रेल सुविधाओं के मामलें में मिली निराशा
रेल सुविधाओं के मामलें में मिली निराशाSyed Dabeer Hussain - RE

रेल सुविधाओं के मामलें में मिली निराशा : राजधानी को थी, सौगातों की उम्मीद

भोपाल, मध्यप्रदेश : मंगलवार को पेश केन्द्र सरकार के आम बजट से कम से कम रेल सुविधाओं के मामले में तो रेल यात्रियों और रेलवे सलाहकार समिति के सदस्यों को निराशा ही हाथ लगी है।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। मंगलवार को पेश केन्द्र सरकार के आम बजट से कम से कम रेल सुविधाओं के मामले में तो रेल यात्रियों और रेलवे सलाहकार समिति के सदस्यों को निराशा ही हाथ लगी है। बजट से कई उम्मीदें थीं, लेकिन ये उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। अगले तीन साल में 400 वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की घोषणा के अलावा कोई बड़ी घोषणा अब तक सामने नहीं आई है। इनमें से भी भोपाल व रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से कितनी वंदे भारत ट्रेनें गुजरेंगी। यह तय नहीं है। वैसे भी वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाए जाने की घोषणा पूर्व में होती रही हैं। बजट में बुधनी-इंदौर रेल लाइन व भोपाल-रामगंजमंडी रेल लाइन की गति बढ़ाने के लिए अतिरिक्त पैकेज की घोषणा की उम्मीदें थीं, वह भी सामने नहीं आई हैं। कुल मिलाकर बीते बजट की तुलना में इस बजट में रेल यात्रियों के हिस्सें में कुछ खास नहीं दिख रहा है। इधर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि बजट भाषण में सभी कामों का उल्लेख नहीं होता है। रेलवे बोर्ड से बजट में शामिल कामों की सूची मिलने के बाद ही स्थिति समझ में आएगी।

ना यात्रियों को ना ही रेल कर्मियों को कुछ दिया :

बजट में रेल यात्रियों को कुछ नहीं दिया। वंदे भारत ट्रेनों के संचालन की घोषणा पुरानी है। इसमें नया कुछ नहीं है। पीपीपी मोड पर स्टेशनों के विकास की बात भी पुरानी ही है। रेल यात्रियों को उम्मीदों के अनुरूप कुछ नहीं मिला है जो यात्री ट्रेनें हैं उनमें सुविधा और सुरक्षा की कमी है इस पर कुछ नहीं किया है। रेल सलाहकार समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि, ट्रेनों में यात्री सुरक्षा, साफ- सफाई की कमी व सामान्य कोचों की कमी जैसी कई सुविधाओं की जरूरत है। आसानी से और कम समय के अंतराल में ट्रेनें नहीं मिल रही हैं। कोरोना में तो पैसेज ट्रेनों को बंद करने के बाद चालू नहीं किया जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में सौगत मिलने की उम्मीदें थी पर ऐसा नहीं हुआ। रेलकर्मियों के हितों में भी कोई घोषणा नहीं दिख रही है। रिटायर रेल कर्मचारियों का कहना है कि, रेल कर्मियों ने कोरोना काल में अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर सेवाएं की हैं। कई रेलकर्मियों को तो जान तक गंवानी पड़ी है। ऐसे रेल कर्मियों के स्वजनों के हितों का भी ध्यान नहीं रखा गया। पहली बार ऐसा बजट देखा जिसमें रेल यात्री, रेलकर्मियों और आम नागरिकों के लिए कुछ दिख रहा है। रेल यात्रियों को कुछ नहीं दिया।

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