कांग्रेस ने किया शेयर सोशल मीडिया पर वायरल मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर का PM को लिखा खत, सरकार पर लगाए कमीशन के आरोप
हाइलाइट्स :
लेटर पर प्रोफेसर डॉक्टर सर्वेश जैन के कोई हस्ताक्षर नहीं है।
लेटर सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।
कुछ दिनों पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने एक लेटर शेयर किया था।
भोपाल, मध्यप्रदेश। कांग्रेस ने शनिवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये सागर, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर डॉक्टर सर्वेश जैन का लेटर शेयर किया है। यह लेटर डॉक्टर सर्वेश ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए लिखा है। पत्र के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री को मध्यप्रदेश में हो रहे भ्रष्ट्राचार से अवगत कराया है। यह लेटर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। इस लेटर पर प्रोफेसर डॉक्टर सर्वेश जैन के कोई हस्ताक्षर नहीं है।
सरकार के पाप का घड़ा भरकर बहने लगा:
यह लेटर शेयर करते हुए कांग्रेस ने लिखा है कि, 50% कमीशन का एक और लेटर वायरल, ग्वालियर और रीवा के पेटी कांट्रेक्टर के 50% कमीशन राज को बेनक़ाब करने के बाद अब सागर के प्रोफ़ेसर का पत्र वायरल, प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिवराज की कमीशन खोरी की पोल खोली। शिवराज सरकार के पाप का घड़ा भरकर बहने लगा। कुछ दिनों पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक लेटर शेयर किया था। महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश सरकार पर कमीशन और भरष्टाचार के आरोप भी लगाए थे। इसके बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई थी।
वायरल लेटर में प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुए लिखा है कि, मेरे पिता का सपना था की, सागर शहर में मेरा अपना एक भूखंड हो, जिस पर मैं अपनी वेतन और नियमानुसार की गई प्राइवेट प्रैक्टिस से, एक मकान बनवा सकूं जो मेरे शासकीय सेवा से निवृत होने पर (या निकाले जाने पर ), मेरा आसरा बने । इसके लिए मैने एक भूखंड क्रय किया, लेकिन इतनी सारी खिड़कियां पर और इतनी सारी फीस और रिश्वत के बाद, मेरा सारा उत्साह और देशभक्ति काफूर हो गई।
महोदय, रजिस्ट्री करवाने गए तो स्टांप और फीस के अलावा एक "ऑफिस खर्चा" नाम से हस्तलिखित पर्ची मिल गई जिस पर दी जाने वाली रिश्वत का ब्यौरा था। वहां से फ्री होने पर नामांतरण के दो बार दस दस हजार रुपए देने पढ़े । तत्पश्चात डायवर्सन में तकरीबन एक लाख रुपए लगे, जिसमे से पचास हजार रुपए रेडक्रास सोसायटी की रसीद के नाम पर लिए गए। अब नक्शा पास करने में एक लाख दस हजार की रिश्वत मांगी जा रही है ( पचपन हजार रुपए जिसकी की रसीद मिलेगी, वह अलग से )
महोदय, उक्त नाटक पिछले दो तीन बरस के दौरान हुआ, मेरी समझ यह कहती है की इस प्रकरण में दोषी है, हमारी व्यवस्था क्योंकि यह सारे कार्य आज कंप्यूटर के दौर में सिंगल विंडो पर होना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार कम हो और आम आदमी को फीस या रिश्वत जो भी देना है वो एक ही जगह पर, एक बार में लिया जाए। महोदय, इस चिट्ठी के बाद मुझसे उक्त आरोपों के सबूत मांगे जाएंगे, लेकिन क्या यह सबूत ही पर्याप्त नहीं की उक्त कथोपकथन में वर्णित सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के व्यक्तिगत संपत्ति आप से ज्यादा होगी ?
लोकायुक्त या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से कोई उम्मीद करना बेकार है क्योंकि वो आम आदमी को परेशान करने में ज्यादा रुचि लेती हैं बजाए भ्रष्टाचार को उसके उद्गम स्थल से खत्म करने में महोदय, इस स्वतंत्रता दिवस पर आपको सच्चाई से अवगत कराने को ही मैं सच्ची देशभक्ति मानता हूं ।
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