नलखेड़ा, मध्य प्रदेश। कोरोना महामारी के संक्रमण के मद्देनजर गत माह जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा जिले में चिकित्सकों पर बगैर पंजीयन के मरीजों का उपचार करने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए थे। जिस पर नगर के झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों को पुलिस द्वारा बंद करवाया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों में ये अपंजीकृत चिकित्सक पुन: खुलेआम बगैर किसी मान्य डिग्री के एलोपैथिक पद्धति से मरीजों का उपचार कर उनकी जान से खिलवाड़ करने लग गए हैं। जो कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर करता है।
कोविड-19 कोरोना महामारी के दृष्टिगत जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा गत 12 जून को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को भेजे एक पत्र में नगर व ग्रामीण क्षेत्र में अनाधिकृत रूप से चिकित्सा व्यवसाय करने पर प्रतिबंध लगाने व बिना पंजीयन के ऐसा करने पर कानूनी कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे।
पत्र प्राप्ति के बाद स्थानीय बीएमओ द्वारा पुलिस विभाग को पत्र लिखकर ऐसे चिकित्सकों की दुकानें बंद करवाई थी जो पंजीकृत नहीं थे।
उक्त कार्यवाही के बाद ऐसे बगैर पंजीयन के उपचार करने वाले तथाकथित चिकित्सक अपनी दुकानदारी या तो परदे के पीछे से करने लग गए थे या अपने अपने घरों पर उपचार करने लग गए थे।
कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा और उसके बाद पुन: लगभग सभी झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें खुल गई और वे धड़ल्ले से बगैर किसी मान्य डिग्री के मरीजों का एलोपैथिक पद्धति से उपचार कर उनकी जान से खिलवाड़ करने लग गए।
अब सवाल यह उठता है कि जिला चिकित्सा अधिकारी के पत्र के पूर्व भी ये बगैर पंजीकृत चिकित्सक कानूनन रूप से मरीजों का एलोपैथिक पद्धति से उपचार नहीं कर सकते थे, लेकिन कर रहे थे, जब निर्देश जारी होने के बाद इनका गैरकानूनी व्यवसाय बंद करवाया था तो क्या कुछ ही दिनों में समस्त चिकित्सकों के पंजीयन हो गए जो ये खुलेआम फिर से गैरकानूनी रूप से उपचार करना प्रारंभ कर चुके हैं। निश्चित रूप से बगैर पंजीयन के डॉक्टरों द्वारा उपचार करने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं किया जाना स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत की शंका को जन्म दे रहा है।
दवाई, बॉटल, इंजेक्शन सब कुछ है उपलब्ध :
नगर में अधिकांश अपंजीकृत चिकित्सकों के यहाँ दवाई, इंजेक्शन, बॉटल सब कुछ उपलब्ध है जो वे मरीज को अपने पास से ही देते हैं। इसी के चलते अधिकांश झोलाछाप मरीज को देखने के बाद दवाई का पर्चा भी नहीं लिखते हैं, जिससे मरीज के पास कोई प्रमाण नहीं रहे कि संबंधित चिकित्सक द्वारा उपचार किया गया है। आश्चर्य इस बात का है कि एक ओर बगैर पंजीयन के उपचार कर गैरकानूनी कार्य तो कर ही रहे है वहीं दूसरी ओर दवाइयों का व्यवसाय कर दूसरा गैरकानूनी व्यवसाय भी धड़ल्ले से कर रहे है जिन पर कार्यवाही करने वाले सभी विभागों का मौन भी कई शंकाओं को जन्म दे रहा है।
स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन द्वारा किसी भी पंजीकृत चिकित्सक अथवा नर्सिंग होम के लिए कई प्रकार की औपचारिकताओं की पूर्ति करवाने के साथ ही उनके यहाँ मरीजों के लिए निश्चित संख्या से अधिक पलंग पाए जाने पर कार्यवाही कर दी जाती है लेकिन नगर में ऐसे कई झोलाछाप डॉक्टर है जिनके यहाँ बगैर किसी औपचारिकता के मरीजों को भर्ती करने से लेकर उनके लिए कई पलंग उपलब्ध हैं।
आखिर नगर सहित जिले के स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन द्वारा ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों को मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की छूट क्यों दी जा रही है यह प्रश्न सबसे बड़ा बना हुआ है।
इनका कहना है :
अपंजीकृत चिकित्सकों को उपचार की कोई छूट नहीं दी गई है, बीएमओ को कार्यवाही करने के आदेश दे रहा हूँ।
डॉ व्हीके सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी, जिला आगर मालवा
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