World Hypertension Day: हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन का मरीज, विशेषज्ञों ने कहा- समय रहते करें नियंत्रण
भोपाल, मध्य प्रदेश। हर तीसरा व्यक्ति हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप से पीडि़त हैं। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होना चिंता का विषय है। वहीं मरीजों में युवाओं की संख्या का बढऩा सबसे ज्यादा चिंताजनक है। चिकित्सकों के अनुसार उनके पास प्रतिदिन पहुंचने वाले मरीजों में से एक तिहाई मरीज उच्च रक्तचाप की समस्या से पीडि़त पाए जाते हैं। समय पर जांच ना होने पर उच्च रक्तचाप जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह बात शहर के वरिष्ठ चिकित्सकों ने विश्व हाइपरटेंशन डे पर राजएक्सप्रेस से खास बातचीत में कही। इसके दिन को मनाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए, विशेषज्ञों ने कहा कि, इस घातक बीमारी का पता लगाने और उसे कंट्रोल करने के लिए उपाय करने से ही इस दिन की सार्थकता है।
शहर के वरिष्ठ चिकित्सकों ने चिंता जताते हुए बताया कि, अब तीस या उससे कम उम्र के लोगों को भी उच्च रक्तचाप हो रहा है, जबकि पहले हाइपरटेंशन की शिकायत 40 वर्षीय लोगों में अधिक पाई जाती थी। इसकी मुख्य वजह है असंयिमत और अनियमित जीवन शैली, खानपान। कई बार मरीजों में जल्दी कोई लक्षण नहीं दिख पाते हैं, इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं। सही जीवन शैली अपनाने और समय-समय पर जांच कराते रहने से इस घातक बीमारी से होने वाले दुष्परिणाम जैसे लकवा, किडनी व नेत्र संबंधी रोगों से बचा जा सकता है।
अपनाएं स्वस्थ जीवन शैली, बचाव को ही इलाज समझें:
एक हेल्थ रिर्पोट के अनुसार, हर तीसरा व्यक्ति हायपरटेशन का मरीज है। मरीजों की संख्या में युवाओं की संख्या का बढऩा चिंता का विषय है। पहले ज्यादातर 40-50 उम्र वाले लोगों को यह समस्या होती थी,लेकिन अब 20 से तीस की उम्र वालों को भी यह समस्या घेर रही है। इसकी वजह है कि हमारे यहां लोग बीमार ना पडऩे तक व्यायाम और सही डाइट फॉलो नहीं करते हैं। यदि लोग पहले ही सही दिनचर्या और खानपान को जीवन का हिस्सा बना लेंगे तो रोग पास नहीं आएंगे। इसलिए बचाव को ही इलाज समझें। हायपरटेंशन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए मरीजों को डॉक्टर की सलाह अनुसार, बिना कोताही बरते दवाई का सेवन करना चाहिए।
डॉ. आरएस मीणा, एसोसिएट प्रोफेसर गांधी मेडिकल कॉलेज
बचाव के लिए छह एस को कहें ना:
ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरों में इसके रोगी अधिक है। इसकी वजह है खराब दिनचर्या और गलत खानपान। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे बचने के लिए अंग्रेजी के अक्षर एस-6 यानि सॉल्ट (नमक), सेचुरेटेड फेट्स, स्ट्रेस (तनाव), सेडेट्री लाइफ स्टाइल (गतिहीन जीवन शैली), स्मोकिंग (धूम्रपान), स्पीरिट यानि अलकोहल को ना करना होगा।
डॉ. पंकज मनोरिया, वरिष्ठ चिकित्सक (कार्डियोलाजिस्ट)
योग से स्ट्रेस मेनेजमेंट संभव: हायपरटेंशन का कारण स्ट्रेस ही है। इसको नियंत्रित करने के लिए योग सबसे उत्तम उपाय है। स्ट्रेस मेनेजमेंट के लिए कुछ आसन, प्राणायम और मेडिटेशन का अभ्यास आवश्यक है। प्राणायम में उज्जायी, भ्रामरी और आसान में ताड़ आसन, शवासन, अर्ध हलासन, पवन मुक्तासन, भुजंग आसन, बैठ कर पर्वत आसन, उत्तान मण्डुक आसन आदि। योग अभ्यास हमेशा कुशल मार्गदशर्क के सानिध्य में करना चाहिए।
डॉ. साधना दौनेरिया, विभगाध्यक्ष योग विज्ञान विभाग, बीयू
आयुर्वेद से हायपरटेंशन का प्रबंधन और नियंत्रण संभव: आयुर्वेद को अपना कर हायपरटेंशन का प्रबंधन और नियंत्रण किया जा सकता है। जिस व्यक्ति को माइल्ड से मॉडरेट हायपरटेंशन की समस्या है, उनका आयुर्वेद पद्धति से उपचार संभव हैं। करीब 60 प्रतिशत केस में पीडि़त को कोई लक्षण नहीं दिखते और उसे पता ही नहीं लगता है कि, उन्हें यह समस्या है, इसलिए 40 की उम्र के बाद नियमित तौर पर जांच कराना चाहिए। जीवनशैली में बदलाव, मोटापे पर नियंत्रण और आयुर्वेद चिकित्सा से नियंत्रण किया जा सकता है।
प्रो. उमेश शुक्ला, प्रिंसिपल खुशीलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय
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