ईओडब्लू ने निगम से मांगी प्रदीप वर्मा के घर मिले दस्तावेजों की जानकारी

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : 40 दस्तावेजों के संबंध में मांगी गई है विस्तृत जानकारी। खेल विभाग, कार्यशाला, जनकार्य एवं भवन शाखा से जुड़े हैं दस्तावेज।
ईओडब्लू ने निगम से मांगी प्रदीप वर्मा के घर मिले दस्तावेजों की जानकारी
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश। नगर निगम में पूर्व सिटी प्लानर रहे प्रदीप वर्मा के घर से ईओडब्लू ने कई फाईलें बरामद की थीं। यह फाईल कई विभागों की थी और बहुत से महत्वपूर्ण दस्तावेज भी थे। यह दस्तावेज वर्मा के घर कैसे पहुंचे और इन दस्तावेजों को किसके सुपुर्द किया गया था इस संबंध में ईओडब्लू ने नगर निगम को पत्र लिखा है। इस पत्र में 40 बिंदु हैं जिनके तहत जानकारी मांगी गई है। यह जानकारी तैयार करके ईओडब्लू को भेजी जायेगी।

ईओडब्लू द्वारा पूर्व सिटी प्लानर को 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रदीप वर्मा को निलंबित किया गया। साथ ही प्रकरण दर्ज करते हुए ईओडब्लू ने जांच शुरू कर दी। इस दौरान ईओडब्लू ने प्रदीप वर्मा के घर पर भी छापा मारा था जिसमें नगर निगम की कई महत्वपूर्ण फाईलें एवं दस्तावेज बरामद किए गए थे। इन दस्तावेजों कई महत्वपूर्ण कागजात थे जो अन्य विभागों के थे। इन विभागों के महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रदीप वर्मा के पास कैसे पहुंचे यह जांच का विषय था। यही वजह है कि ईओडब्लू एसपी द्वारा निगमायुक्त को पत्र लिखते हुए संबंधित दस्तावेजों के बारे में जानकारी मांगी है। लगभग 40 दस्तावेज हैं जिन पर तारीख एवं प्रकरण नंबर डला हुआ है और यह दस्तावेज कैसे यहां पहुंचे इसकी जानकारी मांगी गई है।

इन विभागों की फाईलें हैं शामिल :

ईओडब्लू ने पूर्व सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा के घर से जो दस्तावेज बरामद किए हैं उसमें खेल विभाग, कार्यशाला, जनकार्य, भवन शाखा सहित अन्य विभागों के दस्तावेज शामिल हैं। इन फाईलों में निर्माण एवं कार्यशाला में खरीददारी से संबंधित दस्तावेज हैं जिनकी मूल प्रति फाईलों में लगी हुई है। सवाल यह है कि जब मूल प्रति नगर निगम में मौजूद रहनी चाहिए थी तो वह सिटी प्लानर के घर कैसे पहुंची।

क्या अन्य अधिकारी भी घर रखे हुए हैं दस्तावेज :

नगर निगम का कोई भी विभाग या अधिकारी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। कोई सड़क बनाने में घपला कर रहा है तो कोई पेड़ लगाने में। कोई वाहनों में चूना लगा रहा तो कोई पेंच रिपेयरिंग और ट्रैफिक सेल से अपनी जेब भर रहा है। कुल मिलाकर पूरे कुंए में भांग घुली हुई है। सवाल यह है कि जब सभी अधिकारी गलत काम कर पैसा कमा रहे हैं तो क्या कार्यवाही से बचने सभी ने कारगुजारियों की फाईलें अपने घरों में रखी हुई है। ताकि जब भी शिकायत हो तो फाईल गुम होने की बात कहकर कार्यवाही से बचा जा सके। निगमायुक्त को इस मामले में जांच करनी चाहिए।

इनका कहना है :

ईओडब्लू से एक पत्र हमारे पास आया है इसमें प्रदीप वर्मा के घर से मिले दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई है। जो भी जानकारी हमारे पास मौजूद है वह ईओडब्लू को उपलब्ध करा दी जायेगी। साथ ही जो फाईलें नगर निगम मुख्यालय में मौजूद नहीं है उसके लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश देंगे।

शिवम वर्मा, निगमायुक्त

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