निजी स्कूलों को 10% फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता न्यायालय के आदेश की अवेहलना

अभी स्कूलों में भौतिक रूप से नियमित कक्षाएं शुरु नहीं हुई हैं, ऐसे में फीस वृद्धि का आदेश अनुचित है, जिसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिये, अन्यथा मामले को लेकर पुन: हाईकोर्ट की शरण ली जायेगी।
निजी स्कूलों को 10 फीसदी फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता न्यायालय के आदेश की अवेहलना
निजी स्कूलों को 10 फीसदी फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता न्यायालय के आदेश की अवेहलनाSyed Dabeer Hussain - RE
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जबलपुर, मध्यप्रदेश। कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूलों द्धारा मनमानी फीस वसूलने की शिकायतें सामने आ रहीं है, इतना ही नहीं मप्र शासन के आयुक्त लोक शिक्षण ने भी एक आदेश जारी कर 10 फीसदी फीस बढ़ोत्तरी की स्वतंत्रता निजी स्कूलों को दे दी है, जिसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ेगा। महंगाई के दौरान में बिना भौतिक कक्षाओं के शुरु हुए फीस बढ़ोत्तरी अनुचित है। जिसकों लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच ने स्कूल शिक्षा विभाग व लोक शिक्षण विभाग को पत्र भेजकर फीस वृद्धि संबंधी आदेश निरस्त किये जाने की मांग की है।

नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने बताया कि आयुक्त लोक शिक्षण ने 29 जून को एक आदेश जारी कर निजी स्कूलों को 10 फीसदी फीस वृद्धि करने की स्वतंत्रता दी है, जो कि अनुचित है। आवेदकों का कहना है कि कोरोना काल में फीस वृद्धि के खिलाफ उनकी ओर से व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर न्यायालय ने विगत 4 नवंबर 2020 को विस्तृत आदेश जारी कर सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के ही निर्देश दिये थे। इसके बावजूद निजी स्कूलों द्धारा मनमानी फीस वसूलने की शिकायतें आ रहीं थीं, जिस पर लोक शिक्षण विभाग ने उन्हें सिर्फ 10 फीसदी फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता दे दी है, जबकि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है और न ही ऐसी कोई घोषणा सरकार की ओर से की गई है, इसके बावजूद भी फीस वृद्धि की छूट देना अवैधानिक है। क्योंकि अभी स्कूलों में भौतिक रूप से नियमित कक्षाएं शुरु नहीं हुई हैं, ऐसे में फीस वृद्धि का आदेश अनुचित है, जिसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिये, अन्यथा मामले को लेकर पुन: हाईकोर्ट की शरण ली जायेगी।

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