यह चिन्ता का विषय, उज्जैन सीवरेज और नालों का गन्दा पानी शिप्रा नदी में मिल रहा : मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव
हाइलाइट्स :
गन्दा पानी शिप्रा में जाने से कैसे रोके, इसका प्लान तैयार किया जाये।
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हुए पानी का उपयोग किसान सिंचाई के लिये करें।
नई टेक्नालॉजी के द्वारा कचरा अपशिष्ट प्रबंधन किया जाए ।
उज्जैन,मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सीवरेज एवं नालों का गन्दा पानी शिप्रा नदी में न मिले, इसके लिये उज्जैन एवं इन्दौर के अधिकारी प्लान तैयार करने को अधिकारियों को कहा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने यह निर्देश रविवार को शिप्रा नदी संरक्षण एवं संवर्धन की बैठक में दिये है । उन्होंने कहा कि यह चिन्ता का विषय है कि सीवरेज एवं नालों का गन्दा पानी शिप्रा में मिल रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिये विशेषज्ञों की राय ली जाये। गन्दा पानी हम शिप्रा में जाने से कैसे रोके, इसका प्लान तैयार किया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्दे पानी के नाले एवं सीवरेज का पानी को रोकने के लिये सांवेर, रामवासा, पंथपिपलई, राघौपिपल्या में स्टापडेम बनाया जाये और यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हुए पानी का उपयोग किसान सिंचाई के लिये करें, इसके लिये किसानों को समझाईश भी दी जाये।
हर हाल में गन्दा पानी शिप्रा में जाने से रोकना चाहिये:
उन्होंने कहा कि हर हाल में गन्दा पानी शिप्रा में जाने से रोकना चाहिये। उन्होंने कहा कि साल दो साल में नई कॉलोनियां भी डेवलप होती हैं। वहां के सीवरेज के पानी की निकासी भी पर्याप्त व्यवस्था की जाये। वह पानी किसी भी स्थिति में शिप्रा नदी में न मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टापडेम का रख-रखाव, मरम्मत का कार्य एवं आवश्यकता पड़ने पर उसकी ऊंचाई बढ़ाने का काम प्राथमिकता से किया जाये। बताया गया कि कान्ह नदी पर पक्का स्टापडेम बनाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदावल में पम्पिंग स्टेशन है। पानी को स्टापडेम की ओर डायवर्ट किया जाये।
पांच गांव में पेयजल पीने योग्य नहीं :
मुख्यमंत्री ने कहा कि सांवेर पर ही गन्दे पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवं स्टापडेम बनाकर कंट्रोल कर लें तो शिप्रा शुद्ध रहेगी। डॉ यादव ने कहा कि शहर में टाटा प्रोजेक्ट अपना कार्य समय पर पूरा नहीं कर रही है। उनके कार्यों की पुन: समीक्षा की जाये। उन्होंने कहा कि नरसिंह घाट पर किसी भी स्थिति में गन्दगी इकट्ठा न हो, अन्यथा वह रामघाट तक प्रवाहित होती है। गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड के संबंध में उन्होंने कहा कि एक ही जगह कचरा डम्प होने से आसपास के पांच गांव में पेयजल पीने योग्य नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नई-नई टेक्नालॉजी आ गई है। आवश्यकता है कि नई टेक्नालॉजी के द्वारा हम कचरा अपशिष्ट प्रबंधन करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में नगर निगम के अपशिष्ट पदार्थ एवं इण्डस्ट्री के गन्दे पानी को रोकने का प्लान तैयार करें।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में भी जानकारी ली :
उन्होंने इन्दौर संभागायुक्त माल सिंह को निर्देश दिये कि कार्य-योजना तैयार करें। सांसद अनिल फिरोजिया ने रूद्र सागर में मिलने वाले नाले, नई कॉलोनियों में पानी निकासी की व्यवस्था के संबंध में आवश्यक जानकारी दी। विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा कि गन्दे नालों के पानी की रोकथाम के लिये छोटे-छोटे स्टापडेम बनाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में भी जानकारी ली। बैठक में विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, संभागायुक्त डॉ.संजय गोयल, इन्दौर कलेक्टर आशीष सिंह , उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह , देवास कलेक्टर ऋषव गुप्ता सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
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