हाइलाइट्स :
बाजारों में एक बार फिर उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
बिना मास्क के सब्जी कपड़ा और अन्य वस्तुएं खरीदते दिखे लोग
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जैसे जैसे कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। लापरवाही भी बढ़ती चली जा रही है। मंगलवार को शहर में जैसे ही ये खबर फैली कि 15 अप्रैल से शहर में लॉकडाउन लगने वाला है। लोग सब्जी, किराना एवं अन्य जरूरी सामान का स्टॉक करने के लिए बाजार में उमड़ पड़े। अगले सप्ताह शुरू हो रहे सहालग के चलते कपड़ा बाजार में भी भारी भीड़ उमड़ी।
शहर में दिनों दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या के चलते जहां एक ओर जिला प्रशासन और कोरोना बचाव में लगे फ्रंट लाइन वर्कर्स के हाथ पांव फूले हुए हैं, वहीं आमजन बेखौफ होकर सड़कों की भीड़ बनकर खुद की और अपने परिजनों की जिंदगी खतरे में डाल रहा है। बाजार में खरीदारी के दौरान क्रेता और विक्रेता दोनों ही लापरवाही बरत रहे हैं।
बिना मास्क के सब्जी वाले :
सबसे ज्यादा भीड़ सब्जीमंडी में उमड़ रही है। सब्जी बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों ही बिना मास्क के नजर आ रहे हैं, यही वजह है कि शहर में मरीजों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। ऐसे लोगों को मॉनीटर कर तुरंत सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। दुकानदारों पर अधिक सख्ती की जरूरत है क्योंकि ये यदि संक्रमित हुए तो बहुत लोगों को संक्रमित करेंगे।
महाराज बाड़ा पर भारी भीड़ :
जैसे ही बाजार खुलता है महाराज बाड़े पर भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। मंगलवार को जैसे ही लॉकडाउन की खबर आई। एक बार महाराज बाड़े पर फुटपाथी बाजार से खरीददारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। 22 अप्रेल से सहालग शुरू हो रहा है,ऐसे में दहीमंडी, सराफा बाजार, हजीरा, सदर बाजार सहित शहर के सभी बाजारों में भारी भीड़ रही।
शहर के लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की बार-बार अपील को जब नहीं माना तो प्रशासन को आपदा प्रबंधन की बैठक में सात दिन के लिए शहर को लॉकडाउन करने का निर्णय किया गया ताकि कोरोना की चेन टूटे और शहर के लोगों को इस घातक बीमारी से चेन मिल सके, लेकिन सबसे बुुद्धिजीवियों की संस्था कही जाने वाली चेंबर ऑफ कॉमर्स ने इसका विरोध किया है। व्यापारियों को लोगों की जिंदगी से ज्यादा अपना धंधा दिख रहा है। चेंबर ने इसके विरोध में उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को लिखे पत्र में कहा है कि शनिवार तक लॉकडाउन नहीं लगाया जाना चाहिए। उससे पूर्व कुछ प्रयोग कर, देखना चाहिए। कोरोना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। वह जीवन भर समाप्त होने वाला नहीं है और अब हमें इसके साथ ही जीवन जीना सीखना चाहिए।
चेंबर ने किया लॉकडाउन का विरोध :
एमपीसीसीआई ने कहा है कि कोरोना कर्फ्यू, जनता कर्फ्यू या लॉकडाउन यह नाम बदलने से इसका असर नहीं बदलता है। इस देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा जनता स्वयं पर निर्भर है, जिसमें दुकानें, उद्योग, सर्विस प्रोवाइडर, निजी क्षेत्र में कार्यरत लोग, एजेन्ट, ब्रोकर आदि आते हैं। 90 प्रतिशत आबादी के यदि आय के स्त्रोत बंद कर दिये जाएं और सरकारी राजस्व वसूली यथावत जारी रहती हैं तो ऐसी स्थिति में कोरोना बीमारी से ज्यादा समस्या हो जाएगी। उन्होंने लॉकडाउन को अंतिम विकल्प बताया।
ये सुझाव दिए :
बिल्डिंग मटेरियल से संबंधित(सीमेंट, लोहा, सरिया, हार्डवेयर, रंग, सेनेटरी, टिम्बर आदि) इन व्यापार को सायं 6 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाना चाहिए।
थोक बाजारों को सायं 6 बजे तक व्यापार करने की अनुमति दी जाना चाहिए।
जहां पर भीड़ अधिक होती है उन बाजारों को अल्टरनेट डे के आधार पर मसलन एक दिन एक लाईन व इसके दूसरे दिन दूसरी लाइन को खोलने की अनुमति दी जाना चाहिए।
शहर के अंदर जाम न लगे इसके लिए नो पार्किंग में गाडिय़ां खड़ी न हो, इसका पालन कराया जाए।
शहर में दोपहर 12 बजे से सायं 7 बजे तक लोडिंग-अनलोडिंग पर प्रतिबंध हो तो बाजारों में भीड़ नजर नहीं आएगी।
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