Digvijay Singh Concern Over EVM Security
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दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर EVM सुरक्षा पर जताई चिंता, कहा - क्या राजनीतिक दल सवालों का जवाब भी न मांगे?

Digvijay Singh Concern Over EVM Security : इसके पहले भी दिग्विजय सिंह ने कई मौकों पर EVM सुरक्षा का मुद्दा उठाया था।
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हाइलाइट्स :

  • लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम सुरक्षा पर सवाल।

  • विपक्षी पार्टियों ने चुनाव से मिलने के लिए मांगा समय।

  • प्रशांत भूषण ने ईवीएम को लेकर शेयर किया था वीडियो।

भोपाल, मध्यप्रदेश। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ईवीएम सुरक्षा की मुद्दा उठाया है। दिग्विजय सिंह ने इस बार चुनाव आयोग पर विपक्षी पार्टियों को मिलने का समय न देना का आरोप लगाते हुए कहा है कि, क्या मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल अपने सवालों का जवाब भी न मांगे। ये कहाँ का न्याय है। इसके पहले भी दिग्विजय सिंह ने कई मौकों पर EVM सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ये मुद्दा उठाया है।

दिग्विजय सिंह ने कहा, INDIA गठबंधन के राजनीतिक दल चुनाव आयोग से अगस्त महीने से मिलने का समय माँग रहे हैं लेकिन वे इतने व्यस्त हैं कि, उन्हें विपक्ष से मिलने का समय तक नहीं है। क्या माननीय CJI इसे संज्ञान में लेंगे? मुख्य चुनाव आयुक्त हमेशा कह देते हैं Supreme Court ने EVM पर अपना फ़ैसला सुना दिया है। क्या माननीय CJI महोदय आपके कहने पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से EVM के विषय अपने प्रश्नों का उत्तर भी ना माँगे? यह कहाँ का न्याय है?

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषन ने एक्स से वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बताते हैं कि कैसे भारतीय ईवीएम से आसानी से छेड़छाड़ की जा सकती है। वे सुरक्षित नहीं हैं। वे हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़ा ख़तरा दर्शाते हैं। अधिकांश देशों ने ईवीएम का उपयोग बंद कर दिया है। चुनाव आयोग इनमें हार्डवेयर/सॉफ़्टवेयर दिखाने को तैयार क्यों नहीं है?

दिग्विजय सिंह ने एक अन्य ट्वीट में प्रशांत भूषण द्वारा शेयर किया गया वीडियो शेयर करते हुए कहा, चुनाव आयुक्त कहेंगे कि, यह मसला सुलझ गया है। अब मतदाता 7 सेकेंड तक देख सकता है कि, उसने किस प्रत्याशी को वोट दिया है लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मतदाता के हाथ में मुद्रित वीवीपैट पर्ची नहीं होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसने जो देखा है वह सही ढंग से मुद्रित हुआ है? प्रिंटर मतदाता का नहीं, सॉफ्टवेयर का आदेश मानेगा। क्या हम सॉफ्टवेयर पर भरोसा कर सकते हैं? सॉफ्टवेयर किसने लिखा है और इसे सिस्टम में किसने लोड किया है? चुनाव आयोग ईमानदार रहें और सॉफ्टवेयर को सार्वजनिक डोमेन में डालें।

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