इंदौर, मध्य प्रदेश। जीएसटी कानून लागू होने के बाद भी लगातार जीएसटी काउंसिल के द्वारा बदलाव नोटिफिकेशन के माध्यम से किए जा रहा है। 25 अगस्त को जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार सीजीएसटी एक्ट की धारा 50 के प्रोविजन को 1 सितंबर से लागू किया गया जिसमें भुगतान के विलंब पर ब्याज की गणना के बारे में बदलाव किया गया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार 1 सितंबर 2020 के बाद व्यापारी द्वारा जीएसटी भुगतान में विलंब होने पर ब्याज की लायबिलिटी नेट अमाउंट पर कैलकुलेट होगी। इस नोटिफिकेशन ने व्यापारियों को असमंजस में डाल दिया है।
वित्तमंत्री की दी जानकारी के विपरीत आया नोटिफिकेशन :
वित्त मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के विपरीत आए इस नोटिफिकेशन में 1 सितंबर 2020 से लागू होना बताया गया है जबकि वित्त मंत्री की घोषणा के बाद इस प्रकार के बदलाव की अपेक्षा 1 जुलाई 2017 से लागू होना की जा रही थी। इस नोटिफिकेशन के आने के बाद व्यापारियों में चिंता बढ़ चुकी है क्योंकि विगत तीन वर्षो की अवधि से संबंधित पेमेंट पर यदि ग्रॉस लायबिलिटी पर ब्याज लिया गया तो करदाता काफी समस्या में आ जाएंगे। उदहारण के लिए यदि किसी की ग्रॉस लायबिलिटी 10 लाख है और आईटीसी 4 लाख है तो इस नोटिफिकेशन के अनुसार 1 सितंबर के बाद 6 लाख के लेट भुगतान पर ही ब्याज लगेगा परंतु उससे पहले की अवधि वाले भुगतान यदि लेट किए गए हैं तो पूरे 10 लाख पर ब्याज लगेगा।
तकनीकी कारणों से किया बदलाव :
सीए आनंद जैन ने बताया कि 25 तारीख को जारी किए गए इस नोटिफिकेशन के सम्बन्ध में 26 अगस्त को एक क्लीयरीफिकेशन जारी किया गया है जिसके अनुसार विभाग ने यह क्लियर किया है कि कुछ तकनीकी कारणों से यह बदलाव 1 सितंबर से लागू किया गया है परन्तु सेंट्रल और स्टेट विभाग के द्वारा पूर्व वर्षों के भुगतान पर भी ग्रॉस लायबिलिटी के ऊपर ब्याज की मांग एवम् रिकवरी नहीं की जाएगी।
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