Dindori : जंगल में मिला वयस्क बाघ का शव, शिकार की आशंका
डिण्डोरी, मध्यप्रदेश। सामान्य वन मंडल अंतर्गत वनपरिक्षेत्र डिण्डोरी के कक्ष क्रमांक 200 क्षेत्र में सोमवार को एक वयस्क मादा का बाघ शव बरामद होने से सनसनी फैल गई है, मामला शिकार से जुड़ा होने की आशंका के चलते वन विभाग ने मौके को सील करके कार्रवाई को अंजाम दिया है। बाघ की मौत के कारणों का स्पष्ट खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन शव में किसी चोट के निशान नहीं मिलने और पानी के स्त्रोत के नजदीक बाघ का शव मिलने से जहर खुरानी का शक जाहिर किया जा रहा है। मृत मादा बाघ की उम्र लगभग 8 से 10 साल आंकी जा रही है।
वन और वन्यजीवों की सुरक्षा में हो रही लापरवाही :
वास्तविकता यह भी है कि वन विभाग डिण्डोरी जिले में वनीय प्राणियों और वन दोनों की सुरक्षा करने पर हाशिए में है। लगातार जानबूझकर कम उम्र के पेड़ों को काटा जा रहा है वहीं लगातार जंगली जानवर के मरने या शिकार की खबरें आती जा रही हैं, पर विभाग हाशिए में है क्योंकि रक्षक की भूमिका में संदेहात्मक रवैया दिखाई दे रही है। पूरे वनीय प्राणियों और वन संपदा के संरक्षण में वन विभाग की मनमानी चरम पर है जबकि वन और वनों का विनाश लगातार हो रहा है।
शाहपुर और डिण्डोरी वन क्षेत्र के बीच में वारदात के बाद मौके पर वन अमला पहुंचा और कार्रवाई शुरू की है, पूरे मामले से वन अधिकारी भी सकते में हैं। जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह टिकरी पिपरी गांव से सारसताल पहुंच मार्ग के किनारे ग्रामीणों ने रोड के किनारे एक बाघ के शव को देखा और वन विभाग को सूचना दी। जिसके बाद मौके पर डीएफओ साहिल गर्ग, एसडीओ फारेस्ट बसंत पिछोरे और समस्त वन अमला पहुंच गया। राष्ट्रीय वन्य प्राणी के शिकार के मद्देनजर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और जबलपुर स्थित वन कार्यालय से स्पेशल जांच टीम के साथ डाग स्क्वाड को बुलाया गया है। गौरतलब है कि पिछले दिनों डिण्डोरी रेंज में एक चीतल के शिकार की वारदात को भी अंजाम दिया गया था। जिससे वन विभाग की लापरवाही उजागर होती है। पूरे मसले पर वन मंडल अधिकारी साहिल गर्ग ने पोस्टमार्टम उपरांत ही बाघ की मौत के कारणों के खुलासा की बात कही हैं। उन्होंने पिछले दिनों क्षेत्र में टाईगर मूवमेंट की बात स्वीकार की है। डिण्डोरी वनपरिक्षेत्र में संरक्षित वन्य जीवों के लगातार शिकार से जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
अमले के पहले ग्रामीणों ने की चहलकदमी :
खास बात तो यह है कि वन विभाग ने बाघ की मौत पर संजीदगी नहीं बरती, सूचना मिलने के घण्टों बाद तक वन अमला घटनास्थल पर नहीं पहुंचा इस बीच ग्रामीणों ने मृत बाघ के आसपास जमकर चहलकदमी की साथ ही फोटोशेसन भी किया कुल मिलाकर आसपास के क्षेत्र का पूरा हुलिया बदला रहा। जबकि वन विभाग की चौकी कुछ ही दूरी पर मौजूद है 10 किमी के दायरे में नेवसा और सारसताल की चौकियां मौजूद हैं बावजूद इसके यहां के अमले की उदासीनता का परिणाम रहा कि मृत बाघ के आसपास सुबह घण्टों ग्रामीणों की चहलकदमी जारी रही।
विभाग ने घटना की जांच में नहीं दिखाई संजीदगी :
खास बात तो यह है कि वन अमला यहां पहुंचने के बाद भी गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाता रहा यहां बाघ के चारों ओर लकड़ी की बेरिकेटिंग कर सिर्फ ग्रामीणों को बाघ के पास जाने से रोका जाने लगा यहां मौजूद अमले का रवैया भी काफी नकारात्मक रहा, ग्रामीणों को हड़काते हुये यहां से जाने के लिये कहा जाने लगा जबकि वन अमले को चाहिये कि इस घटना के पीछे की पूरी परत को खोलने के लिये आसपास के ग्रामीणों से संवाद करते हुये उनसे दोस्ताना रवैया अपनाये इसके साथ ही अमले को जंगल की सर्चिंग में तैनात की जाना था कि आसपास किसी स्थान पर जहरखुरानी तो नहीं हुई इसके लिये जंगली जानवरों, कुत्तों की चहलकदमी के साथ ही चील कौओं की मूवमेंट पर नजर रखनी चाहिये लेकिन पूरा अमला यहां पर बाघ के शव की निगरानी करते हुये ग्रामीणों को हड़काने में जुटा रहा।
इनका कहना है :
बाघ की सुरक्षा में वन अमला तैनात किया गया है चिकित्सकों के लेट हो जाने के कारण आज पीएम नहीं हो सका है इसलिये फिलहाल मौत के कारणों के संबंध में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है सर्चिंग के लिये वन अमले की ड्यूटी लगा दी गई है।
साहिल गर्ग, डीएफओ सामान्य वन मण्डल डिण्डौरी
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