कोरोनाकाल में पिता ने घर में बनाया जिम, खुद बने कोच, बेटी ने 4 मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया
भोपाल, मध्यप्रदेश। सफलता किसी के घर की बपौती नहीं होती, बल्कि कर्मशील और होनहार को खुद ढूंढ लेती है। आपको आमिर खान की मशहूर फिल्म दंगल की कहानी तो जरूर याद होगी। कुछ ऐसी ही कहानी है, कॉमन वेल्थ गैम के पॉवरलिफ्टिंग में 4 गोल्ड जीतने वाली शिवपुरी के छोटे से गांव की मुस्कान शेख की। कोरोनाकाल में जब लोग महामारी के डर से अपने घरों में दुबककर बैठे हुए थे, तब शिवपुरी के एक छोटे से ग्राम मझैरा की मासूम मुस्कान शेख देश के लिए गोल्ड मैडल जीतने का सपना लिए पसीना बहाने में जुटी हुई थी। 18 साल की मुस्कान की कहानी दंगल फिल्म के उन किरदारों से मिलती है, जिसे पिता ने अखाड़े में उतारकर कामयाबी के शिखर तक पहुंचा दिया था। चलिये मुस्कान से ही सुनते हैं, उसके सफलता और संघर्ष की कहानी-
मैं पहले हैंडबॉल खेलती थी, यह टीम गैम था, हालांकि इसमें भी मैंने दो नेशनल जूनियर खेले। लेकिन मैं अपनी सफलता से संतुष्ट नहीं थी, मुझे कुछ ऐसा बड़ा करना था, जिससे मेरे देश और प्रदेश का नाम दुनिया में हो। मेरे इस सपने को पूरा करने के लिए मेरे पिता ने मुझे समझाया कि तुम इंडिविजुअल गेम में अपना कैरियर बनाओ। इसमें तुम अपने हुनर और टेलेंट के बल पर कुछ कर पाओगी और भेदभाव व पक्षपात से भी बच जाओगी। तब मैंने वेट लिफ्टिंग को अपना गेम बनाया। इसमें दो बार मैं गोल्ड मैडल जीतने में कामयाब रही। इसी दौरान कोविड आ गया पूरी दुनिया जैसे थम सी गई ऐसे में मेरे सपने टूटने जैसे थे, लेकिन मेरे पिता दारा खान ने घर में ही जिम बना दिया, ताकि मेरी प्रैक्टिस के लिए मुझे बाहर ना जाना पड़े। इंटरनेशनल खिलाड़ियों के वीडियो देखकर मैने पिता की देखरेख में अपनी तैयारी जारी रखी। मेरा सपना और पिता की मेहनत उस वक्त कामयाब हो गई जब मेरा उन 22 खुशनसीब खिलाड़ियों में चयन हुआ जिन्हें न्यूजीलैंड में होने वाले कॉमल वेल्थ गेम के लिए चुना गया था। अब मेरे सामने सपने साकार करने और देश का नाम रोशन करने के लिए सिर्फ और सिर्फ मेरा हौसला और मां-बाप की दुआएं थी। पावर लिफ्टिंग में मैने 65 किलोग्राम केटेगिरी में एक के बाद एक चार गोल्ड मैडल जीते तो मेरे लिए यह सपने जैसा ही था। इसके बाद पूरे देश से बधाईयां मिलने लगीं, मेरे छोटे से गांव में भी जश्न का माहौल था और झांसी से लेकर शिवपुरी तक जैसे दीवाली मनने लगी थी। मेरी कामयाबी का जश्न ऐसे मनाया जा रहा था, जैसे शिवपुरी के हर घर की बेटी ने मैडल जीता हो। लेकिन मुझे एक अफसोस यह भी है, कि हाल ही में मेरे होम टाउन में सीएम का कार्यक्रम हुआ लेकिन मुझे बुलाने के लिए न्यौता नही भेजा गया, देश के लिए इतनी बड़ी कामयाबी के बाद भी मुझे इग्नोर कर दिया गया। बहरहाल मुझे इस अफसोस के साथ इस बात की बेहद खुशी है कि मैं मप्र से ताल्लुक रखतीं हूं और देश का नाम दुनिया में रौशन करने वाली मामा की भांजी हूं। मुस्कान मंगलवार को एक सम्मान समारोह में शिरकत करने के लिए राजधानी आई थी।
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