दमोह, मध्यप्रदेश। शासन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बजट व योजनाएं लेकर आता है, लेकिन उसके बाद भी नगर की व्यवस्थाओं को संभालने वाला स्वास्थ्य विभाग और नपा अपनी कार्यप्रणाली के चलते लगातार बनी रहने वाली अव्यवस्थाओं पर भी आंख मूंदकर बैठा हुआ है और इन्हीं दोनों विभागों की लापरवाही के चलते ऐसे हालात सामने आते हैं जो शायद मानवीयता की दृष्टि से भी उचित नहीं होते।
ऐसे ही हाल शव परीक्षण गृह के रास्ते के है जो चारों ओर इतने कीचड़ से घिर हुआ है कि रास्ता कम दलदल ज्यादा नजर आ रहा है। हालात इतने बुरे हैं कि उस कीचड़ भरे रास्ते के चलते किसी भी शव को परिजनों द्वारा ही जैसे तैसे हाथों में उठाकर ले जाना पड़ता है और शव परीक्षण के बाद भी इसी तरह के हालात सामने आते जो ज्यादा अमानवीय नजर आते हैं।
जानकारी के बाद भी नहीं दिया ध्यान
ऐसा नहीं है कि अस्पताल प्रबंधन व नपा को इसकी जानकारी न हो पंरतु इन कार्यों में कोई वित्तीय फायदा ना देख वह इस ओर ध्यान देना या सुधार करना जरूरी नहीं समझते। जबकि सिविल अस्पताल में करीब पांच उप-स्वास्थ केन्द्र व उससे जुड़े सैकड़ा है जहां किसी आसामन्य मृत्यु के चलते पोस्टमार्टम कराना जरूरी हो जाता है और सभी इसके लिए सिविल अस्पताल आते हैं। वहीं बुधवार को भी आक्सीजन प्लांट का निरीक्षण करने पंहुचे कलेक्टर को अधिकारियों ने जानकर इन रास्तों को नहीं दिखाया।
गुरुवार को भी दिखे यही हालात
गुरुवार के दिन एक आकस्मिक मौत हो जाने के उपरांत युवक के शव को उसके परिजनों व साथियों द्वारा भीगते पानी में हाथों में लेकर कीचड़ में चलकर पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे। ऐसे में अपनों को खो चुके लोगों की पीड़ा और कितनी बढ़ जाती होगी यह समझा जा सकता है। वहीं शव परीक्षण गृह के पीछे वाली गली भी पिछले दो माह से गंदगी व कचरे से भरी हुई है और लोग इन्हीं हालातों में बदवू के बीच रहकर स्वच्छता अभियान को दिखावा बता रहा है।
इनका कहना है
मेरे द्वारा बुधबार को कलेक्टर द्वारा ली गई बैठक में नपा सीएमओ को परेशानियों को लेकर निर्देशित किया गया था, उसके पहले उसके पहले भी इस संबंध में पत्र लिखा गया था जिसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
डॉ पीडी करगैंया सीबीएमओ , सिविल अस्पताल हटा
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