मप्र में कोरोना संकट में भी किसानों से वसूला जा रहा है फसल ऋण

मध्य प्रदेश में किसान अब बड़े संकट में घिर गए हैं। मौसम की मार लॉक डाउन का प्रभाव और अब सरकार की कर्ज वसूली की मार में किसान फंस चुका है। जानिए क्या है मामला...
मप्र में कोरोना संकट में भी किसानों से वसूला जा रहा हैं फसल ऋण
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में किसान कर्ज माफी एक ऐसा मुद्दा हो गया है जिस कारण से 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस को सत्ता से जाना पड़ा किसान कर्ज माफी प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा से किसान हितेषी छवि के साथ प्रदेश में कार्य करते आए हैं। पर अब उनकी सरकार में कोरोना महामारी के संकट में किसानों से कर्ज वसूला जा रहा है। जहां एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉक डाउन में मकान मालिकों से तक मासिक किराया ना लेने की अपील कर चुके हैं। उसी समय पर किसानों से मध्य प्रदेश में कर्ज वसूला जा रहा है।

बता दें कि इस वक्त मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में गेहूं उपर्जन का कार्य चल रहा है। मध्य प्रदेश में प्रतिदिन किसानों को मैसेज भेजे जा रहे हैं, जिसके बाद वह गेहूं उपार्जन केंद्र पर जाकर अपनी फसल को बेच रहे हैं। जब किसान अपनी फसल की तौल करता है और उसे विक्रय की गई फसल की सिलिप मिलती है तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है फसल की कुल रकम की आधी कीमत सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड की वसूली के नाम पर लेली जाती है।

क्या इस लॉक डाउन के दौर में सिर्फ किसान अमीर हैं ?

लॉक डाउन का असर सम्पूर्ण वर्ग के लोगों पर पड़ा है इसी कारण से बैंकों में चल रहे लोगों के कर्ज की मासिक किस्तों में भी रियायत दी गई है और इस वक्त किसानों से कर्ज वसूला जा रहा है। इस से क्या समझा जाए क्या सिर्फ किसान अमीर हैं। किसान लगातार पिछले कई सालों से मौसम की मार झेल रहे हैं। इस के बाद कोरोना वायरस से कृषि कार्यों में भी खासा प्रभाव पड़ा है। मजदूरों की कमी के बाद किसानों ने जैसे तैसे फसल को काट कर अच्छे भाव की उम्मीद की तब उनसे कर्ज़ वसूली कर ली गई। जबकि गन्ना मिलों ने अभी तक किसानों का भुगतान नही किया है और अब किसान क्रेडिट कार्ड की गई अचानक वसूली से किसान के सामने आगामी फसल के लिए बीज खरीदने बागवानी कार्य करने एवं मजदूरों के परिवार का पालन पोषण करने के लिए अच्छी खासी आर्थिक तंगी की स्थिति बन गई है।

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