हर पांचवां किशोर ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकार
हर पांचवां किशोर ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकारसांकेतिक चित्र

हर पांचवां किशोर ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकार

इंदौर, मध्यप्रदेश : बच्चे, किशोरों के साथ ही युवक भी तेजी से आनलाइन गेमिंग का शिकार हो रहे हैं। इसका बुरा असर हर प्रकार से इन पर पड़ रहा है, चाहे वो स्वस्थ्य को लेकर हो या फिर पढ़ाई, सामाजिक व अन्य।
Published on

इंदौर, मध्यप्रदेश। बच्चे, किशोरों के साथ ही युवक भी तेजी से आनलाइन गेमिंग का शिकार हो रहे हैं। इसका बुरा असर हर प्रकार से इन पर पड़ रहा है, चाहे वो स्वस्थ्य को लेकर हो या फिर पढ़ाई, सामाजिक व अन्य। यही कारण है कि प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिस्रा द्वारा बच्चों के लिए ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए एक 'ऑनलाइन गेमिंग एक्ट' लाने की घोषणा की है। इस घोषणा को लेकर शहर के मनोचिकित्सकों, बाल रोग विशेषज्ञों और बच्चों के अभिभावकों ने स्वागत किया है। विशेषज्ञों का कहना कि हर पांचवां किशोर ऑनलाइन गेमिंग की लत से पीड़ित है और कोविड -19 प्रसार के कारण लगे लॉकडाउन ने इस संकट को और बढ़ा दिया है।

शहर के साइकियाट्री के प्रोफेसर डॉ रामगुलाम राजदान ने कहा कि हर पांचवां किशोर ऑनलाइन गेमिंग की लत से पीड़ित है या मोबाइल फोन का आदी है। यह एक गंभीर मुद्दा बन गया है और इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए गहन कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि यह न केवल मरीजों के जीवन बल्कि देश के भविष्य को भी प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विकारों से ग्रस्त उनके पास आने वाले बच्चों की संख्या एक महीने में 4-5 से बढ़कर एक महीने में 10-15 हो गई है। डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि लॉकडाअन का असर बढ़ों के साथ ही बच्चों पर भी खासा पड़ा है। इस दौरान बच्चों और किशोरों में आनलाइन गेमिंग की लत और ज्यादा बढ़ गई है, जो लाकडाउन समाप्त होने के 6-7 माह भी उन पर हावी है।

ख्वाबों की दुनिया में ही जी रहे हैं :

गेम में कुछ आनलाइन गेम की दुनिया में इस कदर खो चुके हैं कि गेमिंग चरित्र को वास्तिविक समझते हुए उसका प्रतिनिधित्व करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि इसका हकीकत की दुनिया से कोई वास्ता नहीं होता है। इसलिए वास्तिविक दुनिया में उन्हें इसके कारण कई दिक्कतों के साथ ही तिरस्कारों का सामाना करना पड़ रहा है, जिसके कारण वो चिंता और अवसाद में जा रहे हैं, जो ज्यादा खतरनाक है। ऐसे बच्चों को अभिभावकों को तुरंत इस ख्वाब की दुनिया से बाहर निकलने के लिए उचित प्रयास करना चाहिए, नहीं तो इसके कई बार दुखद परिणाम सामने आते हैं।

खिलौने की जगह फोन पकड़ा देते हैं :

देखने में आ रहा है कि कुछ माता-पिता बहुत छोटे 3-4 वर्ष के बच्चों को भी खिलौने की जगह हाथों में मोबाइल पकड़ा रहे हैं, ताकि वो रोए नहीं और उन्हें डिस्टर्ब न करें, जबकि वो यह नहीं जानते हैं कि यह उन मासूम बच्चों के लिए बहुत घातक हैं। बच्चों के सामने माता-पिता भी फोन पर लगे रहते हैं, जिसका बच्चों पर विपरित असर पड़ता है। मनोचिकित्सक डॉ राहुल माथुर का कहना है कि ऐसा करने से अभिभावकों को बचना चाहिए और बच्चों को किसी भी परिस्थितियों में फोन नहीं देना चाहिए। इसी से आगे जाकर यह बच्चों आनलाइन गेमिंग जैसे विकारों का शिकार होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी ऑनलाइन गेमिंग की लत को एक विकार करार दिया है और अगर प्रदेश सरकार कुछ अधिनियम ला रही है, तो यह एक अच्छा कदम है क्योंकि यह समय की जरूरत बन गई है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को सोने से दो घंटे पहले और जागने के एक घंटे बाद तक स्क्रीन ऑफ टाइम का अभ्यास शुरू करना चाहिए।

माता-पिता अपना स्क्रीन टाइम कम करें :

शा. चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ हेमंत जैन का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों को सामाजिक रूप से प्रभावित कर रही है, क्योंकि वे समाज से अलग महसूस कर रहे हैं, मानसिक रूप से अपने भावनात्मक लगाव को खोने के रूप में, शारीरिक रूप से उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपना स्क्रीन टाइम कम करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि बच्चे उन्हीं की नकल करते हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com