मध्यप्रदेश में बन रहा है देश का पहला क्राफ्ट टूरिज्म हैंडलूम विलेज, अन्य राज्यों के लिए होगा मिसाल
हाइलाइट्स :
पर्यटन के साथ कला परंपरा और कारीगरों का ख्याल, कम बजट में पूरे गांव का होगा संधारण।
नौ करोड़ में संवरेगा प्राणपुर, अगले क्रम में उंचहेरा, माहेश्वर और बाग का होगा कायाकल्प।
अनोखा गांव, हर घर उत्पादन केंद्र पूरा गांव बाजार, उत्पादक होगा विक्रेता टूरिस्ट होंगे ग्राहक।
भोपाल, मध्यप्रदेश। देश का पहला क्राफ्ट टूरिज्म हैंडलूम विलेज मध्यप्रदेश में बनने जा रहा है। यह अनोखा गांव प्राणापुर पूरे देश के लिए मिसाल होगा, जहां हर घर उत्पादन केंंद्र होगा के साथ ही बाजार होगा और ग्राहक होंगे पर्यटक। मध्यप्रदेश टूरिज्म विभाग की पहल पर इस गांव के कायाकल्प का काम शुरू हो गया है। बड़ी बात यह है कि, यह प्रोजेक्ट कम बजट में बड़ा बदलाव लाएगा। जिसका लाभ गांव के बुनकर कारीगरों के परिवार के साथ ही पर्यटकों को भी मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के साकार होते ही प्रदेश के तीन अन्य स्थान सतना के उंचहेरा गांव, धार का ग्राम बाघ कुक्षी और महेश्वर के केरियाखेड़ी और खारिया में भी इसी तरह का प्रोजेक्ट लाया जाएगा। विभाग का यह मॉडल विलेज प्राणपुर मार्च तक स्वरूप ले लेगा। इसके बाद अगला प्रोजेक्ट माहेश्वर होगा।
कला परंपरा और पयर्टन की बात निकलते ही ऐतिहासिक, दार्शनिक और मनोहरम स्थलों के नाम दिमाग में दौडऩे लगते हैं। साथ ही सुंदर आर्ट फॉमर्स जैसे चंदेरी और माहेश्वरी वस्त्र, बाग प्रिंट व कांसे के बर्तन आदि का याल आता है। लेकिन इन्हें बनाने वाले कारीगरों की दशा और उनके जीवन पर कहीं बात नहीं होती। ऐसे ही कलाकारों के संधारण और संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग ने प्रदेश के चार ऐसे स्थानों का चयन किया है, जहां की कला की देश-विदेश में विशिष्ठ पहचान है, जिनके आसपास सुंदर पर्यटन स्थल हैं।
विलेज के सौंदर्यीकरण का काम शुरू:
साल 2020 में बनाई गई इस योजना को हरी झंड़ी मिलते ही बुनकरों की बस्ती के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हो गया है। यह योजना 9 करोड़ की लागत से साकार होगी। इसके लिए केंद्र सरकार से 7.45 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए हैं। पुरातत्व विभाग से मिले 60 लाख रूपए से तीन पुरानी बावडिय़ों को जीवंत किया जाएगा। पर्यटकों के लिए प्राकृतिक स्थान पर सुविधाजनक होम स्टे और गाडर्न भी बनाया जाएगा। क्राफ्ट टूरिज्म हैंडलूम विलेज के प्रवेश द्वार से लेकर चौक-चौराहों को सजाया जा रहा है। इस योजना से जुड़कर अवंतिका विश्वविद्यालय के 40 विद्यार्थी हर गली में घर की दीवारों पर हैंडीक्राफ्ट साडिय़ों के डिजाइन उकेर रहे हैं। 243 पंजीकृत बुनकरों के घरों के साथ ही पूरे गांव का सौंदर्यीकरण होगा।
प्राणपुर गांव के बुनकर देवेंद्र कोली और अजहर खान बताते हैं कि, गांव के बुनकरों और शिल्पियों के हालात बहुत खराब हैं। हमारी तरह यहां के कलाकार तीन से चार पीढिय़ों से यही काम कर रहें हैं। चंदेरी साड़ी-सूट हजारों-लाखों में बिकते हैं, लेकिन हमें मेहनताने के रूप में बमुश्किल 8 से 9 हजार प्रतिमाह मिल पाते हैं। इस योजना के आने से कारीगर घर पर ही काम करेंगे और हमें अपने उत्पाद का उचित दाम मिलेगा। वहीं पर्यटकों के लिए अनूठे डेस्टिनेशन का विकास होगा, वे वाजिफ दाम में सीधे कारीगर से उत्पाद खरीद सकेंगे।
अभी कहीं भी इस तरह का टूरिस्ट स्पॉट नहीं:
देश का पहला क्रा ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज बनाने का काम प्राणपुर में शुरू हो गया है। अभी कहीं भी इस तरह का टूरिस्ट स्पॉट नहीं है। काम पूरा होने के बाद प्राणपुर की देशभर में अलग ही पहचान हो जाएगी।
- शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव पर्यटन मंत्रालय
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