कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने चुनाव फंड से बनाया लाखों का जुगाड़
राज एक्सप्रेस। डेढ़ दशक पहले कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला उमरिया जिले में कांग्रेस की इतनी दुर्गति हो चुकी है कि लोकसभा और विधानसभा तो दूर नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में भी पार्टी को लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। पार्टी ने राजेश शर्मा नामक जिस व्यक्ति को जिले की कमान सौंपी है, बीते एक दशक के दौरान उसके व्यापार व व्यवसाय में तो गुणात्मक वृद्धि हुई है, लेकिन पार्टी की साख और जमीनी स्तर पर उसका वजूद लगातार गिरा है।
कांग्रेस ने बीते चुनावों के दौरान डॉ. ध्यान सिंह को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था। चुनावों से पहले हुए सभी सर्वेक्षणों में कांग्रेस यहां से जीत रही थी। यही नहीं पार्टी ने इसके बाद भी यहां न तो फंड की कमी होने दी और न ही दूसरी व्यवस्थाओं में भी कोई कोर कसर छोड़ी, लेकिन चुनावों के बाद जो नतीजे सामने आये, उसमें कांग्रेस प्रत्याशी लगभग 3800 मतों से हार गये। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी। इस कारण पार्टी ने हार के कारणों का मंथन जमीनी स्तर पर नहीं किया, लेकिन जीत के प्रति आश्वस्त रहे कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के हजारों कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने हार के कारणों को खंगालना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रत्याशी ने एक पत्र प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के वरिष्ठों को भेजा, जिसमें विस्तृत रूप से कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा के द्वारा की गई पार्टी से गद्दारी और चुनाव के लिए पार्टी से आये फंड के गबन के लिखित आरोप लगाये।
जिले में कांग्रेस जैसे देश के सबसे पुराने राजनैतिक संगठन की कमान सम्हाले नेता बनाम व्यापारी के कारण ही पार्टी की यह दुर्गति हुई है। राजेश शर्मा जैसे लोगों को पार्टी ने जिम्मेदारी तो दे दी, लेकिन कथित नेता ने 'बारी ही खेत को खाने लगी' जैसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया, कांग्रेस प्रत्याशी ने लिखित में आरोप लगाये हैं कि चुनावी फंड के लाखों रूपये राजेश शर्मा ने डकार लिये, बीते विधानसभा चुनाव में कथित नेता के द्वारा बनाये गये इस जुगाड़ की कहानी तो, प्रत्याशी खोलकर सामने रख दी, लेकिन इससे पहले और बाद में हुए चुनावों में कथित नेता ने अपनी ही पार्टी को कितना चूना और लगाया है, यह भी पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
राजेश शर्मा की नियुक्ति जब उमरिया के जिलाध्यक्ष पद पर की गई थी। उस समय उसकी आर्थिक स्थिति क्या थी और बीते इन वर्षाे में उसने कितनी दौलत किस तरह के गबन कर कर बनाई है। यह वर्तमान में नेताजी की शानो-शौकत देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। आरोप तो यह भी हैं कि बीते डेढ़ साल जब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता थी। उस दौरान भी नेताजी ने ट्रांसफर के साथ ही खुद के रसूख का भय दिखाकर अधिकारियों से लाखों वसूले, राकेश शर्मा पर यह भी आरोप लगे हैं कि उसके द्वारा पार्टी और पद की धौंस दिखाकर उसका फायदा सीधे-सीधे अपने कारोबार में लिया जाता है। वर्तमान में उनके द्वारा नियमों से परे हटकर किया जा रहा अतिक्रमण भी इनके दर्जनों जुगाड़ों का एक नमूना है।
कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. ध्यान सिंह द्वारा तीन पृष्ठों के आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि राजेश शर्मा ने भाजपा के स्थानीय तथा विधानसभा स्तर के नेताओं के सांठ-गांठ कर सुनियोजित तरीके से पार्टी को चुनाव में हार दिलवाई थी। इनके द्वारा कई गुप्त बैठके आयोजित करवाई गई, जिसके साक्ष्य शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध हैं। इस संदर्भ में डॉ. ध्यान सिंह ने यह भी कहा कि राजेश शर्मा पार्टी के नाम का उपयोग कर अपना कारोबार बढ़ाने में लगे हैं, यही नहीं उनके द्वारा भाजपा के एजेंट के रूप में कार्य किया जाता रहा है। इस कारण उन्हें पद से हटाने की कार्यवाही की जानी चाहिए।
कांग्रेस प्रत्याशी ने वरिष्ठों को भेजे गये शिकायत पत्र में आरोप लगाया है था कि राजेश शर्मा सिंधी की छवि खराब है, इनके कार्याे से जनता एवं कार्यकर्ताओं में रोष है, तानाशाही, गुंडागर्दी एवं दबंगई करने के कारण ये जहां प्रचार करने जाते हैं। वहां जनता इनका विरोध करती है, आरोप हैं कि जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार-प्रसार सामग्री झण्डा, बैनर आदि को अपने पास रख लिया, उनका प्रयोग प्रचार-प्रसार में नहीं किया जा सका, जिसके कारण कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई।
जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा सिंधी पर आरोप हैं कि मंडलम् सेक्टर प्रभारी, ब्लाक अध्यक्षों को वाहन देने के नाम पर पैसा ले लिया, परन्तु कार्यकर्ताओं को वाहन प्रबंधन नहीं कराया। यही नहीं मुझसे चुनाव होने के उपरांत दो दिन का अतिरिक्त 2 लाख रूपये हड़प लिये, यदि कार्यकर्ताओं तक ये साधन पहुंचना तो, कांग्रेस पार्टी जीत जाती, इनके कारण कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई।
पूरे मामले की शिकायत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी को मेरे द्वारा भेजी गई है। जिसमें बिन्दुवार सभी चीजों का उल्लेख किया गया है कि जिला अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों के द्वारा जिस तरीके से मेरे चुनाव में गडबडी की गई। भाजपा नेताओं से सांठ-गांठ कर मुझे चुनाव हराया गया, पार्टी फंड में गबन सहित अन्य मामलों में कार्यवाही की मांग की गई है:- डॉ. ध्यान सिंह पूर्व प्रत्याशी, बांधवगढ विधानसभा क्षेत्र।
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