हाइलाइट्स –
mpeuparjan.nic.in ठप्प
इस पर होता है फसल पंजीकरण
ऑनलाइन प्रक्रिया को लगा ग्रहण
25 फरवरी फसल पंजीकरण की अंतिम तिथि
राज एक्सप्रेस। किसानों को उनकी फसल का दाम मौके पर दिलाने के मकसद से तैयार की गई सेवा की सांस ऐन खरीद के मौके पर भर आई है। किसानों का कहना है कि वे पिछले कुछ दिनों से एमपी ई उपार्जन की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराने में असमर्थ हैं, कियोस्क पर भी रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा, ऐसे में सहकारी समिति केंद्रों पर जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं रह जाता।
ई-उपार्जन रबी 2021-22 –
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में रबी की फसल तैयार हो चुकी है। मालवा में 20 फरवरी से सरकारी उपार्जन मूल्य पर किसानों से फसल की खरीद भी शुरू होने वाली है। किसानों की मदद के लिए सरकार ने रबी प्रोक्योरमेंट मॉनिटरिंग सिस्टम 2021-22 यानी रबी प्राप्ति निगरानी प्रणाली 2021-22 तैयार की है।
इस मॉनिटरिंग सिस्टम से किसान इस फसल सीजन के लिए अपनी फसल का पंजीकरण ऑनलाइन प्रक्रिया से करा सकता है। या तो खुद के मोबाइल से स्वयं, या फिर कियोस्क में इंटरनेट के जरिये या फिर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित केंद्र पर जाकर।
ऑनलाइन और उपार्जन केंद्र की दूरी –
किसानों को कहीं जाना न पड़े इस मकसद से किसानों से जुड़ने सरकार ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। अब जब जरूरत है तब मोबाइल के जरिये वेबसाइट से जुड़ने में किसानों को परेशानी हो रही है। कियोस्क सेंटर्स ने भी ऐसी ही बेचारगी जाहिर की है। ऐसे में पंजीयन केंद्रों तक जाना ही किसानों के लिए अंतिम विकल्प बचता है।
पिछले चार दिनों से मोबाइल पर ट्राय कर रहा हूं, लेकिन वेबसाइट वर्क नहीं कर रही। शिकायत भी दर्ज कराई लेकिन कोई हल नहीं निकला। पहले इस वेबसाइट पर संपर्क के लिए एक फोन नंबर होता था जिस पर कॉल कर समस्या कितनी देर या दिन में हल होगी पता चल जाता था। लेकिन अब यह भी मुनासिब नहीं।
ऋषिकेश मिश्रा, प्रगतिशील किसान, ग्राम- आमा-हिनौता, जिला-जबलपुर
समिति केंद्र पर काम –
क्या सिर्फ मोबाइल और इंटरनेट पर रबी फसल के उपार्जन मूल्य के लिए पंजीकरण कराने में परेशानी हो रही है अथवा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित केंद्रों पर भी पंजीकरण में दिक्कत आ रही है? इस बारे में जानने ऐसे ही एक केंद्र से संपर्क किया तो पता चला कि;
अभी पंजीकरण केवल समिति कर रही है। एमपी ऑनलाइन कियोस्क पर काम नहीं हो पा रहा है।
- राहुल परोहा, ऑपरेटर, प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित, तेवर, जबलपुर
एमपीईउपार्जन -
जबलपुर जिले के अलावा कमोबेश यही स्थिति शाजापुर जिले में भी देखने को मिल रही है। यहां पर भी मोबाइल और कियोस्क सेंटर्स से mpeuparjan की वेबसाइट से संपर्क नहीं जुड़ पा रहा। इस बारे में जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी जहां अनजान दिखे वहीं एनआईसी डीआईओ भी बगैर लॉगिन के वेबसाइट से सूचना हासिल करने में नाकाम रहे।
NIC DIO के डेस्कटॉप पर भी mpeuparjan की वेबसाइट बगैर स्पेशल लॉगिन के नहीं चलीl फिर सूचना विज्ञानी ने बताया कि किसान तीन तरीकों से अपनी फसल के उपार्जन मूल्य के लिए रजिट्रेशन करा सकते हैं। पहले तो खुद के मोबाइल, नहीं तो इंटरनेट केंद्र या फिर जिला प्रशासन के पंजीयन केंद्र पर भी पंजीकरण किया जा सकता है।
हालांकि नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी/NIC) को बनाने का मकसद ही ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा देना है। ऐसे में समिति केंद्रों तक जाने की किसानों की मजबूरी तकनीकी तंत्र की सफलता की कहानी कहने के लिए काफी है।
जिले के 71 पंजीयन केंद्रों को मिलाकर गुरुवार से लेकर शुक्रवार तक कुल 13740 किसानों ने पंजीकरण करा लिया है। इन केंद्रों पर लॉगिन की मदद से ऑपरेटर्स ने किसानों की आईडी प्रोसेस पूरी की है। मोबाइल, कियोस्क, इंटरनेट न चलने की दशा में कृषक पंजीयन केंद्रों से सहायता ले सकते हैं।
मनीष खत्री, DIO NIC, जिला- शाजापुर, मध्य प्रदेश
दो विकल्प दो तरीके -
आपको बता दें mpeuparjan की साइट पर आम किसान वेबसाइट के किसान पंजीयन/आवेदन सर्च ऑप्शन (विकल्प) पर क्लिक कर आगे मोबाइल नंबर, समग्र आईडी जैसे विकल्पों के जरिये संबंधित जानकारी का आदान-प्रदान कर सकता है।
इसी तरह वेबसाइट के पंजीयन केंद्र ऑप्शन के लिए प्रशासनिक तौर पर स्पेशल लॉगिन आईडी ऑपरेटर्स को प्रदान की जाती है। आपको बता दें वेबसाइट पर यह स्पेशल आईडी तो काम कर रही है, लेकिन आम किसान वाली विकल्प सेवा ठप्प पड़ी है।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति व्यवस्था -
विभागीय तौर पर बताया गया कि किसी जिले में एक केंद्र से 750 किसान जुड़ सकते हैं। शासन के निर्देशों पर समिति केंद्रों से गांवों की दूरी का पैमाना तय होता है। दूर-दराज के गांवों की स्थिति में दूरी 20 से 25 किलोमीटर भी हो सकती है।
हालांकि ध्यान रखा जाता है कि केंद्र किसानों की पहुंच में रहे। जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इस बात की मैपिंग कर स्थल निर्धारित करता है। एक अनुमान के तौर पर एक केंद्र पर 4 से 5 गांव निर्भर हो सकते हैं।
ऑनलाइन समस्या के बारे में आप भोपाल बात करें। अभी तक जिले में ऑनलाइन एवं भौतिक रूप से 34937 किसानों ने उपार्जन मूल्य पर रबी फसल की खरीद के लिए पंजीयन कराया है। आपने समस्या बताई है, मैं इसे भोपाल स्तर पर सूचनार्थ प्रेषित कर रहा हूं। रबी फसल की सरकारी मूल्य पर खरीद मार्च के आखिर से स्टार्ट हो जाएगी।
एच.आर.सुमन. जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी, शाजापुर
मामले को विधानसभा में रखूंगा -
जबलपुर में बरगी विधानसभा से विधायक संजय यादव ने भी किसानों की परेशानी का मामला संज्ञान में आने की बात कही। उन्होंने इस मुद्दे को विधान सभा में रखने के साथ ही मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कृषि मंत्री कमल पटेल से चर्चा करने की मंशा जताई है।
रजिस्ट्रेशन कम हों ताकि किसान खुले में व्यापारियों को फसल बेचने विवश हों। जिनके खाते में पैसे आ रहे हैं उनको किसान माना जा रहा है। इनकी योजना प्रक्रिया को जटिल करने की है ताकि किसान रजिस्ट्रेशन के बजाय व्यापारियों को फसल बेचने की मानसिकता बना लें। रजिस्ट्रेशन ही न कराएं।
संजय यादव, विधायक, विधानसभा- बरगी
किसान की फसल कभी बारिश से प्रभावित होती कभी ओला से कभी टिड्डा-टिड्डी जैसे प्राकृतिक प्रकोप से। अब किसानों को ऑनलाइन परेशानियों का उपचार भी ढूंढ़ना होगा क्योंकि किसानी से जुड़े सारे शासकीय कार्य ऑनलाइन प्रोसेस से ही जो संपन्न होने लगे हैं।
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