध कर दिया है कि पार्टी चाहे पक्ष में रहे या विपक्ष में उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने में अभी कोई कसर नहीं छोड़ी। 21 हजार कन्याओं का विवाह कराने का महत्व वही व्यक्ति समझ सकता है, जिसने कभी एक कन्या का विवाह कराया हो। उन्होंने कितनी शिद्दत और समर्पण से यह संकल्प पूरा किया होगा, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2015 के सामूहिक कन्या विवाह में अपने इकलौते बेटे अभिषेक भार्गव दीपू और बड़ी बेटी अवंतिका का विवाह भी उन्होंने इसी सामूहिक विवाह समारोह में किया, जिसमें पिछले 20 सालों से विभिन्न जाति व धर्म के गरीब बच्चे बच्चियों की शादी हो रही है। जाहिर है संघर्ष और समर्पण से सफलता पाने वाले गोपाल भार्गव के जीवन का आज महत्वपूर्ण पड़ाव जिसमें वे 21000 कन्याओं के विवाह कराने का संकल्प पूरा करेंगे। शायद इसी कारण चारों ओर से उन्हें साधुवाद मिल रहा है। इस अभियान से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उस अभियान को भी ऐसी ऊंचाइयां मिली, जिसमें संघ परिवार एक कुआं एक पाठशाला एक मंदिर और एक मंडप की बात करता रहा है। आज प्रदेश और देश में सामाजिक समरसता के क्षेत्र में सामूहिक कन्या विवाह की क्रांति आ गई है।

आठ बार की जीत में 20 साल विपक्ष का विधायक होना भी कड़े संघर्ष का कार्यकाल

दरअसल गोपाल भार्गव को यदि संघर्ष और समर्पण का पर्याय कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनका शुरुआत से लेकर अब तक का जीवन इसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। गढ़ाकोटा को तहसील बनाने के आंदोलन से राजनीतिक जीवन मेंं संघर्ष की शुरुआत हो गई थी। जेल गए लाठियां खाईं, लेकिन कभी झुके नहीं। इसके फल स्वरूप नगर पालिका अध्यक्ष बने और रहली जैसी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली विधानसभा सीट पर भार्गव जैसे युवा नेता पर पार्टी ने दांव लगाया। रहली सीट जो 1977 की जनता पार्टी लहर में भी कांग्रेस ने जीती थी, वहीं 1985 की इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस को हराकर गोपाल भार्गव ने भाजपा की झोली में डाल दिया। तब से लगातार आठ बार से चुनाव जीत रहे हैं, जिसमें दो बार तो घर बैठे ही चुनाव जीता। आठ बार की जीत में 20 साल विपक्ष का विधायक होना भी कड़े संघर्ष का कार्यकाल था, लेकिन समर्पण ऐसा था कि क्षेत्र के प्रति पार्टी के प्रति और लोगों के दुख दर्द करने के प्रति कभी कोई समस्या इतनी बड़ी नहीं हुई ,जिनका समाधान गोपाल भार्गव ना कर पाए हो। इसलिए शायद कुछ तो बात है जो हस्ती मिटती नहीं तुम्हारी शायद। यह लाइनें भी गोपाल भार्गव के लिए ही लिखी गई है। लगातार एक ही क्षेत्र से 8 बार विधानसभा का चुनाव जीतना। दो दशक से कैबिनेट मंत्री और बीच में मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभालना अपने आप में उनकी कार्य कुशलता को ही दर्शाता है। गोपाल भार्गव ना केवल सीधी बात और सहज सरल मुलाकात के लिए जाने जाते हैं, वरन परोपकार और दया जैसे धर्म कार्य को भी उन्होंने आत्मसात किया हुआ हैं। शायद इसी के कारण वे राजनीति के अपराजेय योद्धा तो हैं ही राजनीति के संत भी कहे जाते हैं। ऐसे संत नेता की तपस्या और समर्पण आज फलीभूत होने जा रहा है। आज आयोजन में 21 सौ कन्याओं का विवाह होगा और इसी के साथ 21000 कन्याओं की शादी कराने का संकल्प भी पूरा हो रहा है। इसके साथ गोपाल भार्गव इस मामले में अनूठे हैं कि आज जब पार्षद सरपंच भी अपने बच्चों की शादी धूमधाम से बड़ी-बड़ी होटलों में करते हैं तब गोपाल भार्गव ने केबिनेट मंत्री रहते हुए अपने इकलौते बेटे और बेटी का विवाह इसी कन्या समारोह में कर चुके हैं। यही कारण है कि गोपाल भार्गव आज राजनीति में काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यदि उनके जैसा आचरण राजनीति में काम करने वाले लोग करने लगे तो फिर नेताओं को एंटी इनकंबेंसी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

जिसका कोई ना पूछे हाल उसका साथी है गोपाल’

देर रात तक जाग कर लोगों की समस्याएं सुनना और उसे हल करना तो जगजाहिर है ही गरीब लोगों के इलाज गढ़ाकोटा से लेकर सागर, भोपाल दिल्ली और मुंबई तक में कराने वाले भार्गव अब तक 20000 लोगों का इलाज करा चुके हैं। भोपाल के सरकारी बंगले में आधे से ज्यादा हिस्सा इलाज कराने वाले लोगों से भरा रहता है । शायद यही कारण है कि जहां हर चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों के नारे बदल जाते हैं लेकिन पिछले 40 सालों से गोपाल भार्गव के चुनाव में एक ही नारा चलता है जिसका कोई ना पूछे हाल उसका साथी है गोपाल’ क्षेत्र में अपने समर्थकों और प्रदेश में शुभचिंतकों के बीच गोपाल भार्गव भैया के नाम से पुकारे जाते हैं। शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसे तीन पीढ़ी भैया कहकर पुकारे और भैया भी लगभग 4 लाख लोगों को नाम से पुकारने की क्षमता रखते हैं। पूरे प्रदेश में उनके चाहने वालों की एक अलग ही जमात है, जो उन्हें राजनीति में बेदाग नेता मानते हैं, अपना नेता मानते हैं और पार्टी भी उनके समर्पण और चुनाव जिताऊ क्षमता को देखते हुए उन्हें हर कठिन चुनौती में आगे करती है। पिछले वर्ष को ही देख ले जब सुरखी, बड़ामलहरा और पृथ्वीपुर जैसी विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव की चुनौती पार्टी के सामने थी, तब गोपाल भार्गव को मोर्चे पर तैनात किया गया और तीनों क्षेत्रों में उन्होंने भारी अंतर से जीत दिलाई। वे स्वयं भी हमेशा अपना चुनाव 55 परसेंट से 70 परसेंट तक वोट लेकर जीतते आ रहे हैं, जिसमें दो बार नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद चुनाव प्रचार पर निकले बगैर ही जीते, लेकिन जब पार्टी कठिन चुनावी चुनौती उन्हें सौंप दी है तब वे पूरे समर्पण भाव से दिन-रात मेहनत करके चुनाव को भारी बहुमत से जिताते हैं।

कोरोना त्रासदी में भी दिन-रात की मरीजों की सेवा

गोपाल भार्गव के जीवन में जब-जब चुनौती आती है, तब-तब ऐसे ही लोगों के शुभ के भाव उनका संभल बनते हैं। इस सदी की सबसे भीषण त्रासदी कोरोना महामारी थी जब खून के रिश्ते में भी कई जगह अपनों का साथ नहीं दिया, तब गोपाल भार्गव और उनके बेटे अभिषेक भार्गव ने दिन-रात और ना मरीजों की सेवा की उनके लिए रातों-रात अस्पताल तैयार करवाया और जो इंजेक्शन और दवाईयां बड़े शहरों में नहीं मिल रही थीं। रहली क्षेत्र के पीडि़तों के लिए सहज उपलब्ध थी। इन्हीं प्रयासों के चलते दौड़ भाग में गोपाल भार्गव भी कोरोना की चपेट में आ गए और जब वह भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे तब उनके चाहने वाले हजारों समर्थक देव स्थानों पर मन्नत मांग रहे थे। कोई पैदल जा रहा था तो कोई उपवास कर रहा था और जब भार्गव स्वस्थ होकर लौटे तब भी सालभर मन्नत पूरी होने पर कृतज्ञता का दौर महीनों चलता रहा। शायद गीता का यह निचोड़ भी सिद्ध होता है कि किया हुआ व्यर्थ जाता नहीं और किए बिना कुछ मिलता नहीं। गोपाल भार्गव ने अपनी गुल्लक को जिन अच्छाइयों से भरा है वह जब-जब जरूरत पड़ती है शुभकामना के रूप में उनके सामने आते हैं। उन्होंने अच्छा किया तो पूरे जीवन में अच्छा ही मिल रहा है।

सीएम शिवराज भी कन्यादान महापर्व में शामिल होने पहुंचेगे गढक़ोटा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज गढ़ाकोटा में आयोजित कन्यादान का महापर्व कार्यक्रम में शामिल होंगे मुख्यमंत्री दोपहर 2:15 बजे पहुंचेंगे। कन्यादान समारोह में 2100 वर-वधु दाम्पत्य बंधन में बंधेंगे। गढ़ाकोटा में 20 साल से लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा कन्यादान समारोह हो रहा है और अब तक 19 हजार विवाह हो चुके हैं।

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