भोपाल : 36 साल में दो किमी दूर भोपाल स्टेशन तक पहुंचा जहरीले कचरे का असर

भोपाल, मध्य प्रदेश : गैस संगठनों ने किया दावा, मोटापे के शिकार हो रहे गैस पीड़ित। 36 साल से यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में पड़े 346 मीट्रिक टन कचरे का नहीं हुआ निपटान।
36 साल में दो किमी दूर भोपाल स्टेशन तक पहुंचा जहरीले कचरे का असर
36 साल में दो किमी दूर भोपाल स्टेशन तक पहुंचा जहरीले कचरे का असरSyed Dabeer Hussain - RE
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भोपाल, मध्य प्रदेश। भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में पड़े जहरीले कचरे का भूमिगत दुष्प्रभाव भोपाल रेलवे स्टेशन तक पहुंच गया है। कारखाना और स्टेशन की दूरी डेढ़ से दो किलोमीटर है। यह दावा मंगलवार गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संभावना ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी सतीनाथ षड़ंगी ने किया है। उन्होंने भोपाल गैस कांड की 36वीं बरसी के पूर्व प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। दो साल पूर्व तक जहरीले कचरे से आसपास की 48 बस्तियों के भूमिगत जल स्त्रोत प्रभावित हुए थे। भारतीय विष विज्ञान एवं अनुसंधान व अन्य संस्थानों की रिपोर्ट में यह बात समय-समय पर सामने आती रही है।

यह गैस कांड 2 व 3 दिसंबर 1984 को हुआ था। इसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी। लाखों लोग अभी भी प्रभावित हैं और लाखों लोग पीढ़ी दर-पीढ़ी प्रभावित हो रहे हैं। गैस कांड का 346 टन कचरा अब भी कारखाना परिसर में है, जिसे नष्ट नहीं किया जा रहा है इस वजह से वह भूमिगत जल स्त्रोतों में मिल रहा है। साल दर साल उसका भूमिगत दायरा बढ़ता जा रहा है। संभावना ट्रस्ट के सतीनाथ षड़ंगी का कहना है कि भोपाल रेलवे स्टेशन के बिल्कुल पास कृष्णा नगर व द्वारका नगर वे दो कॉलोनियां है जहां के भूमिगत जल स्त्रोतों मे दो साल पहले ही जहरीले कचरे के अंश मिले थे। इसका मतलब है कि इसका दायरा दो सालों में और बढ़ गया है और भोपाल स्टेशन तक पहुंच गया है।

भोपाल स्टेशन के यात्री न घबराएं :

इस दावे से भोपाल रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने वाले यात्रियों को घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि भोपाल स्टेशन पर बड़े तालाब का पानी सप्लाई होता है न कि भूमिगत जल स्त्रोतों से पानी लिया जा रहा है। दावे के अनुरूप उन रहवासियों के लिए दिक्कतें होंगी जो भोपाल रेलवे स्टेशन क्षेत्रों में भूमिगज जल स्त्रोतों का उपयोग करते हैं।

मोटापे और थायराइड की समस्याओं का शिकार हो रहे गैस पीड़ित :

पत्रकार वार्ता में संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के डॉ. संजय श्रीवास्तव की तरफ से कहा गया कि गैस पीड़ित मोटापे और थायराइड की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के क्लिनिक में 15 साल से 27 हजार 155 पीड़ित इलाज ले रहे हैं। इनका अध्ययन करने पर पाया है कि पीड़ित लोगों में अधिक वजन, मोटापे की दर अपीड़ितों से 2.75 फीसद अधिक है। इनमें अपीड़ितों के मुकाबले थायराइड संबंधी बीमारियों की दर 1.92 गुनी अधिक है। इसके अलावा डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द, गुर्दे, स्तन और गर्भाशय कैंसर समेत अन्य बीमारियों का खतरा भी अधिक है।

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